-एमफिल को बंद कर दिया जाएगा
-स्कूली शिक्षा में 10+2 खत्म, 5+3+3+4 -+की नई व्यवस्था होगी लागू
नई दिल्ली: देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित नई शिक्षा नीति (एनईपी) को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को मंजूरी दे दी। बैठक के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नई शिक्षा नीति के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को मंजूरी दे दी गई है। इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक होगा और एमफिल को बंद कर दिया जाएगा।
34 साल लागू हुई नई शिक्षा नीति- मानव संसाधन मंत्रालय फिर कहलाएगा शिक्षा मंत्रालय
उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शुरुआत से ही शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय कर दिया गया था। वहीं 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति को वर्तमान से जोड़ा गया है। मौजूदा शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। एनपीई 1986 के कार्यान्वयन के पश्चात तीन दशक से अधिक का समय बीत चुका है। नई शिक्षा नीति से स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी सुधार होंगे। यह 21 वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और शिक्षा पर 34 साल पुरानी राष्ट्रीय नीति, 1986 की जगह लेगी।
उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए होगा एक ही नियामक – फीस को भी किया जाएगा नियंत्रित
यह घोषणा करते हुए शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 5 वर्षीय कोर्स के बाद अब एमफिल जरूरी नहीं होगा। सभी उच्च शिक्षा संस्थानों, कानूनी और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी एकल नियामक द्वारा संचालित होंगे। नई शिक्षा नीति में देश के निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक समान मानदंड होंगे। कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा, मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होगी। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ जाएगा।
सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा होगी। बोर्ड एग्जाम दो हिस्सों में होगा। निशंक ने नई शिक्षा नीति को न्यू इंडिया के निर्माण में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए जनवरी 2015 में परामर्श की प्रक्रिया शुरू हुई थी । इसमें लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में जनप्रतिनिधियों सहित शिक्षा क्षेत्र से जुड़े तमाम लोगों से सुझाव लिए गए।
केंद्रीय सचिव (उच्च शिक्षा) अमित खरे ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) प्राप्त करना है। नई नीति एक व्यापक नियामक ढांचे के तहत फीस संरचना को भी नियंत्रित करती है। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा सचिव अनीता करवाल ने कहा कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम एक लाइफ स्किल होगी।
ऐसे बनी नही शिक्षा नीति
नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए समिति – 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने टी.एस.आर. सुब्रहमण्यन, भारत सरकार के पूर्व मंत्रिमंडल सचिव, की अध्यक्षता में 5-सदस्यीय समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 2016 को प्रस्तुत की थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पारूप तैयार करने के लिए समिति – 24 जून, 2017 को, सरकार ने प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया।
समिति ने 31 मई, 2019 को अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी। इस प्रकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने से पहले मंत्रालय द्वारा प्रारूप एनईपी 2019 एवं उस पर प्राप्त सुझावों, विचारों और प्रतिक्रियाओं का गहन और व्यापक परीक्षण किया गया।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है, जिसमें 1028 विश्वविद्यालय, 45,000 स्टैंडअलोन कॉलेज, 33 करोड़ छात्र, 14,00,000 स्कूल हैं।
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