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January 17, 2025
एजुकेशन/करियर

हिंदी दिवस: हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि प्राण वायु है

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने मॉरिशस में विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को आयोजित समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारे लिए सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवनी शक्ति और प्राण वायु है।

यह न केवल हमें एक दूसरे से जोड़ती है, बल्कि यह अहसास भी दिलाती है कि जब मन और आत्मा मिले हुए हों तो भौगोलिक दूरी कुछ मायने नहीं रखती है।

मॉरिशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपम, उप प्रधानमंत्री एवं शिक्षा मंत्री लीला देवी दुकन लछुमन, मॉरिशस में भारत की उच्चायुक्त के. नंदिनी सिंगला, विश्व हिंदी सचिवालय के महासचिव विनोद कुमार मिश्र भी इसमें शामिल हुए। 

हिंदी दिवस
विश्व के 115 शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई जा रही है हिंदी

हिंदी की महत्ता को बताते हुए डॉ निशंक ने कहा कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इंटरनेट के युग में हिंदी ने अपनी वैश्विक पहुंच में इजाफा किया है। ईमेल, एसएमएस, ई-कॉमर्स, ई-बुक, इंटरनेट में हिंदी को सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। ग्लोबल विश्व में हिंदी बाजार की भाषा बन रही है। गूगल, ओरकल, माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हिंदी को बढ़ावा दे रही हैं। यह हिंदी की बढ़ती ताकत को दिखाता है।

हिंदी तेजी से तकनीक की भाषा बन रही है।ब्रिटेन, जर्मनी, चीन और अमेरिका जैसे बड़े देशों में हिंदी स्कूल से लेकर कॉलेजों तक में पढ़ाई जाने वाली भाषा बन गई है। विश्व के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। हमें मिलकर इसे सयुंक्त राष्ट्र संघ में प्रतिष्ठित कराना है। 

नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि हुए थे शामिल

विश्व हिंदी दिवस के उद्देश्य को बताते हुए डॉ निशक ने कहा, “10 जनवरी, 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन किया गया था। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने का है ताकि हिंदी अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में विश्वभर में जानी जाए। भले ही हम दुनियाभर में 2006 से विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हों लेकिन इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। 

नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष जोर

भारत सरकार द्वारा हिंदी को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिंदी को उसका वैश्विक रूप दिलाने के लिए भारत की वर्तमान सरकार वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय कार्य कर रही है। डाॅ निशंक ने कहा, “हिंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आग्रह का असर हमारी नई शिक्षा नीति पर भी दिखाई दिया है।

नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष बल दिया गया है। हमारा ही नहीं, विशेषज्ञों का भी मानना है कि बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। इसका विशेष ध्यान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में रखा गया है। नई शिक्षा नीति की सबसे बड़ी बात यह है की इसमें सभी शास्त्रीय भाषाओं का संरक्षण किया जाएगा।

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