30.9 C
New Delhi
June 26, 2025
Dustak Special

क्या है ‘भुज’ की सच्ची कहानी, 1971 के युद्ध में क्या हुआ था?

हाल ही में फिल्म “भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया” फिल्म की चर्चा चारों तरफ हो रही है। इसमें अजय देवगन मुख्य भूमिका में हैं जो “विजय कार्णिक” का किरदार निभा रहे हैं। इसके अलावा संजय दत्त ने आम नागरिक “पागी” का किरदार किया है और सोनाक्षी सिन्हा ने “सुंदरबेन झेठा” का किरदार अदा किया है।

इनके अलावा अन्य कलाकार भी मौजूद हैं जो कि अलग-अलग किरदार इस फिल्म में निभा रहे हैं। सवाल यह है कि कौन हैं “विजय कार्णिक”? नागपुर 1939 में इनका जन्म होता है। यह तीन भाई हैं और तीनों ही सेना में मौजूद थे। साथ ही इनके पिताजी सरकारी अफसर थे।

विजय कार्णिक की पोस्टिंग वर्ष 1962 में होती है और 1971 में इन्हें भुज का “बेस कमांडर” बनाया गया था। इस फिल्म की कहानी असल जिंदगी पर आधारित है और वह काफी प्रेरणादायक है।

भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया

इस युद्ध की आहट आनी कब शुरू हो गई थी?

1947 में जब पाकिस्तान भारत से अलग हुआ उस वक्त आज का बांग्लादेश भी पाकिस्तान में सम्मिलित था। इसे पश्चिमी पाकिस्तान तथा पूर्वी पाकिस्तान जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जानते थे और यहाँ के लोग बांग्ला बोलते थे एवं काफी समय से पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होने का प्रयास कर रहे थे।

वहीं पश्चिम पाकिस्तान की “आर्थिक गतिविधि” अधिकतर पूर्वी पाकिस्तान से ही होती थी, मगर यहाँ के लोगों के ऊपर अत्याचार बहुत होते थे जो कि पश्चिमी पाकिस्तान ही करता था। इसके बाद 1969 में पाकिस्तान में चुनाव होते हैं और पूर्वी पाकिस्तान की तरफ से “शेख मुजीबुर रहमान” इस चुनाव में खड़े थे।

नतीजा यह रहा कि शेख मुजीबुर रहमान की जीत होती है और तब लगने लगा की अब पूर्वी पाकिस्तान अलग हो जाएगा। मगर 1970 से इनको हटाने की रणनीति बनाई जाने लगी थी।

मार्च 1971 में शेख मुजीबुर रहमान को जेल में डाल दिया गया और जनरल टिक्का खान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के ऊपर ऐसा अत्याचार किया जिसकी वजह से यहाँ के लोग अपना स्थान छोड़ भारत के असम, त्रिपुरा इत्यादि जैसे राज्यों में भारी मात्रा में आने लगे।

यह बात जब भारत की प्रधानमंत्री “इंदिरा गांधी तक पहुंची तो वह सकते में आ गईं और तुरन्त पाकिस्तान पर हमला कर इस मामले को खत्म करने की कवायद शुरू करने को कहा। मगर भारतीय सेना के अफसर “सैम मानेकशॉ” ने उस वक्त पाकिस्तान से लड़ाई लड़ने के लिये मना कर दिया।

उन्होंने वजह यह बताई कि बांग्लादेश में मानसून के मौसम में युद्ध करने में काफी दिक्कत होगी और इस वक्त हमारी सेना चारों तरफ बंटी हुई है जिन्हें एकाएक इकठ्ठा कर पाना अभी के लिए मुश्किल है। इस पर काफी बातचीत होती है और दिसम्बर के महीने को युद्ध के लिए चुना गया।

vijay karnik
विजय कार्णिक
कैसे होती है भुज में युद्ध की शुरुआत

“आधुनिक युद्ध” के इतिहास में यह 13 दिन का युद्ध अब तक का सबसे लम्बा युद्ध कहा जाता है और ऐसा पहली बार हो रहा था कि इस युद्ध में एक नया देश स्थापित होने जा रहा है।

3 दिसम्बर 1971 के दिन इस युद्ध की शुरुआत होती है और पाकिस्तान ने पंजाब तथा गुजरात के एयरबेस पर हमला करना शुरू कर दिया। जवाब में भारत ने भी पाकिस्तान के कराची एयरबेस में हवाई फायर करने शुरू कर दिए, तो दूसरी ओर भारतीय नौसेना ने ताबड़तोड़ हमले करके पाकिस्तान को तहस-नहस कर दिया।

यह देखने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने गुजरात के भुज में भयंकर बमबारी शुरू कर दी जिसकी वजह से एयरफील्ड को भारी नुकसान पहुंचा और भारत के एयरक्राफ्ट उड़ान भरने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे।

ऐसे में इस खराब एयरफील्ड को जल्द से जल्द सही करने की जिम्मेदारी यहाँ के बेस कमांडर “विजय कार्णिक” को दिया गया। मगर यह काम इतना आसान नहीं था क्योंकि मजदूरों ने काम करने से मना कर दिया। ऐसे में विजय कार्णिक वहाँ के गांव में गए और मदद मांगी।

पढ़ें: स्वतंत्र भारत का सपना लिए ‘मास्टर दा सूर्य सेन’ ने चूमा था फांसी का फंदा
भारतीय महिलाओं द्वारा ऐसे हुआ था हवाई पट्टी का पुनर्निर्माण

तब महिलाओं की ओर से उनकी प्रतिनिधि “सुंदरबेन झेठा” आगे आईं और 300 महिलाएँ यह कार्य करने को तैयार थीं। बड़ी बात यह है कि दिन-रात कार्य करने के बाद इस एयरफील्ड को 72 घण्टे में दुरुस्त कर दिया गया।

इन सबके बीच इस कार्य को करने में कुछ गर्भवती महिलाएँ भी मौजूद थीं और जब उनसे पूछा गया कि उनको कोई दिक्कत तो नहीं होगी तब इन सभी महिलाओं का जवाब था कि “हमारे लिए देश सर्वप्रथम है”।

इस युद्ध के बाद इनाम के तौर पर इन सभी गर्भवती महिलाओं को 50 हज़ार रुपए की धनराशि दी गई थी। बहरहाल, महिलाओं के सराहनीय कार्य की वजह से रनवे दोबारा तैयार हो गया था और भारत ने फिर पाकिस्तान पर ताबड़तोड़ हमले करने शुरू किए और 16 दिसम्बर 1971 बांग्लादेश के रूप में एक नया देश दुनिया को मिला।

तो कुल-मिलाकर विजय कार्णिक का साहस, महिलाओं की बहादुरी, कैसे बना बांग्लादेश और हमारे जवानों ने कैसे अपने शौर्य का परिचय दिया, यह सभी कार्यों को इस फिल्म में दिखाया गया है और यह फिल्म 13 अगस्त 2021 को “डिज्नी+हॉटस्टार” पर रिलीज होगी।

-यशस्वी सिंह

Related posts

स्ट्रीट फूड के हैं शौकीन तो, आज ही जाएं दिल्ली की इन 7 जगहों पर

Buland Dustak

बाल दिवस 2021: ‘बच्चे करेंगे देश का भविष्य निर्धारित’- पंडित नेहरू

Buland Dustak

अयोध्या धाम से रामेश्वरम तक, 8 रामायण स्थलों का वास्तविक जीवन में भ्रमण

Buland Dustak

मिल्खा सिंह : एक महान जुनूनी धावक की कहानी

Buland Dustak

जितना बड़ा संघर्ष, जीत उतनी ही शानदार होगी : स्वामी विवेकानन्द

Buland Dustak

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों का इतिहास व उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Buland Dustak