नई दिल्ली: भारत की स्टार्टअप कंपनियों को मजबूती देने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नैस्डैक जैसे प्लेटफॉर्म को एक्टिव करने की तैयारी कर ली है। इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (आईजीपी) की मदद से भारत का मार्केट रेगुलेटर सेबी स्टार्टअप कंपनियों के लिए नैस्डैक जैसा प्लेटफॉर्म शुरू करने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत की स्टार्टअप कंपनियां भी अपने कामकाज को तेजी से बढ़ा कर विश्व बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकें।
ज्ञातव्य है कि भारत की शुरुआती टेक स्टार्टअप कंपनियों मे से मेक माई ट्रिप और यात्रा डॉट कॉम नैस्डैक में लिस्टेड हैं। नैस्डैक में लिस्टिंग के कारण इन कंपनियों को मार्केट से पैसा जुटाने में काफी मदद मिली है। टेक कंपनियों के अलावा अब ग्रोफर्स और री-न्यू जैसी स्टार्टअप कंपनियां भी स्पेशल पर्पज ऐक्वीजिशन कंपनी (एसपीएसी) की मदद से अमेरिकी मार्केट का रुख कर रही हैं। इससे इन कंपनियों को मार्केट से फंड उठाने में तो मदद मिल जाएगी लेकिन इनसे भारत का रेवेन्यू लॉस होगा। इन कंपनियों के जरिये जो पैसा भारत के बाजार में लग सकता था, वो पैसा अब अमेरिकी बाजार में लगेगा।
Zomato और Nykaa ने लाएंगे अपना IPO
जानकारों का कहना है कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए मार्केट रेगुलेटर सेबी ने भारत में भी नैस्डैक जैसा प्लेटफॉर्म खड़ा करने की तैयारी कर ली है। अभी भारत में कई स्टार्टअप कंपनियां अपना आईपीओ लॉन्च करने की तैयारी में हैं। इनमें डेलीवेरी, जोमैटो और नायका ने अपना आईपीओ लाने का ऐलान भी कर दिया है। ऐसे में सेबी अब इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म की शर्तों को आसान बनाकर उसका स्वरूप काफी हद तक नैस्डैक की तरह कर दिया है।
ऐसा हो जाने पर भारत की स्टार्टअप कंपनियों को लिस्टिंग के लिए अमेरिकी बाजार का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, वे भारत में लिस्टिंग करा सकेंगी। सेबी ने इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म में जो बदलाव किए हैं, उसके तहत प्री-इश्यू होल्डिंग पीरियड को मौजूदा दो साल से घटाकर एक साल कर दिया गया है। इस कदम से स्टार्टअप कंपनियों को योग्य निवेशकों को आवंटन करने में सहूलियत होगी।
कम मुनाफे वाली कंपनियां भी स्टॉक एक्सचेंज में हो सकेंगी शामिल
ये सुविधा अभी तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों के पास ही थी। इसी तरह सेबी के नए नियम के मुताबिक अपना आईपीओ लॉन्च करने वाली स्टार्टअप कंपनी अपने टोटल इश्यू साइज का 60 फीसदी तक योग्य निवेशकों को आवंटित कर सकती है। इस प्री अलॉटमेंट का लॉकइन पीरियड 30 दिनों का होगा। अभी तक स्टार्टअप कंपनियों को इस तरह के आवंटन की अनुमति नहीं थी।
नए नियमों में निवेशक की प्री-इश्यू शेयरहोल्डिंग प्री-इश्यू कैपिटल की 25 फीसदी कर दी गई है। यह पहले सिर्फ 10 फीसदी थी। सेबी ने इसके साथ ही ये भी साफ कर दिया है कि जो स्टार्टअप कंपनियां मुनाफे में नहीं हैं, उनमें अगर 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के पास है तो वे स्टॉक एक्सचेंज के मेन बोर्ड में शामिल हो सकते हैं। पहले हिस्सेदारी की ये सीमा 75 फीसदी की थी, जिसे अब इसे घटा दिया गया है।
इसी तरह इनोवेटर ग्रोथ प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड कंपनी के टेकओवर के लिए दूसरी कंपनी को मौजूदा 25 फीसदी के बजाय 49 फीसदी के लिए ओपन ऑफर लाना होगा। जानकारों का मानना है कि सेबी ने नियमों में जो बदलाव किये हैं, उससे न केवल स्टार्टअप कंपनियों को मजबूती मिलेगी, बल्कि वे भारत में लिस्टिंग कराने के लिए प्रेरित भी हो सकेंगी।
यह भी पढ़ें: क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करेगी केंद्र सरकार, बैलेंस शीट में उल्लेख करना अनिवार्य