नई दिल्ली: औद्योगिक उत्पादन के र्मोचे पर सरकार के लिए अच्छी खबर है। देश का औद्योगिक उत्पादन जून, 2021 में एक साल पहले इसी महीने के मुकाबले 13.6 फीसदी बढ़ गया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआई) आंकड़े के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन जून 2021 में 13 फीसदी बढ़ा है। खनन उत्पादन में आलोच्य महीने में 23.1 फीसदी जबकि बिजली उत्पादन में 8.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, पिछले साल जून महीने में आईआईपी में 16.6 फीसदी की गिरावट आई थी।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में आईआईपी मे 45 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में इसमें 35.6 फीसदी की गिरावट आई थी।
गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद से औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ है। उस समय इसमें 18.7 फीसदी की गिरावट आई थी। अप्रैल, 2020 में इसमें 57.3 फीसदी की गिरावट रही, जिसकी वजह कोरोना महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाया गया देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ था।
खुदरा महंगाई दर जुलाई में नरम पड़कर 5.59 फीसदी पर
महंगाई के र्मोचे पर सरकार और आम आदमी के लिए अच्छी खबर है। दरअसल खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने की वजह से खुदरा महंगाई दर जुलाई महीने में नरम पड़कर 5.59 फीसदी रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर एक माह पहले जून, 2021 में 6.26 फीसदी और एक साल पहले जुलाई महीने में 6.73 फीसदी थी। एनएसओ के आंकड़े के मुताबिक जुलाई महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर धीमी पड़कर 3.96 फीसदी रही, जोकि इससे पूर्व माह में 5.15 फीसदी थी।
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गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस महीने की शुरुआत में जारी मौद्रक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2021-22 में सीपीआई आधारित महंगाई दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। RBI के मुताबिक महंगाई दर में घट-बढ़ की जोखिम के साथ दूसरी तिमाही में इसके 5.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहने की संभावना है।
इसके अलावा अगले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में इसके 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। RBI को ऊपर नीचे दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ महंगाई दर 4 फीसदी पर बरकार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के वक्त मुख्य तौर पर सीपीआई आधारित महंगाई पर ही गौर करता है।