-एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर किया 10 फीसदी
नई दिल्ली: वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी ग्रोथ) के अनुमान को 10 फीसदी से घटाकर 8.7 फीसदी कर दिया है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 10 फीसदी किया है। एजेंसी ने गुरुवार को जारी अनुमान में कहा है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने आर्थिक पुनरुद्धार को पटरी से उतारने के बजाय उसमें देरी की है।
फिच रेटिंग्स ने जारी अपने ‘एपीएसी सॉवरेन क्रेडिट‘ ओवरव्यू में कहा कि भारत की ‘बीबीबी- (नकारात्मक) सॉवरेन साख एक स्थिर मध्यम अवधि में मजबूत और ठोस विदेशी रिजर्व के साथ ग्रोथ की उम्मीद को दिखाता है, जो एक कमजोर वित्तीय क्षेत्र और कुछ पिछड़े संरचनात्मक कारकों की तुलना में संतुलित करती है। यह कोविड-19 महामारी के झटके की वजह से भारत के सरकारी खर्च में तेज गिरावट के बाद कर्ज के पथ पर अनिश्चितता दिखती है।
Fitch एजेंसी ने राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका जताई
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मार्च 2022 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के जीडीपी के जून में जारी पूर्वानुमान को 10 फीसदी से घटाकर 8.7 फीसदी कर दिया है। एजेंसी ने ऐसा कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के वजह से किया है।
इससे पहले भी फिच ने जून में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 12.8 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 के अनुमानों की तुलना पिछले वित्तीय वर्ष में दर्ज 7.3 फीसदी के संकुचन और वित्त वर्ष 2019-20 में 4 फीसदी की वृद्धि से की जाती है।
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फिच रेटिंग ने कहा कि हमारे विचार में दूसरी लहर के प्रभाव की वजह से भारत का आर्थिक पुनरुद्धार पटरी से उतरने के बजाय, उसमें देरी हुई। इसी को देखते हुए हमने जून में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के लिए जताए गए जीडीपी ग्रोथ दर के 8.5 फीसदी अनुमान को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है।
हालांकि, एजेंसी ने राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका जताई है। फिच ने कहा कि हमने वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार के लिए जीडीपी (विनिवेश को छोड़कर) में 7.2 फीसदी घाटे का अनुमान लगाया है। गौरतलब है कि बजट में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटा 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।