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November 21, 2024
बिजनेस

Crude Oil में नरमी का रुख, भारत जैसे आयातकों को राहत

नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमत से परेशान भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से अच्छी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल (Crude Oil) की कीमत में एकबार फिर नरमी का रुख बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम गिरकर 68 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया है। जिससे अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर करने वाले भारत जैसे देशों को काफी राहत मिलने की उम्मीद बन गई है।

Crude Oil

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड 0.80 डॉलर टूटकर 68.23 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (WTI क्रूड) भी 1.13 डॉलर की कमजोरी के साथ 65.46 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है।

पिछले एक पखवाड़े में Crude Oil की कीमत में लगातर तेजी और मंदी का रुख बनता रहा है। लेकिन इस तेजी और मंदी के बीच इस एक पखवाड़े की अवधि में ब्रेंट क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 6.02 डॉलर प्रति बैरल तक की कमजोरी आ चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार का सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ता है

अंतरराष्ट्रीय बाजार से आई ये खबर भारत के लिए इसलिए भी उत्साहजनक है, क्योंकि भारत पेट्रोल और डीजल की अपनी 80 फीसदी से अधिक जरूरत आयातित कच्चे तेल से ही पूरा करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का सीधा असर घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत पर पड़ता है।

Crude Oil की कीमत में हुई कमी का असर भारत में दो दिनों के दौरान डीजल की कीमत में प्रति लीटर 38 से 42 पैसे तक की कटौती के रूप में नजर भी आया है। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने बुधवार को अलग अलग राज्यों की वैट की दर के हिसाब से डीजल की कीमत में 19 से 21 पैसे प्रति लीटर तक की कटौती की थी, जबकि आज एकबार फिर डीजल की कीमत में 19 से 21 पैसे प्रति लीटर की कटौती कर दी। हालांकि पेट्रोल के उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल सकी है।

आपको बता दें कि जुलाई के महीने तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार तेजी का रुख दिखाने वाले Crude Oil में अगस्त के महीने में लगातार उतार चढ़ाव हो रहा है। इस महीने ब्रेंट क्रूड की कीमत 68 डॉलर प्रति बैरल से लेकर 75 डॉलर प्रति बैरल तक ऊपर नीचे होती रही है।

Crude Oil की कीमत में अभी आ सकती है और भी गिरावट

जानकारों का कहना है कि इस उतार चढ़ाव की वजह से ही सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हड़बड़ी में पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी या कटौती करने जगह अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजर बनाए हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिली राहत के कारण ही अभी आवश्यक वस्तु सूची (ईजीएल) के मुताबिक सिर्फ डीजल की कीमत में ही दो बार कटौती की गई है।

कमोडिटी मार्केट में उम्मीद की जा रही है कि Crude Oil की कीमत में अभी और भी गिरावट आ सकती है। दरअसल तेल निर्यातक देशों (ओपेक) और उनके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने अगस्त के महीन से ही कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। हालांकि ओपेक देशों ने विश्व समुदाय को दिए गए आश्वासन के मुताबिक अभी तक कच्चे तेल के उत्पादन में पर्याप्त बढ़ोतरी नहीं की है।

इसके बावजूद जुलाई के महीने तक कच्चे तेल के उत्पादन में जो कटौती का ट्रेंड बना हुआ था, उस पर अब पूरी तरह से रोक लग गई है। साथ ही छोटी छोटी मात्रा में Crude Oil के उत्पादन में बढ़ोतरी भी होने लगी है। इसीलिए कमोडिटी मार्केट में आने वाले दिनों कच्चे तेल की कीमत में और भी कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है।

तेल उत्पादन
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अमेरिका और चीन में लगातार घटी कच्चे तेल की मांग

कच्चे तेल की कीमत को लेकर एक बड़ी बात ये भी है कि दुनिया के दो सबसे बड़े कच्चे तेल के उपभोक्ता अमेरिका और चीन में लगातार मांग घटी है। अमेरिका के एनर्जी इनफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की पिछले सप्ताह तक की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी तेल भंडार में 32 लाख बैरल Crude Oil की कमी आई है। इसके बावजूद वैश्विक हालात को देखते हुए अमेरिका फिलहाल अभी अपने तेल भंडार को भरने की हड़बड़ी में नहीं है।

यही वजह है कि जहां एक उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आवक बढ़ी है, वहीं अमेरिका और चीन जैसे बड़े खरीदारों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में खरीद को लेकर ठंडा रुख दिखाया है, जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमत में लगातार नर्मी बनी हुई है।

संभावना जताई जा रही है कि तेल निर्यातक देशों और उनके सहयोगियों के बीच कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने को लेकर बनी सहमति के कारण कच्चे तेल की कीमत में उत्पादन स्तर पर आने वाले दिनों लगातार कमी आनी चाहिए।

ऐसे में अगर Crude Oil की कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं हुआ तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर बने रह सकते हैं। वहीं अगर उत्पादन बढ़ने की वजह से कच्चे तेल की कीमत में कमी होती है, तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के कुछ सस्ता होने की उम्मीद की जा सकती है।

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