नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने सोमवार को जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज के दोनों सिरों को जोड़ दिया। यह USBRL रेल परियोजना का एक हिस्सा है जो सीधे कन्याकुमारी को कश्मीर से जोड़ेगा। रेलवे ने कोविड-19 के चुनौती पूर्ण समय में आर्क निर्माण के लक्ष्य को पूरा कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। कार्यक्रम स्थल पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल मौजूद रहे।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे द्वारा, जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का आर्क निर्माण आज वंदे मातरम के उद्घोष के साथ पूर्ण हुआ। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कौशल का बेहतरीन उदाहरण यह ब्रिज प्रत्येक देशवासी को गर्व का अनुभव कराता है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक सीधी रेल कनेक्टिविटी होगी उपलब्ध
देश का मुकुट कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर को प्रगतिशील और समृद्ध बनाने के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तर रेलवे द्वारा बनाई जा रही उधमपुर बारामुला रेल लिंक परियोजना है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक सीधी रेल कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जाएगी। 27,949 का रोड की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट में 272 किलोमीटर लंबा यह रेल लिंक हिमालय की ऊंची पहाड़ियों और गहरी घाटियों के बीच से गुजर रहा है, जो अपने आप में चुनौतीपूर्ण है।
लिंक को पूरा करने के लिए 927 पुलों, 38 सुरंगो का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही परियोजना के लिए 205 किलोमीटर लंबी अप्रोच सड़क का निर्माण किया गया है। इससे क्षेत्र के लगभग डेढ़ लाख लोगों को सड़क मार्ग भी उपलब्ध हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट में सबसे महत्वपूर्ण निर्माण कार्य है कटरा बनिहाल सेक्टर पर उत्तर रेलवे द्वारा बनाया जा रहा 359 मीटर ऊंचा चिनाब ब्रिज जोकि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है।
इसे अत्याधुनिक तकनीक के साथ पूरा किया जा रहा है। इस ब्रिज कुल लंबाई 1315 मीटर है। बृज में कुल 17 स्पैन हैं। मुख्य आर्क स्पैन 4667 मीटर। मुख्य मार्ग का कुल वजन 10619 मिट्रिक टन है। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार की हवा का सामना करने में सक्षम है।
ब्रिज किसी फुटबॉल ग्राउंड के एक तिहाई के है बराबर
दुनिया में पहली बार डीआरडीओ की सहायता से ब्लास्ट रेसिस्टेंट बनाया गया है। बड़े से बड़े भूकंप से सुरक्षित रखने के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है साथ ही पहली बार भारत में पुलों को वेल्डिंग निरीक्षण के लिए फेज़्ड ऐरे अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मशीन का उपयोग किया जा रहा है। इसमें की गई वेल्डिंग लेंथ का टोटल लगभग 584 किलोमीटर है जोकि नई दिल्ली से जम्मू तभी की दूरी (592 किलोमीटर) के बराबर है।
इस ब्रिज की सबसे बड़ी फाउंडेशन एस-4 का आकार किसी फुटबॉल ग्राउंड के एक तिहाई के बराबर है। ब्रिज के निर्माण कार्य में सहायता के लिए 915 मीटर लंबी केवल क्रेन नदी के आर-पार स्थापित की गई है। यह विश्व की सबसे बड़ी केबल क्रेन है। इस ब्रिज के निर्माण कार्य में 10 लाख क्यूबिक मीटर अर्थ वर्क और 66 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है।
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