चीनी के साथ बिगड़ते रिश्तों और चीनी सामानों के बहिष्कार का असर भारत के कारोबार पर दिखने लगा है। चीन ने भारतीय स्टार्टअप में काफी निवेश कर रखा है। ऐसे में चीनी सामानों के बहिष्कार से नए-नए स्टार्टअप डूबते जा रहे हैं। कोरोना महामरी के फैलने से पहले ही ऑटो सेक्टर का हाल पस्त था। चीन के साथ बिगड़ते हालातों ने इसे और खराब कर दिया है।
भारत-चीन सीमा पर विवाद बढ़ने और चीन के उत्पादों पर सख्ती के बाद ई-वाहन कंपनियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। भारतीय ई-वाहन कंपनियों के 80 फीसदी उपकरण चीन से आयात होते हैं. इससे विदेशी निवेशक दूर होने लगे हैं। जिसके कारण कारोबार नुकासन में जा रहे हैं।
ई-वाहन कंपनियों का 50 फीसदी से ज्यादा का कारोबार चीन के आयात पर निर्भर है। ऐसे में चीन से आयात पर पाबंदी से इन्हें केवल उत्पादन निर्माण में ही मुश्किल नहीं आएगी, बल्कि निवेशक भी दूर हो रहे हैं। क्योंकि लागत बढ़ने से मुनाफा घटता जा रहा है, जिससे कंपनियों का नुकसान बढ़ता जा रहा है।
कई कंपनियां तो चीन के 100 फीसदी आयात पर ही निर्भर हैं, ऐसी कंपनियों को और ज्यादा मुश्किल हो रही है। लिथियम सेल, बैटरी पैक और इलेक्ट्रकि मोटर चीन से ही आायत किए जाते हैं। चीन के उत्पादों पर सख्ती ही सिर्फ परेशानी नहीं है, बल्कि चीनी सामानों का बहिष्कार भी कारोबारों कों मुश्किल में डाल रहा है।
बिजनेस ई-वाहन कंपनियों ने इतनी जुटाई पूंजी
कंपनी | महीना और वर्ष | जुटाई गई राशि (करोड़ डॉलर) |
ओला इलेक्ट्रिक | जुलाई 2019 | 25 |
बाउंस | जनवरी 2020 | 9.9 |
बाउंस | जून 2019 | 7.3 |
ओला इलेक्ट्रिक | फरवरी 2019 | 5.8 |
वोगो | जनवरी 2020 | 3.5 |