वांशिगटन : भारत के एक बार फिर से ईरान में चाबहार बंदरगाह पर काम शुरू कर देने से मई में इस बंदरगाह का संचालन शुरू होने की उम्मीद है। रणनीतिक रूप से अहम इस बंदरगाह से पाकिस्तान हुए बिना भारत के जहाजों का आवागमन हो सकेगा।
यह जानकारी अमेरिकी संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है। अमेरिकी सांसदों के लिए नई रिपोर्ट में कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) के अनुसार 2015 में भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह और रेलवे लाइन बिछाने के काम में मदद पर सहमति दी थी। इससे भारत को पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान से बिना रूकावट व्यापार में मदद मिलेगी।
करीब 100 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ईरान का दौरा किया था और चाबहार बंदरगाह व संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर के निवेश के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
हालांकि ट्रंप प्रशासन के ईरान पर कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत को ‘अफगानिस्तान पुनर्निर्माण’ परियोजना को छूट थी। लेकिन 2020 के अंत में भारत ने परियोजना का काम रोक दिया था। वर्ष 2021 की शुरुआत में काम में तेजी लाई गई और मई 2021 तक इसका संचालन शुरू होने की संभावना है। इस रिपोर्ट को विशेषज्ञों ने तैयार किया है और इसे यूएस कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है।
ईरान पर प्रतिबंध लगने के बाद 2011 से 2016 के दौरान भारत ने ईरान से तेल आयात घटा दिया था। 2016 में प्रतिबंधों में राहत मिलने के बाद भारत ने ईरान से तेल आयात बढ़ाया था। जुलाई 2018 में भारत ने ईरान से 8 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात किया था, जो 2011 के स्तर से कहीं ज्यादा था। हालांकि फिर से प्रतिबंध लगने के बाद भारत ने मई 2019 से ईरान से तेल आयात नहीं किया है।
आखिर क्या है चाबहार योजना
- ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी-पूर्वी समुद्री किनारे पर बना है। चाबहार, ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत का एक शहर है।
- यह बंदरगाह भारत के पश्चिमी समुद्री तट से ईरान के दक्षिणी समुद्र तट को जोड़ता है।
- इस बंदरगाह का विकास भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है।
- चाबहार के विकसित होने से ना सिर्फ भारत को फायदा है, बल्कि अफगानिस्तान और ईरान को भी इस बंदरगाह से काफी लाभ होगा। इसके माध्यम से भारत के लिए समुद्री और सड़क मार्ग से अफगानिस्तान पहुँचने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा और इस स्थान तक पहुँचने के लिए पाकिस्तान के रास्ते की आवश्यकता नहीं होगी।
- इस बंदरगाह का इस्तेमाल कच्चे तेल व यूरिया के परिवहन के लिए किया जाएगा। इससे भारत की परिवहन लागत में काफी बचत होगी।
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