-वृंदावन : बांकेबिहारीजी पर भक्तों की आस्था, कोरोना पर भारी, दर्शनों के लिए उमड़ा सैलाब -भीड़ के सैलाब से कई श्रद्धालुओं की अभिलाषा नहीं हो सकी पूरी, जताया दुख
मथुरा: सात महीनों के बाद शनिवार को शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिन मंदिर खुलने पर जन जन के आराध्य बांकेबिहारी के दर्शनों के लिए सुबह से ही आस्था का सैलाब बांकेबिहारी मंदिर की गलियों में उमड़ पड़ा, जिसको लेकर कोरोना की सारी व्यवस्थाएं फेल होती नजर आईं।
ऐसा दिखाई दे रहा था कि मानो कोरोना पर बिहारी जी के भक्तों की आस्था भारी है। क्या बच्चे, क्या युवा और बुजुर्ग हर वर्ग के लोग बिहारी जी के दर्शन के लिए वृंदावन की गलियों में बड़ी संख्या में खड़े थे और मंदिर के पट खुलने का इंतजार बेसब्री से कर रहे थे। जहां देखों वहां राधे राधे और बांके बिहारी के जयकारों से वृंदावन गुंजायमान दिखाई दिया। जिला प्रशासन पहले दिन श्रद्धालुओं को काबू नहीं कर पाया, मंदिर परिसर के बाहर की व्यवस्था जिला प्रशासन और परिसर के अंदर की व्यवस्था मंदिर प्रशासन द्वारा तय की गई है।
छह महीने 25 दिन के बाद बांके बिहारी का मंदिर आज खुला है। इतने लंबे अंतराल के बाद बिहारी जी के दर्शनों को आतुर बिहारी जी के भक्त वृंदावन पहुंच रहे हैं। बांके बिहारी के दर्शनों के लिए ऑनलाइन बुकिंग का भी प्रावधान रखा गया है, जिसके माध्यम से भक्त एक दिन में 400 की संख्या में दर्शन कर सकेंगे।
श्रद्धालुओं ने कोरोना गाइड लाइन की जमकर धज्जियां उड़ाईं
कोरोना के प्रकोप को देखते हुए 22 मार्च से जिले के सभी मंदिर बंद कर दिए गए थे। विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए शनिवार नौ बजे पुनः खोले गए। शनिवार को पहले ही दिन श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में भीड़ दर्शन की अभिलाषा को लेकर बांके बिहारी मंदिर के गेट नंबर एक पर पहुंची। इस दौरान जिला प्रशासन भीड़ को काबू नहीं कर पाया।
श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाईं। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए बांके बिहारी मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए हैं। हालांकि पहले श्रद्धालुओं को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा, तभी मंदिर में दर्शन कर सकेंगे ।
यहां आए एक श्रद्धालु संजीव कुमार ने बताया कि सात महीने बाद बांके बिहारी मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंचे हैं लेकिन जिला प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई। मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं मिल रहा है। मन में अभिलाषा थी कि ठाकुर जी के दर्शन करेंगे, लेकिन भीड़ बहुत है।
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