वर्तमान में रूस व यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच घमासान युद्ध चल रहा है। रूस और यूक्रेन की सेनाएं मोर्चे पर डटी हुई हैं। चारों ओर तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस विवाद का कारण क्या है। जब सोवियत संघ का विघटन हुआ था तो उस दौरान यूक्रेन भी सोवियत संघ से अलग हुआ था। यूक्रेन की जो सीमा है वह पूर्व में रूस से जुड़ी हुई है और पश्चिम में यूरोप से जुड़ी हुई है।
यूक्रेन 1991 तक सोवियत संघ का हिस्सा रह चुका है। यूक्रेन और रूस के बीच तनाव तब शुरू हुआ जब नवंबर 2013 में कीव में विरोध शुरू हुआ। उस समय विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति थे। एक तरफ यूक्रेन में उनका विरोध हो रहा था वही दूसरी ओर रूस का उन्हें समर्थन मिल रहा था। अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारी यानुकोविच का विरोध कर रहे थे जिसके कारण फरवरी 2014 में वह देश छोड़कर भाग गए थे। इस बात से रूस खफा हुआ और उसने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया।
रुस ने वहां के अलगाववादियों को अपना समर्थन दिया। जिसके चलते इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया। यूक्रेन की सेना और रूस समर्थक अलगाववादियों के बीच 2014 के बाद से संघर्ष चल रहा था और यह संघर्ष डोनबास प्रांत में चल रहा था। 1991 में सोवियत संघ से यूक्रेन जब अलग हुआ था। उस समय भी कई बार क्रीमिया को लेकर Russia-Ukraine War हुआ था। रूस व यूक्रेन में तनाव व टकराव न हो इसके लिए लगातार 2014 के बाद से शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देश आगे आए हैं।
रूस-यूक्रेन विवाद के कारण
इसी कड़ी में 2015 में फ्रांस और जर्मनी ने मिन्स्क जो कि बेलारूस की राजधानी है, उसमें दोनों देशों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया था। हाल ही में यूक्रेन के नाटो से करीबी रिश्ता बनाया। नाटो से यूक्रेन के अच्छे संबंध हैं। तत्कालीन सोवियत संघ से निपटा जाए इसके लिए 1949 में नाटो बनाया गया था। नाटो का पूर्ण रूप ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ है।
नाटो और यूक्रेन के करीबी संबंध रूस को रास नही आया। नाटो के सदस्य दुनिया के 30 देश हैं। कोई भी देश दूसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट हो जाते हैं और उस देश का मुकाबला करते हैं। रूस नही चाहता कि नाटो का विस्तार हो। यही राष्ट्रपति पुतिन की मांग है जिसे लेकर रूस यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहा था। रूस को इस बात की चिंता है कि यदि यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है तो कही यूक्रेन की सेना और यूक्रेन के हथियारों के दम पर अमेरिका उसको नुकसान पहुंचाने में आशिंक रूप से सफल हो सकता है। वही दूसरी वजह नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर अमेरिका और पश्चिमी-यूरोपीय देशों का रोक लगाना है।
रूस ने इस परियोजना पर अरबों डॉलर का खर्च किए हैं। इसके जरिये रूस फ्रांस, जर्मनी समेत यूरोपीय देशों में गैस और तेल की सप्लाई करना चाहता है। इससे पहले ये सप्लाई जिस पाइपलाइन से होती थी, वह यूक्रेन से जाती थी। इसके लिए हर वर्ष रूस यूक्रेन को लाखों डॉलर देता था। अब नई पाइपलाइन बनेगी तो यूक्रेन की कमाई खत्म हो जाएगी।
यह भी Russia-Ukraine War की बड़ी वजह है। तीसरी वजह यह है कि रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन अमेरिका के साथ जाए। रूस का यूक्रेन से भावनात्मक रिश्ता है। क्योंकि रूस की जो नींव रखी गई थी वह यूक्रेन की धरती से ही रखी गई थी। इसी कारण रूस ने किसी भी पाबंदी की परवाह नही की और यूक्रेन पर हमला कर दिया।
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निरंकुश शासन की वजह से खतरे में अस्तित्व
रूसी सेना को भी यूक्रेन की सेना और यूक्रेन के नागरिकों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। रूस ने जो सैन्य अभियान शुरू किया है वह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। धीरे- धीरे Russia-Ukraine War की जो स्थिति है वह काफी तनावपूर्ण होती जा रही है। दोनों देशों की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। इस विवाद से दुनियाभर के देश दो धड़ों में बंट रहे हैं एक तरफ चीन रूस के साथ है तो दूसरी तरफ अमेरिका यूक्रेन के साथ है।
अभी भी रूस का अक्रामक रुख जारी है। वह यूक्रेन के हवाई अड्डों और ईंधन सुविधा केंद्रों को भी अपना निशाना बना रहा है। वही दूसरी ओर अमेरिका यूक्रेन को गोला-बारूद और हथियार मुहैया करा रहा है। रूस के ऊपर कड़े प्रतिबंध भी लगाए जा रहे है ताकि वह अलग-थलग हो जाए। इस लड़ाई में आम लोग भी मौत का शिकार हो रहे हैं। दो देशों की इस लड़ाई में आम लोगों की मृत्यु हो रही है। अभी तक सैंकड़ों लोगों की मृत्यु हो गयी है। सैन्य कार्रवाई के बल पर रूस यूक्रेन को घुटनों पर लाना चाहता है।
लेकिन वोलोदिमीर जेलेंस्की जो कि यूक्रेन के राष्ट्रपति है, वह भी रूस को मुंहतोड़ जवाब देना चाहते है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दूसरे देशों की पाबंदियों की परवाह नही कर रहे है और यूक्रेन पर सैन्य हमला कर रहे है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे इस युद्ध से काफी लोग बेघर हो रहे हैं। कई देशों के नागरिक यूक्रेन में फंसे पड़े हैं। इस युद्ध के कारण यूरोप में विश्वयुद्ध जैसे हालात पैदा हो चुके हैं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से पूरी दुनिया संकट में है। रूस के पड़ोसी लोकतांत्रिक यूरोपीय देशों का अस्तित्व रूस के निरंकुश शासन की वजह से खतरे में है।