डायबिटीज एक आजीवन रहने वाला रोग है। यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होता है, जिसमें मरीज़ के शरीर में जो रक्त होता है, उसमें ग्लूकोज़ का स्तर काफी अधिक बढ़ने लगता है। डायबिटीज आज के समय में एक आम बीमारी बन चुकी है लेकिन इसे नियंत्रण में रखना आसान काम नहीं होता है। डायबिटीज का स्तर बढ़ जाने पर मरीजों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इंसुलिन नहीं बनने से होती है डायबिटीज की बीमारी
किसी भी व्यक्ति के शरीर में जब सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं तो व्यक्ति के शरीर में मेटाबॉलिज्म पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगता है। शरीर में इंसुलिन का बनना बेहद आवश्यक होता है। क्योंकि इंसुलिन का कार्यरक्त से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज़ का संचार करना होता है।
इंसुलिन का निर्माण पाचन से होता है: इंसुलिन एक हार्मोन होता है जिसका निर्माण पाचन से होता है। यह हमारे शरीर में खाने को ऊर्जा के रूप में बदल देता है। इंसुलिन के कारण हमारे शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा नियंत्रण में रहती है। इंसुलिन की कमी के कारण ही डायबिटीज बीमारी होती है।
डायबिटीज एक गंभीर रोग बनता जा रहा है, जो मरीज को अंदर से खोखला करने लगता है। जिससे मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इसके रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बेहतर खानपान, बेहतर जीवनशैली, एक्सरसाइज और शरीर के वजन को नियंत्रण में रखकर डायबिटीज की बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
Diabetes के कारण ही मरीज के शरीर में कई और तरह की बीमारियां हो जाती हैं। इस बीमारी पर नियन्त्रण न रखने पर मरीज में गुर्दे, दिल, आंखें, पैर और तंत्रिका से संबंधित कई तरह की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
डायबिटीज के प्रकार
टाइप 1 डायबिटीज से मरीज के शरीर में इंसुलिन नहीं बनता। डायबिटीज के लगभग 10 फीसदी मामले इसी तरह के होते हैं। जबकि टाइप 2 डायबिटीज में मरीज के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मामलें दुनियाभर में इसी तरह के हैं। वही तीसरा, गैस्टेशनल डायबिटीज होता है जो गर्भावस्था के समय महिलाओं को होता है।
बीमारी के लक्षण: टाइप-1 डायबिटीज होने पर लक्षण बहुत तेजी से नजर आने लगते है, वहीं टाइप-2 डायबिटीज की शुरुआत में काफी कम लक्षण नजर आते हैं। चिड़चिड़ापन, आंखों में धुंधलापन, घाव का देरी से भरना, स्किन इंफेक्शन, बहुत प्यास लगना, बार-बार टॉयलेट आना, बहुत भूख लगना, वजन बढ़ना या कम होना, थकान, ओरल इंफेक्शन्स और वजाइनल इंफेक्शन्स टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण हैं।
डायबिटीज की बीमारी से कैसे बचें
- तनाव मुक्त रहें: तनाव का स्तर बढ़ने से शरीर में शुगर के स्तर पर भी असर पड़ सकता है। तनाव पर नियंत्रण रखने के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है या ऐसी शारीरिक गतिविधियों का सहारा लिया जा सकता है जिससे तनाव को कम करने में मदद मिल सके।
- वर्कआउट करें: आपको दिन में कम से कम तीस मिनट व्यायाम करना चाहिए और व्यायाम करने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। नियमित व्यायाम करने से तनाव कम होता है, जिससे डायबिटीज का स्तर भी कम होता है।
- खूब पानी पिएं: डायबिटीज से पीड़ित मरीज को अधिक पानी पीना चाहिए। क्योंकि उनके शरीर में तरल पदार्थों की कमी हो जाती है। जिसके चलते अधिक मात्रा में पानी पीकर उस कमी को दूर किया जा सकता है।
- बादाम खाएं: बादाम का सेवन करने से शरीर में ग्लुकोज का स्तर सामान्य बना रहता है। इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है और व्यक्ति को डायबिटीज और दिल से संबंधित बीमारियों में फायदा पहुंचाते हैं। नियमित बादाम का सेवन करने से शरीर में मैग्नीशियम की कमी को भी दूर किया जा सकता है। बादाम का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है।
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भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट से पता चलता है कि 20 से 79 साल के 463 मिलियन लोग डायबिटीज की बीमारी से पीड़ित है। रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत, चीन और अमेरिका में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि भारत में साल 2019 तक डायबिटीज के करीब 77 मिलियन मरीज थे जिनकी संख्या 2030 तक 101 मिलियन होने की आशंका है, वही 2045 तक यह आंकड़ा 134.2 मिलियन तक पहुँच सकता है।
कोरोना के लक्षण डायबिटीज के मरीजों में अधिक मिलें: कोरोना के कारण लोगों में डायबिटीज का खतरा भी बढ़ा है। कोरोना के लक्षण डायबिटीज और दिल के मरीजों में और भी अधिक देखें गए हैं। कोरोना की जब शुरुआत हुई थी तब सबसे ज्यादा मौतें डायबिटीज के मरीजों की ही हुई थी।