-छह लाख करोड़ रुपये का है National Monetization Pipeline प्लान
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को यहां National Monetization Pipeline (एनएमपी) प्लान को लॉन्च कर दिया। यह मुद्रीकरण प्लान छह लाख करोड़ रुपये का है। केंद्र सरकार इस प्लान के तहत रेल से लेकर रोड और बिजली सेक्टर के एसेट्स की बिक्री के लिए यह पहल की है।
वित्त मंत्री ने इस प्लान के लॉन्चिंग के अवसर पर कहा कि एनएमपी को कामयाब बनाने के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि इन संपत्तियों के बेहतर संचालन और रख-रखाव के लिए निजी क्षेत्र को आगे लाना महत्वपूर्ण है। इसलिए हम जमीनी स्तर पर बहुत मजबूती से काम करने के लिए वचनबद्ध हैं।
उन्होंने यह साफ किया कि National Monetization Pipeline उन ब्राउनफील्ड संपत्तियों के लिए है, जिनमें पहले से ही निवेश किया जा रहा है। सीतारमण ने कहा कि यह उन संपत्तियों के लिए है, जहां संपत्ति का पूरी तरह से मुद्रीकरण किया जा चुका है या जिनका कम उपयोग हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों में हम निजी साझेदारी के जरिए इनका बेहतर मुद्रीकरण करेंगे। इसके जरिए जो भी संसाधन प्राप्त होंगे उनका बुनियादी ढांचे के निर्माण में और बेहतर उपयोग हो सकेगा।
National Monetization Pipeline के तहत 6 लाख करोड़ रुपये के संपत्ति बेचे जा सकते हैं
वित्त मंत्रालाय ने जारी एक बयान में कहा कि National Monetization Pipeline के तहत वित्त वर्ष 2021-22 से 2025 तक छह लाख करोड़ रुपये के संपत्ति बेचे जा सकते हैं। NMP में सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन एवं नेचुरल गैस, सिविल एविएशन, शिपिंग पोर्ट्स एंड वॉटरवेज, टेलिकम्युनिकेशंस, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, माइनिंग, कोल और हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालयों को शामिल किया गया है।
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इससे पहले नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि एनएमपी के तहत संपत्ति भारत सरकार के पास रहेगा, जिसे तय समय के बाद अनिवार्य रूप से वापस करना होगा। उन्होंने कहा कि 2025 तक नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान का 14 फीसदी हिस्सा यानी छह लाख करोड़ रुपये सड़क, रेलवे और पावर से आएंगे।
रेलवे से 26 फीसदी आएगा, जबकि रेलवे स्टेशन, 15 रेलवे स्टेडियम, ट्रेन, माउंटेन रेलवे आदि भी बेचे जाएंगे। साथ ही शिपिंग में नौ मेजर पोर्ट बेचे जाएंगे, जबकि दो नेशनल स्टेडियम भी इस लिस्ट में हैं। वहीं, अगले चार साल के वार्षिक टारगेट होंगे और रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी। इसकी हर महीने समीक्षा होगी, जिसका तिमाही के आधार पर पर बड़े अधिकारी समीक्षा करेंगे ताकि निजी क्षेत्र बेहेतर मैनेज कर सकें।