झांसी : सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय के बहुउद्देशीय सभागार में आयोजित विश्व मृदा दिवस के मौके पर मिट्टी की लवणता रोकें व उत्पादकता बढ़ावे विषय पर किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कुलपति डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि प्राचीन समय से लेकर अभी तक सभी लोगों का भरण पोषण मिट्टी द्वारा ही संभव हो रहा है । आज हम स्वस्थ हैं, इसलिए कि हमारी जमीन की मिट्टी अस्वस्थ नहीं है। जमीन में हमेशा पोषक तत्व होते हैं। पानी में भी पोषक तत्व होते हैं। लेकिन जब किसान खेत की मिट्टी का शोधन नहीं करता है। उसकी पोषकता नष्ट होती जाती है। उसका कारण है कि अंधाधुंध रसायन का प्रयोग, रसायनिक दवाइयों का प्रयोग करके किसानों ने तो फसल से अधिक लाभ ले लिया। लेकिन भूमि कि पोषकता समाप्त होती चली गई।
किसानों से आह्वान किया कि जिस प्रकार हम लोग भिन्न भिन्न प्रकार के भोजन ग्रहण करते हैं वैसे ही खेती की जमीन में बदल बदल कर बीज के प्रयोग करें, दलहन फसलों का प्रयोग करें, हरी खाद का प्रयोग करें, फसलों के अवशेषों का प्रयोग करें, इससे निश्चित ही मिट्टी में उर्वरकता बढ़ेगी।
कुलपति ने किसानों, शिक्षकों, एवं छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम स्वस्थ हैं इसलिए कि हमारी जमीन की मिट्टी स्वस्थ है जिस दिन यह प्रदूषित हो गई उस दिन हम सबके साथ साथ जीव जंतुओं का विनाश हो जाएगा। इस क्षेत्र से जुड़े हुए हम सभी लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हम इस मिट्टी को जिसे हम धरती मां कहते हैं प्रदूषित होने से बचाएं।
निदेशक शोध डॉ ए आर शर्मा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मृदा दिवस सन 2014 में प्रथम बार मनाया गया। मिट्टी की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि मिट्टी में भी जीवंत जीव निवास करते हैं। मिट्टी की देखभाल सब को जमीनी स्तर पर करना चाहिए।
मिट्टी में से कम लें,ज्यादा दें
निदेशक शिक्षा डॉक्टर अनिल कुमार ने कहा कि धरती माता में कई जीव जंतु उसी मिट्टी से पल रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें। कृषि में मिट्टी की उर्वरकता बढ़ना आवश्यक है। अधिष्ठाता कृषि डॉ एसके चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि वैदिक काल से पृथ्वी का सम्मान हम लोग करते चले आ रहे हैं। रसायनिक प्रयोग अधिक होने के कारण भूमि की संरचना बिगड़ चुकी है। स्वस्थ मिट्टी की स्वस्थ संरचना बिगड़ती चली गई, विश्व मृदा दिवस पर किसानों से कहा कि फसलों के अवशेष को उसी पर दबा दें, उससे मिट्टी की उर्वरता अवश्य बढ़ेगी।
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इस अवसर पर मिट्टी का परीक्षण किस प्रकार से किया जाता है उसकी प्रदर्शनी का अवलोकन किसानों ने किया। किसानों के प्रश्नों का उत्तर मृदा विभाग के वैज्ञानिक एवं विद्यार्थियों ने दिया।
इस मौके पर मृदा विभाग के डॉ संदीप उपाध्याय, डॉ अर्पित सूर्यवंशी, डॉ वीजी लक्ष्मी समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक, कई ग्रामों से आए किसान एवं विश्व विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। संचालन डॉ भरत लाल एवं आभार डॉ सुशील कुमार ने व्यक्त किया।