-पायलट प्रोजेक्ट में रूप में मथुरा, मैनपुरी और हाथरस में किया जाएगा शुरू -किसानों के कल्याण की योजनाओं को किया जाएगा लिंक, समय-समय पर उनको एडवाइजरी भी उपलब्ध कराई जाएगी -किसानों की ओर से तैयार किये जा रहे उत्पादों के लिए उचित विपणन की करी जाएगी व्यवस्था
लखनऊ: कृषि में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाली उप्र सरकार बहुत जल्द डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उसने कार्ययोजना तैयार कर ली है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पहले 03 जिलों को चुना गया है। जिनमें मथुरा, मैनपुरी और हाथरस शामिल हैं।
इन जिलों के 10-10 गांव के सभी किसानों का डेटा कलेक्ट करेगी। इसमें किसान की भूमि के विवरण को जोड़ेगी। इतना ही नहीं जिन गांव के किसानों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा उनके जमीन का नक्शा भी डिजिटाइज्ड किया जाएगा।
सरकार के एक प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि किसानों के कल्याण की योजनाओं को लिंक करने के साथ उनको समय-समय पर एडवाइजरी भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही किसानों की ओर से तैयार किये जा रहे उत्पादों के लिए उचित विपणन की भी व्यवस्था करेगी।
पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार नवीन प्रयोगों से किसानों को लाभ पहुंचाने का सरकार काम कर रही है। सरकार का मानना है कि उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास की नींव कृषि क्षेत्र है। किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने, उनको रोजगार के अवसर देने के भी बराबर प्रयास किये जा रहे हैं।
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बताया कि डिजिटल कृषि की योजना से किसानों का जो डेटाबेस तैयार होगा, उससे इसकी भी जानकारी मिल सकेगी कि किसानों को किस प्रकार का अनुदान किन-किन योजनाओं से प्राप्त हुआ है। सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना को शुरु करने वाले मथुरा, मैनपुरी और हाथरस जिलों के जिलाधिकारियों को डेटाबेस तैयार करने का दायित्व सौंपा है।
साथ ही यह भी निर्देश दिये गये हैं कि इस कार्य के लिए जिलों में किसी अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाए। इसके साथ ही भारत सरकार एवं एनआईसी दिल्ली के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर डेटाबेस का कार्य पूरा कराया जाए।