झांसी: रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के सानिध्य में न्यू इनिशिएटिव फॉर रेजुवेनटिंग एग्रीकल्चर (नीरजा) संस्था द्वारा एक दिवसीय हाइड्रोपोनिक किचन गार्डन प्रदर्शन एवं कार्यशाला (Hydroponic Farming) का आयोजन शनिवार को किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ ए0 के0 पाण्डेय डीन हॉटीकल्चर एवं वानिकी रानी लक्ष्मी बाई सेन्ट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा की गयी। भारत में अधिकांश लोग इस विचार पर पले बढ़े हैं कि अच्छा पानी, अच्छी मिट्टी और बहुत सारी धूप ही अच्छी खेती के लिए जरूरी होती है।

यह ज्यादातर किसानों के लिए काफी समय से सच रहा होगा। लेकिन नए शोध और अभ्यास से पता चला है कि स्वस्थ पौधों को वास्तव में अच्छे बीज,अच्छे पानी और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जैसे पौधों को सूरज की रोशनी की नहीं,बल्कि स्पेक्ट्रम की जरूरत होती है। वैसे ही पौधों को वास्तव में मिट्टी की नहीं , बल्कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
Hydroponic Farming नहीं होती है मिट्टी पर निर्भर
Hydroponic Farming और कुछ नहीं बल्कि खेती का एक ऐसा तरीका है जिसमें बिना मिट्टी के खेती की जाती है। इस खेती में आप सीधे पौधे की आवश्यकता को पूरा करते हैं और उसके लिए मिट्टी पर निर्भर नहीं होते हैं।
मिट्टी की आवश्यकता न होने की वजह से इस खेती को कहीं भी किया जा सकता है तथा इसे आसानी से स्वचालित भी किया जा सकता है नीरजा संस्था, कृषि के प्रति उत्साह रखने वाले ऐसे लोगों की टीम है, जिसका उद्देश्य इस नवीन पद्धति से परिणामोन्मुख समाधानों और सेवाओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करना है।
नीरजा संस्था का उद्देश्य
यह संस्था, पिछले एक वर्ष से बुंदेलखंड क्षेत्र तथा देश के विभिन्न प्रदेशों में कम पानी वाली खेती की इस नवीन तकनीक के विषय में जागरूकता फैलाने का काम कर रही है। इस संस्था का उद्देश्य Hydroponic Farming की लागत को कम करना तथा उन्नत किस्म की नर्सरी तैयार करने में ग्रामीण तथा शहरी किसानों को सक्षम बनाना है।
इस संस्था ने उक्त नवीन पद्धति से किचन गार्डेन तैयार करने का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है, जिसमें विभिन्न तरह के फूलों के पौधे (गुलाब, रजनीगंधा) पत्तेदार साग और सब्जियां जैसे लौकी, भिंडी, करेला, टमाटर, मिर्च, कद्दू, बैंगन, हल्दी, अरबी, पालक, धनिया, लेटिस आदि बिना मिट्टी के व बिना कीटनाशक के उगाई जा रही हैं।
कार्यशाला में, पारम्परिक खेती के तरीकों की तुलना में पौधों के उत्पादन के लिए हाइड्रोपोनिक तकनीक का उपयोग करने के कई लाभों के बारे में बताया गया जैसे, Hydroponic Farming में पानी की 90 प्रतिशत तक बचत होती है।
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ऐसे होती है Hydroponic Farming खेती के लिए फायदेमंद
इस तकनीक के माध्यम से पौधे की जड़ों में सही माश में पोषक तत्व, ऑक्सीजन की असीमित आपूर्ति के साथ-साथ पानी की निरंतर पहुंच बनी रहती है, जिससे खेती मे पैदावार में एक स्पष्ट सुधार देखा जा सकता है, तथा कई फसलों के लिए पौधों का विकास अंतराल भी छोटा हो जाता है।
खेती के माध्यम से उर्वरकों की बचत तथा कीटनाशकों की अनुपस्थिति आदि से फसल तैयार करके लागत को काम किया जा सकता है। मिट्टी के बगैर पौधे की जड़ों में कोई कीटाणु नहीं लगते अतः Hydroponic Farming को किसी भी जगह किया जा सकता है।
इस विधि द्वारा छोटे किसान अपनी खेती योग्य भूमि के खाली होने से पहले ही अपनी अनउपजाऊ जमीन या घर पर पर नर्सरी तैयार कर अपना समय बचा सकते हैं व उन्नत किस्म की पौध तैयार कर खेत में लगा सकते हैं जिससे अपनी फसल को बाजार 20 से 30 दिन पहले लाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
कार्यक्रम में श्रीमती राजश्री मिश्रा तिवारी संस्थापक नीरजा, डॉ गौरव शर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर एंड हेड – हॉटीकल्चर आरएलबीसीएयु, झांसी), सुजीत चतुर्वेदी, टीम नीरजा के सदस्य प्रियंक तिवारी, गिरिजा नायर, अनस अंसारी, दीपक सिंह, सृष्टि जैन, निधि सिंह, हेमंत यादव तथा अन्य लोग उपस्थित रहे।