उत्तर प्रदेश

Hastinapur में उत्खनन से सामने आएंगे महाभारतकालीन ‘साक्ष्य’

मेरठ : बागपत के सिनौली में वैदिक सभ्यता के साक्ष्य मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अब महाभारतकालीन नगरी Hastinapur को अपना उत्खनन केंद्र बनाया है। हस्तिनापुर में प्राचीन पांडव टीले पर किए जा रहे उत्खनन से महाभारत काल के साक्ष्य सामने आने का अनुमान है।
Hastinapur के प्राचीन पांडव टीले पर एएसआई द्वारा पहला उत्खनन कार्य 1953 में प्रो. बीबी लाल की अगुवाई में कराया गया। उस समय पांडव टीले से महाभारत कालीन पुरावशेष प्राप्त हुए थे। इनमें से अधिकांश पुरावशेष दिल्ली में एएसआई के संग्रहालय में रखे हुए हैं। जबकि कुछ को हस्तिनापुर में बने संग्रहालय में रखा गया है। उस समय उत्खनन कार्य को बीच में ही बंद कर दिया गया।

Hastinapur

इतिहासकार लंबे समय से कर रहे थे मांग

मेरठ के इतिहासकार लंबे समय से केंद्र सरकार से Hastinapur स्थित पांडव टीले पर उत्खनन कराने की मांग करते आ रहे हैं। एएसआई को जिस प्रकार से बागपत जनपद के सिनौली गांव में खुदाई कराई और वहां पर लगभग 4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष बरामद हुए, उससे हस्तिनापुर में भी उत्खनन की मांग तेज होने लगी। इतिहासकार डॉ. अमितराय जैन, डॉ. केके शर्मा, डॉ. देवेशचंद्र शर्मा ने केंद्र सरकार से कई बार पत्राचार किया।

एएसआई ने शुरू किया उत्खनन कार्य

एएसआई ने अधीक्षण पुरातत्वविद डीबी गणनायक के नेतृत्व में पांडव टीले पर उत्खनन शुरू किया गया है। इस टीले में जयंत माता मठ, राजा रघुनाथ महल, अमृत कूप के निकट खुदाई की गई है। एएसआई खुदाई के बाद इस स्थल को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है।

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पर्यटन मंत्री ने किया था टीले का निरीक्षण

फरवरी 2021 में ततकलीन केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने Hastinapur में प्राचीन पांडव टीले का निरीक्षण किया था। इस मौके पर इतिहासकारों ने केंद्रीय मंत्री को इस प्राचीन टीले का महत्व बताया था। मंत्री ने जल्दी ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जरिए उत्खनन शुरू कराने का आश्वासन दिया था।

उत्खनन कार्य को इतिहासकारों ने सराहा

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जा रही खुदाई का इतिहासकारों ने स्वागत किया है। इतिहास संकलन समिति के क्षेत्र संगठन मंत्री प्रो. विघ्नेश त्यागी का कहना है कि पांडव टीले में उत्खनन से महाभारतकालीन साक्ष्य अवश्य मिलेंगे। यहां पर पहले भी महाभारत काल के साक्ष्य प्राप्त हो चुके हैं। अब विस्तृत उत्खनन किए जाने से नए रहस्य भी उजागर होंगे और वामपंथियों के दावे भोथरे साबित होंगे।

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