जोधपुर: एम्स जोधपुर के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में 27 साल के युवा की आहार नाल की बीमारी का ऑपरेशन पूर्ण रूप से रोबोट के जरिए किया गया। एम्स के डॉक्टरों का मानना है कि रोबोट के जरीए यह पूरी दुनिया में अब तक का पहला ऑपरेशन है।
आहार नाल में एसिड के कारण सुकडऩ की समस्या की शल्य चिकित्सा पूरी तरह से रोबोट के माध्यम से आइवर-लुईस तकनीक द्वारा किया गया। यह जटिल सर्जरी सिर्फ 8 मिमी के चीरे के माध्यम से की गई।
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एम के गर्ग ने बताया कि गंगानगर निवासी 27 वर्षीय युवक द्वारा 9 महीने पहले तेजाब पीया गया, जिसके कारण उसकी आहार नाल में रुकावट आ गई थी। उसके बाद रोगी पिछले 9 महीनों से मुंह से कुछ भी नहीं ले पा रहा था और पेट में केवल एक पाइप के माध्यम से भोजन प्राप्त कर रहा था।
पहले इन मामलों में गर्दन, छाती और पेट पर तीन लंबे और गहरे चीरो द्वारा ऑपरेशन करने की आवश्यकता होती थी जो जीवन भर के लिए रहता है। इन लंबे चीरो के कारण रोगी को अपने दैनिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
रोबोट के माध्यम से बनाई योजना:
केस की जटिलता और रोबोटिक सर्जरी में एम्स के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के अनुभव की वजह से उसे डॉ. वैभव कुमार वार्ष्णेय की देखरेख में भर्ती कराया गया। ऑपरेशन को पूरी तरह से रोबोट के माध्यम से करने की योजना डॉ. वैभव वार्ष्णेय, डॉ. सेल्वाकुमार, डॉ. पीयूष वार्ष्णेय और डॉ. सुभाष सोनी के द्वारा बनाई गई।
आहार नाल में रुकावट को हटाने तथा उसको वापस पेट से जोडऩे का जटिल ऑपरेशन पूरी तरह से रोबोट के माध्यम से किया गया। सर्जरी डॉ. वैभव वार्ष्णेय के द्वारा की गई तथा डॉ राघव नायर, निश्चेतना विभाग के डॉ प्रदीप भाटिया, डॉ क कमलेश चौधरी और नर्सिंग संतोष कुरी, दिलिप मीणा ने सर्जरी में सहयोग किया।
ऑपरेशन छाती तथा पेट में मात्र 8 मिमी के 4 चीरे द्वारा किया गया। रोबोटिक विधि के कारण ऑपरेशन के दौरान रक्त का स्त्राव कम हुआ तथा आपरेशन के उपरान्त दर्द का अहसास भी कम रहा। सर्जरी के चार दिन बाद उसे मौखिक आहार शुरू किया गया तथा छठे दिन मरीज़ को छुट्टी दे दी गई।
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निशुल्क इलाज किया जा रहा:
एम्स जोधपुर के सर्जिकल गैस्ट्रो विभाग में सह आचार्य पद पर कार्यरत डॉ. वैभव वार्ष्णेय ने बताया कि एसिड पीने से आहार नाल तथा पेट में रुकावट संबंधित बीमारियों का इलाज अब एम्स जोधपुर में सफलता पूर्वक हो रहा है। इसके साथ एम्स, जोधपुर में विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत मरीजों का इलाज नि:शुल्क भी किया जा रहा है।
सर्जरी मील का पत्थर साबित होगी:
एम्स के निदेशक प्रो. संजीव मिश्रा ने इस जटिल सर्जरी के लिए पूरी सर्जरी टीम की सराहना की और बताया कि यह भारत में रोबोटिक सर्जरी के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि रोबोट के माध्यम से एम्स में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में पेट, अग्न्याशय, यकृत, आंत की अन्य जटिल सर्जरी भी सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं।