‘मूंग की दाल’ पर समर्थन मूल्य: सरकार का एक छोटा सा निर्णय दिन-रात मेहनत कर अन्न उपजाने वाले किसान के लिए कितना अहम होता है, इसका सुखद अहसास मध्य प्रदेश के किसानों के चेहरे देखकर आज सहज हो रहा है। कोरोना की चेपेट में आने के बाद भले ही ग्रामीण भारत के खेत-खलियान और उपज में बहुत अंतर नहीं पड़ा हो, लेकिन कोरोना वायरस की आई दूसरी लहर में बड़ी संख्या में अपनों को खोया है।
अस्पतालों के खर्च, दवा और अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने में तो जैसे आर्थिक दिवालिया ही कई परिवारों का निकाल दिया, ऐसे में जहां शहरी आबादी इससे प्रभावित हुई, वहीं ग्रामीण जनसंख्या भी इससे अछूती नहीं रही है। कोरोना की इस दूसरी लहर ने बहुत से किसान परिवारों को आर्थिक तौर पर जैसे तोड़ सा दिया था। हालांकि केंद्र व राज्य सरकार उन्हें इससे उभारने के अपने भरसक प्रयास कर रही हैं।
मूंग की दाल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य सात हजार 196 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित
दरअसल, उन्हें उबारने के इन्हीं प्रयासों में एक काम इन दिनों मूंग की दाल का समर्थन मूल्य पर खरीदी का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जाना भी है। इस एक निर्णय से जैसे किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। एक लम्बे समय के बाद किसान अपनी जेब में मोटी रकम आते देखेंगे। इस वक्त न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद के लिए मध्य प्रदेश में पंजीयन शुरू है। मूंग की दाल का उपार्जन 15 जून से आरंभ कर दिया जाएगा।
ग्रीष्म-कालीन मूंग के दामों में आ रही कमी को देखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य सात हजार 196 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। खरीदी 90 दिन जारी रहेगी। इस एक निर्णय से प्रदेश भर में किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल का कहना है कि प्रदेश के 25 जिलों में 4 लाख 77 हजार हेक्टेयर में ग्रीष्म-कालीन मूंग होती है। इस वर्ष छह लाख 56 हजार मीट्रिक टन मूंग की दाल का उत्पादन संभावित है।
सरकार के इस निर्णय से बाजार भाव से 1200 रुपये मिलेंगे किसानों को ज्यादा
देवास जिले के विकासखण्ड खातेगांव के ग्राम दुलवां के निवासी किसान नर्मदा प्रसाद ने भी चार हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूंग लगाई थी, जिससे उन्हें लगभग 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिला है। किसान नर्मदा प्रसाद गुर्जर इस समर्थन मूल्य की खरीदी के लिए मुख्यमंत्री शिवराज को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि अभी व्यापारी लगभग 5400-6000 रुपये के आसपास प्रति क्विंटल मूंग की खरीदी कर रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री चौहान द्वारा मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7196 रुपये निर्धारित किया गया है।
इस प्रकार किसानों को अभी के बाजार भाव से प्रति क्विंटल मूंग पर हजार से बारह सौ रुपये बढ़कर मिलेंगे। किसान नर्मदा प्रसाद कहते हैं कि शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही मूंग से किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। उन्होंने बताया कि उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। उनके खाते में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एवं मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि भी आ रही है।
राम भरोसे ने खुश होकर कहा- घर के पूरे होंगे अन्य खर्चे
होशंगाबाद के राम भरोसे ने कहा कि 60 दिन में पकने वाली मूंग की फसल से पर्याप्त राशि प्राप्त होगी। इससे उसे अपने परिवार के तमाम खर्चों में राहत मिलेगी। इसी तरह से हरदा के ललित पटेल ने ग्रीष्म-कालीन मूंग के लिए नहर का पानी छोड़ने पर राज्य सरकार को धन्यवाद दिया है। इसी तरह से सीहोर जिले के किसान सुनील पवार और नरसिंहपुर के मनीष का भी खातेगांव देवास के नर्मदा प्रसाद की तरह ही अपना अनुभव है, उन्होंने भी राज्य सरकार के इस किसान हितैषी निर्णय पर मुख्यमंत्री चौहान का आभार माना है।
प्रदेश में चलेगी 90 दिनों तक खरीदी प्रक्रिया
स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस निर्णय को लेकर कहते हैं कि कोरोना के कठिन काल में भी राज्य सरकार द्वारा चना, मूसर और सरसों की खरीदी 15 मार्च से आरंभ करने का निर्णय लिया गया था। इससे किसानों को अच्छे भाव मिले। अब मूंग की दाल की फसल बरसात में खरीदनी होगी, इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। उन्हीं केन्द्रों पर खरीदी होगी जहां मूंग को सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो। प्रदेश में पर्याप्त स्थानों पर खरीदी केन्द्र खोले जाएंगे। खरीदी की प्रक्रिया 90 दिन तक जारी रहेगी।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को पूरा कर रहा मध्य प्रदेश
शिवराज अपनी बातों में यह भी जोड़ते हैं, किसानों के हित के संरक्षण और कल्याण के उद्देश्य से लिए हमारी सरकार संकल्पित है। यह सरकार किसानों की सरकार है। खेती को लाभ का धंधा बनाना और किसानों की आय को दो गुना करना हमारी प्रतिबद्धता है। वे यहां साथ में यह भी जोड़ते हैं कि किसानों की आय दोगुनी करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है। राज्य सरकार इस दिशा में सभी प्रयास कर रही है। उत्पादन बढ़ाने, उत्पादन की लागत कम करने, किसानों को उचित मूल्य दिलाने और आपदा की स्थिति में सहायता देने जैसे कार्य राज्य सरकार द्वारा तत्परता से किए जा रहे हैं।
सरकार का लक्ष्य सिंचाई सुविधा 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाना
वे कहते हैं कि हमारा प्रयास है कि किसान नई तकनीक का उपयोग करें। सिंचाई क्षेत्र का अधिक से अधिक विस्तार हो। वर्तमान में प्रदेश में 42 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है, इसे 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाना है। बिजली की उपलब्धता भी पर्याप्त है। इन सुविधाओं से किसानों के लिए तीन फसलें लेना आसान हुआ है। कम ब्याज पर ऋण की व्यवस्था भी उत्पादन की लागत घटाने के उद्देश्य से की गई है। इस क्रम में लघु और छोटे किसानों की सुविधा को देखते हुए सहकारी समितियों द्वारा वितरित अल्पकालिक फसल ऋणों की अदायगी की तिथि को बढ़ाकर 30 जून किया गया है।