भोपाल: मप्र खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा चार दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया है। इस वेबिनार में शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध स्पोर्ट्स साइंस विशेषज्ञ हाई परफॉर्मेंस कोच ऑस्ट्रेलिया के Jason Konrath ने अपने अनुभव को साझा किया। वेबिनार में मप्र की अकादमियों के लगभग 100 प्रशिक्षक और 29 स्पोर्ट्स साइंस एक्सपर्ट ने हिस्सेदारी कर इंजूरी और उससे बचने के उपाय के बारे में मार्गदर्शन हासिल किया।
इस वेबिनार में खेल और युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने विचार व्यक्त किए और इसे प्रशिक्षकों व खिलाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण बताया। खेल मंत्री की पहल पर इसका आयोजन अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है। वेबिनार में खेल संचालक रवि कुमार गुप्ता, संयुक्त संचालक भी उपस्थित रहे।
वेबिनार चार प्रमुख विषयों पर आयोजित किया गया
खेल मंत्री ने कहा कि हम अपने प्रशिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग में लाई जा रही आधुनिक तकनीक और उच्च स्तरीय प्रशिक्षण से अवगत कराना चाहते हैं। इसलिए इस वेबिनार सीरीज का आयोजन किया जा रहा है। हमारे प्रशिक्षक इस वेबिनार के माध्यम से नई तकनीक को सीखेंगे जो मप्र के खिलाड़ियों के काम आएगा। भविष्य में भी ऐसे ही वेबिनार आयोजित किए जाएंगे।
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वेबिनार चार प्रमुख विषयों पर आयोजित किया गया है। इसमें पहले दिन गुरुवार को पीरियोडाइजेशन इन टीम स्पोर्ट्स विथ अ फोकस ऑन हॉकी पर चर्चा की गई थी, जबकि दूसरे दिन शुक्रवार को इंजूरी मैकेनिक्स एंड बायोमैकेनिकल कंसीडरेशन टू रिड्यूज इंजूरी रेट्स विथ फोकस ऑन हॉकी पर विस्तार से चर्चा की गई।
इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षकों और साइंस एक्सपर्ट को घुटने की चोट के बारे में विस्तार से बताया गया। इस दौरान 3डी मोशन तकनीक के माध्यम से घुटने की इंजूरी पर चर्चा की। इससे कैसे बचा जाए, इसके सुझाव भी दिए। आगामी 28 अक्टूबर को टेलेंट आइडेंटिफिकेशन टेलेंट ट्रांस्फर एंड डेवलपमेंट विथ अ फोकस ऑन एथलेटिक्स और 29 अक्टूबर को टेक्निक एंड एनालिसिस ऑफ परफॉर्मेंस विथ अ फोकस ऑन एथलेटिक्स विषय पर चर्चा की जाएगी।
Jason Konrath के बारे में
Jason Konrath आईएफबीबी ऑस्ट्रेलियन बॉडी बिल्डिंग चैंपियन रहे हैं। उन्होंने बायोमैकेनिक्स में पीएचडी, एक्सरसाइज और हेल्थ साइंस में डिग्री हासिल की है। उनकी रिसर्च और विशेषज्ञता बायो मैकेनिक और फिटनेस में है।
बायोमैकेनिक में 3डी मोशन तकनीक उन्होंने ही विकसित की है। वे हॉकी इंडिया में पहले साइंटिफिक एडवाइजर भी रहे हैं। उनके अनुभव से कई खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है।