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November 21, 2024
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21वीं सदी जल संघर्ष की नहीं बल्कि जल संरक्षण की होः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

देहरादून: परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और जीवा की अन्तरराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने आज विश्व एकता सप्ताह के वैश्विक एकता उत्सव में मनाये जल दिवस वेबिनार में सहभाग कर जल संकट और जल संरक्षण पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये। विश्व एकता सप्ताह, वैश्विक एकता का 8 दिवसीय उत्सव है, जो संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर मनाया जा रहा है।

इसमें जलवायु परिवर्तन के लिए सामूहिक कार्रवाई, शान्ति के लिए साझेदारी, पारस्परिक सद्भाव, टिकाऊ और सतत विकास, व्यापार और अर्थशास्त्र की भूमिका, मानव अधिकार, निरस्त्रीकरण जैसे कई विषयों पर चर्चा की जा रही है। 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

जल, विश्व एकता सप्ताह का एक प्रमुख विषय है। विश्व एकता जल दिवस आज (24 जून) को मनाया गया, जो कि जल और जल से संबंधित मुद्दों के लिए समर्पित है। आज के वेबिनार में एक प्रमुख बात उभर कर आयी कि दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से मिलकर बना अणु (H2O) जल समस्त प्राणियों और वनस्पति सभी के जीवन का आधार है। जल के प्रदूषण के कारण आज दुनिया के हालात बहुत भयावह हो रहे हैं।

दुनिया के कई शहरों में डे-जीरो लागू किया जाने लगा है। पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। जल वैज्ञानिक तो यह अनुमान भी लगा रहें है कि आने वाले समय में जल संकट एक विकराल समस्या का रूप धारण कर लेगा। वर्ष 2030 तक पृथ्वी की आधी से अधिक आबादी को पीने के लिए पानी मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।

ऐसे में अनेक प्रश्न उठते हैं कि आखिर कहां गया पानी? क्यों पूरी दुनिया के लोग यह मेरा पानी और यह तेरा पानी कर रहे हैं, आखिर किसका पानी, कितना पानी? क्या सचमुच अगर तीसरा विश्व-युद्ध हुआ तो क्या वह पानी के लिए ही होगा या जल स्रोतों पर अधिकार और अधिग्रहण को लेकर लड़ा जाएगा।

जल संरक्षण

जल संकट है वैश्विक समस्या

28 जुलाई, 2010 को संयुक्त राष्ट्र ने पानी को ‘मानवाधिकार’ घोषित किया था लेकिन अब भी स्वच्छ पेयजल के अभाव के कारण पूरे विश्व में प्रतिदिन 2300 लोग मौत की नींद सो जाते हैं। यह है हमारी पानी यात्रा। जल संकट किसी एक राष्ट्र की नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व भर में होने वाली बीमारियों में 86 प्रतिशत से अधिक बीमारियों का कारण दूषित पेयजल है। 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, “जल की समस्या से भारत भी अछूता नहीं है, भारत की बढ़ती जनसंख्या और जल की बढ़ती मांग के कारण जल का संकट एक विकराल समस्या का रूप ले रहा है, इस पर अभी से ध्यान न दिया गया तो यह समस्या विस्फोटक हो सकती है। जिस प्रकार भूगर्भीय जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, उससे तो जल समस्या और भी भयावह हो सकती है। अगर कभी दुनिया से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा?

पानी की कमी का मुद्दा बन सकता है संघर्ष का मुद्दा

भविष्य में पानी की कमी का मुद्दा संघर्ष का मुद्दा भी बन सकता है, इसलिए इस परिस्थिति से बचने के लिये आवश्यक है कि जल संरक्षण को हमारी प्राथमिकताओं में शामिल किया जाये। जल, जीवन ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी तथा धरती पर जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है ताकि जल संसाधनों का प्रबंधन, उनका आवंटन और मूल्यांकन प्रभावी तरीके से किया जा सके। 21वीं सदी जल संघर्ष की नहीं बल्कि जल संरक्षण की हो।”

विश्व एकता जल दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार में परमार्थ निकेतन के संस्थापक, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस स्वामी चिदानन्द सरस्वती, प्रसिद्ध डाक्टर दीपक चोपड़ा, आध्यात्मिक पुस्तकों के लेखक मैरियन विलियमसन, अमेरिकी लेखक, आध्यात्मिक नेता, राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता सुश्री डी किटागावा, विश्व धर्म संसद के न्यासी बोर्ड की अध्यक्ष, अन्तरराष्ट्रीय महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती, चीफ़ फ़िल लेन जूनियर, रेवरेंड माइकल बर्नार्ड बेकविथ, अगापे इंटरनेशनल स्पिरिचुअल सेंटर के संस्थापक, जीन ह्यूस्टन, अमेरिकी लेखिका, लाइला जून जाॅन्सटन, गायक व गीतकार राॅकी डावुनी, एक्टिविस्ट शीये बस्तिडा और अन्य विश्व विख्यात हस्तियों ने सहभाग किया।

यह भी पढ़ें: अमेरिका-चीन की तर्ज पर भारत में भी बने इनडोर वायु प्रदूषण पर नीतिः IIT शोध

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