नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के एक हिस्से के रूप में एक भूखंड का भूमि उपयोग मनोरंजक क्षेत्र से आवासीय में बदलने के मामले पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से तीन दिनों के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी।
याचिका राजीव सूरी ने दायर की है। याचिका में प्लाट नंबर 1 को मनोरंजक क्षेत्र से आवासीय क्षेत्र में बदलने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इस प्लाट पर उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का आवास बनाया जाना है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये प्लाट उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास के लिए है। तब कोर्ट ने उनसे कहा कि इसका मतलब ये है कि मनोरंजन का कोई इलाका नहीं बचा है। क्या मनोरंजन का इलाका कहीं और दिया जा रहा है। आप इसे लेकर अपना रुख स्पष्ट करें।
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सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि संसद और दूसरी चीजें जब नजदीक में होंगी तो सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस इलाके में मनोरंजन का क्षेत्र नहीं रखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। ये प्रोजेक्ट अगस्त 2022 तक पूरा होना है।
5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी। 3 जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से ये फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के बहुमत के फैसले में डीडीए की तरफ से लैंड यूज़ बदलने को सही करार दिया गया है। कोर्ट ने पर्यावरण क्लियरेंस मिलने की प्रक्रिया को सही कहा है।