- विपक्ष ने उठाई संशोधन और सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग
गुवाहाटी: असम विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को सदन में मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने “द कैटल प्रिजर्वेशन बिल 2021” पेश किया। चर्चा के बाद बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा, हमारा देश मूल्य आधारित नीतियों पर प्रतिष्ठित है। संविधान धर्मनिरपेक्ष है किंतु संविधान के पहले पन्ने पर राम और कृष्ण का चित्र अंकित है। संविधान के 25 और 21 आर्टिकल में यह कहा गया है कि मौलिक अधिकार केवल व्यक्तिगत अधिकार की बात करता है, देश के मूल्य बोध की नहीं।
देश को चलाने की नीति मौलिक अधिकार के ऊपर है। हम जिस देश में जन्म लिए हैं वह पांच हजार साल का की प्राचीन सभ्यता पर आधारित है। हम मुस्लिम हो सकते हैं, हम क्रिश्चियन हो सकते हैं, किंतु हमारे पूर्वज कौन हैं? 10-12 पीढ़ी पहले देखा जाएगा तो हम सब के पूर्वज एक हैं।
मुख्यमंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम हेरोइन (ड्रग्स) पकड़ रहे हैं। अगर उसको छोड़ दें तो इकोनॉमी बहुत बढ़ जाएगी। घर-घर में काम मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि क्या इकोनामी गांधीजी नहीं जानते थे। विपक्ष इकोनामी की बात करता है, उनका जवाब गांधी जी ने दिया है। मैं, नहीं दूंगा। गांधी जी ने कहा था कि हिंदू की पहचान तिलक लगाने, पूजा करने से नहीं बल्कि, गौ माता की रक्षा करने से होगा। मेरे पिता बूढ़े हो गए तो क्या उन्हें बेच देंगे। मुख्यमंत्री ने गांधी जी के विचारों को सदन में रखते हुए बिल के पक्ष में तर्क दिया।
उन्होंने कहा कि गांधी जी ने मुसलमानों से गौ रक्षा के लिए अपील किया था। गाय की बिक्री नहीं होती, चोरी हो रही है। विरोधी दल का कहना है कि पशुधन माने गोधन। सरकार पशुधन की विरोधी नहीं है। पशुपालन का मतलब डेयरी, कृषि है। स्लाटर हाउस इस बात का प्रमाण है कि मनुष्य कृतज्ञ्न है। जो, हमें दूध दे रही है उसकी हत्या करना कहां की मानवता है। कांग्रेश मूल्यबोध को भूल गई है।
1951 में गोपीनाथ बरदलै गौ सुरक्षा बिल लाए थे। गुजरात में 1954 में आया था। असम कांग्रेस अपना इतिहास भूल गई है। उसे लगता है कि गौ हत्या करने से ही असम की अर्थव्यवस्था चलेगी। असम में खेती नहीं होती, असम में चाय नहीं है। संप्रदायिक सौहार्द का दायित्व जितना हिंदू का है, उतना ही मुसलमान का भी है। यह एक तरफा नहीं हो सकता। हमारे लिए पांच किमीर छोड़ दीजिए, बाकी सब आपका है। मुझे आपत्ति नहीं अगर आप नहीं खाते हैं। मैं कृतज्ञ रहूंगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, कमलाक्ष दे पुरकायस्थ ने गीता का उदाहरण दिया कि गीता के रचयिता कृष्ण और गौ माता का संपर्क उन्हें नहीं बताना पड़ेगा। माखन चोर, गोपाल किसे कहते हैं। उनका नाम लेकर वह हत्या के समर्थन में बोलना, कृष्ण भी क्या सोचेंगे। गोपीनाथ बरदलै ने कानून बनाया कि 14 साल तक गौ हत्या नहीं कर सकते। 1950 के कानून में हमें इतना परिवर्तन किया कि 14 साल के बाद भी गौ हत्या नहीं कर सकते। स्लाटर हाउस के बाहर नहीं मार सकते। असम से गाय का परिवहन नहीं होगा।
गोपीनाथ बरदलै के कानून में हमने तीन चीज जोड़ा है। अब कांग्रेस गोपीनाथ बरदलै के कानून को नहीं मानती तो मुझे कुछ नहीं कहना। हिंदू दरिद्रता के कारण गाय बेचता है और उसे पता चलता है कि उसकी कुर्बानी हो गई, उसकी आत्मा कांपती है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हिंदू की रक्षा का दायित्व मुसलमान का है। आपके भी पूर्वज एक दिन हिंदू थे। हिंदू एशिया में मुसलमान को कष्ट नहीं हो यह हम चिंता करेंगे।
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मैं आप लोगों की अंतरात्मा को जगाना चाहता हूं। एक नए असम के निर्माण के लिए। मुस्लिम विधायकों को उदार होना पड़ेगा। तब आपका सम्मान बढ़ेगा। जब आप हमारी आस्था, श्रद्धा, विचार का सम्मान करेंगे, हम सभी सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुंबकम की सभ्यता के अंशीदार हैं। मैं बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने का स्पष्ट विरोध करता हूं। मुख्यमंत्री के वक्तव्य के पश्चात विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।
बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के नेता एवं नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने तर्क दिया कि गाय के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध लगाने से गोपालको के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न होगी। क्योंकि, गोपालक बूढ़ी गायों को बेचकर नई गाय खरीदते हैं। अगर पुरानी गाय बेच नहीं पाएंगे तो उन्हें पैसों की समस्या होगी। उल्टे, उन गायों के खाने-पीने और चिकित्सा पर अलग से पैसे खर्च करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि गौशाला का जो विषय बिल में लाया गया है वह कहां तक सफल होगा यह चिंता का विषय है। उन्होंने बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने का सुझाव दिया।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा कि सरकार को 20 हजार करोड रुपए की इससे आमदनी होती है। अगर यह बिल पास हुआ तो सरकार की आमदनी बंद हो जाएगी। इससे फायदा नहीं बल्कि, नुकसान ही होगा। उन्होंने बिल को पास न करते हुए इसे सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग उठाई।
विधायक मनोरंजन तालुकदार ने कहा कि इस बिल से आर्थिक क्षति होगी। जबकि सदन के उप नेता प्रतिपक्ष रकीबुल हुसैन ने चर्चा में भाग लेते हुए बलि प्रथा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि असम भी इससे अछूता नहीं है। कांग्रेस के विधायक कमलाक्ष दे पुरकायस्थ ने बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि बिल में कोई भी स्थिति साफ नहीं है। यहां कैटल प्रिजर्वेशन बिल आ रहा है। जबकि मेघालय में भाजपा के मंत्री ज्यादा गाय खाने की बात कह रहे हैं।
भारत सरकार के बजट का 5.6 रुपया बीफ एक्सपोर्ट से आता है। इस कानून को और कठोर और उपयोगी बनाने के लिए और अधिक चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मैं भी सनातन हिंदू हूं। मेरी भी गौमाता है। इसलिए इस बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए। चर्चा में अमीनुल इस्लाम, सिद्दीक अहमद आदि विधायकों ने भी हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री के संबोधन के बाद असम कैटल प्रिजर्वेशन बिल 2021 सदन में ध्वनि मत से पारित हो गया।