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August 18, 2025
विदेश

इजराइल में क्यों देनी पड़ रही कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज

विश्व में कोरोना वायरस का सबसे तेज़ टीकाकरण इजराइल में हुआ था और दिसम्बर 2020 के मध्य में इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कोविड टीकाकरण की शुरुआत की थी और अभी तक 90 लाख की आबादी वाले इस देश में 80% लोगों को “फाइजर” वैक्सीन की दोनो डोज दे दी गई है।

मगर हाल ही में बेंजामिन नेतन्याहू के शरीर के एंटीबॉडी कम हो चुकी है जिसकी वजह से उन्होंने ही यह कहा है कि जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है उनको तीसरा डोज अवश्य लेना चाहिए।

इजराइल में कोरोना

कैसे बढ़ रहे इजराइल में कोरोना के केस?

मई-जून के महीने में इजराइल में 100 से भी कम केस आते थे। मगर डेल्टा वेरिएंट की वजह से केस में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और अब 2 हज़ार से अधिक केस आने शुरू हो गए हैं।

राहत की बात यह है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगने की वजह से अस्पतालों में भीड़ कम है और घर पर ही इसका इलाज हो जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि वैक्सीन की दो डोज के बजाए तीसरा डोज क्यों दिया जा रहा है?

इसका एकमात्र जवाब है “डेल्टा वेरिएंट”। इसकी वजह से यह शरीर के इम्यून सिस्टम को चकमा देकर शरीर में प्रवेश कर जाता है और शरीर को बीमार कर देता है। इसके अलावा यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से फैलता है।

इजराइल के बुजुर्ग व्यक्तियों में यह देखा जा रहा है कि जिनको कुछ महीनों पहले वैक्सीन की दोनों डोज दे दी गई थी ताकि शरीर में एंटीबॉडी बने और कोरोना वायरस से लड़ सकें।

वह एंटीबॉडी अब कम हो रही है जिसकी वजह से यह तीसरी डोज लेने को कहा जा रहा है। साथ ही इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट ज़ारी करी है और यह कहा है कि जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैक्सीन का असर दो गुना तक कम हो गया है।

Also Read: कोविशील्ड लगाने के बाद कोरोना संक्रमण होने की संभावना 93% हुई कम
कौन सी वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट में अधिक कारगर है?

इंग्लैंड ने अभी हाल ही कुछ कोविड वैक्सीन पर शोध किया और यह पता लगाया कि डेल्टा वेरिएंट में कौन सी वैक्सीन अधिक काम कर रही है। डेल्टा वेरिएंट से “फाइजर” वैक्सीन 88% लड़ने में समर्थ है तथा अल्फा वेरिएंट में 93% कार्य करती है।

वहीं “ऑक्सफोर्ड/एस्ट्रा जैनेका” जिसे भारत में “कोविशिल्ड” के नाम से जानते हैं यह वैक्सीन डेल्टा के खिलाफ मात्र 66% और अल्फा वेरिएंट के खिलाफ 60% ही लड़ने में समर्थ है।

साथ ही यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति कोरोना वायरस को 6 महीने पहले हरा चुके हैं उन्हें डेल्टा का खतरा अधिक है। इस शोध के बाद यह कहा जा रहा है यदि डेल्टा वेरिएंट से बचकर रहना है तो तीसरी डोज की ज़रूरत पूरी दुनिया को है।

वजह यह है कि जिनको वैक्सीन लग चुकी है उनको डेल्टा वेरिएंट अपनी गिरफ्त में आसानी से ले रहा है। शोध में दो देशों की तुलना भी की गई है जिसमें इजराइल तथा कनाडा थे।

कनाडा में भी फाइजर वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है और वहाँ के लोगों की एंटीबॉडी में अभी तक कोई कमीं नहीं आई है और तीसरे डोज की ज़रूरत फिलहाल नहीं है तथा वह डेल्टा वेरिएंट से लड़ने में सक्षम है। वहीं इजराइल में फाइजर वैक्सीन 64% ही अभी तक कारगर साबित हुई है जिसकी वजह से तीसरे डोज की बात चल रही है।

कितनों को संक्रमित करता है डेल्टा वेरिएंट?

जो कोरोना वायरस वुहान से शुरू हुआ था उस वक्त एक व्यक्ति 2-2.5 लोगों को संक्रमित कर सकता है। अल्फा वेरिएंट में एक व्यक्ति 4 से 5 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है और डेल्टा वेरिएंट में 5 से 8 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है इस वजह से अगर अभी सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में यह बीमारी बहुत तेज़ी से फैल सकती है।

भारत पर डेल्टा का क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारत में फिलहाल कोरोना का असर थोड़ा कम है। लेकिन बड़ी बात यह है कि दूसरी लहर आने के बाद अभी भी कोरोना के केस प्रतिदिन 40 हज़ार के ऊपर ही आ रहे हैं।

अभी हाल ही में यह देखा गया है कि लोग बिना मास्क तथा सोशल डिस्टेनसिंग से नाता तोड़ वह आराम से शिमला-मनाली की वादियों में घूम रहे हैं जो कि बेहद ही शर्मनाक बात है।

एकतरफ सरकार लोगों से बार-बार गुज़ारिश कर रही है कि मास्क तथा सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करें पर लोग हैं कि इन सभी दिशा-निर्देशों को नज़रअंदाज़ कर ज़िन्दगी के मजे लेने में जुटे हैं।

यहाँ तक कि लोग अभी भी लापरवाही कर रहे हैं और यदि ऐसे ही चलता रहा तो डेल्टा वेरिएंट को भारत आने में देर नहीं लगेगी और जो भयानक दृश्य अभी कुछ महीनों पहले देश ने देखा था अगर अभी लोग सतर्क नहीं हुए उससे भी बुरा हाल हो सकता है।

-यशस्वी सिंह

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