-मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं ने सावित्रीबाई फुले को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित प्रदेश के अन्य नेताओं ने बुधवार को सावित्रीबाई फुले को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नारी सशक्तीकरण की अप्रतिम प्रतीक, महान समाज सुधारिका, आधुनिक भारत की प्रथम महिला शिक्षिका एवं वंचित वर्गों की शिक्षा और समानता की प्रबल समर्थक क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई का आदर्श जीवन सम्पूर्ण सभ्यता के लिए एक महान प्रेरणा है।
उप्र विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि देश की प्रथम महिला शिक्षिका, समाजसुधारिका व कवयित्री सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने कहा कि आदर्श की प्रतिमूर्ति इन महानायिका का जीवन-सिद्धांत हम सभी के लिए अनुकरणीय है।
नेताओं ने ट्वीट कर सावित्रीबाई फुले को दी श्रद्धांजलि
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका, महान समाज सेविका, महिला एवं वंचित वर्गों की शिक्षा व समानता के लिए सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाली, महिला सशक्तीकरण की प्रतीक सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि समाज सुधार की अग्रदूत और महिला शिक्षिका सावित्रीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। उनके द्वारा महिलाओं और दलितों के लिए अनेक कल्याणकारी कार्य आज भी प्रेरणादायक हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि आधुनिक भारत की प्रथम शिक्षिका, सामाजिक परिवर्तन, नारी उत्थान व शिक्षा के लिए समर्पित सावित्री बाई फुले की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।
सावित्रीबाई फुले नारी मुक्ति आंदोलन की थीं पहली नेता
3 जनवरी 1831 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नामक छोटे से गांव में जन्मी सावित्रीबाई फुले ने अपने पति दलित चिंतक व समाज सुधारक ज्योतिराव फुले से पढ़कर सामाजिक चेतना फैलाई। देश की प्रथम महिला शिक्षक सावित्रीबाई एक मिसाल, प्रमाण और प्रेरणा हैं कि अगर दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति हो तो समाज में नई चेतना का विस्तार किया का सकता है।
जिस समय सावित्रीबाई ने शिक्षा की ज्योति जलाई उस समय लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था, इसके बावजूद भी, उन्होंने नारी शिक्षा के बीड़े को अंजाम तक पहुंचाया और इसके बाद ही समाज से कुंठित वर्ग की नारियां भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आगे आने लगीं।
सावित्रीबाई फुले ने स्वयं पढ़कर अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए कई स्कूल खोले। उन्होंने 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश के सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी। 1897 में पुणे में फैले प्लेग के दौरान सावित्रीबाई ने दिन-रात मरीजों की सेवा की। उन्होंने प्लेग से पीड़ित गरीब बच्चों के लिए कैंप भी लगाया। इसी दौरान इस बीमारी से वह भी ग्रसित हो गईं और 10 मार्च, 1897 को उनका देहांत हो गया। जिन्दगी के आखिरी पलों तक वह मानवता को प्रस्थापित करने के लिए लड़ती रहीं।
यह भी पढ़ें: बाला साहिब गुरूद्वारा में देश का सबसे बड़ा किडनी डायलिसिस अस्पताल दिल्ली में शुरू, होगा मुफ्त इलाज