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August 18, 2025
हेल्थ

क्या जरुरत से अधिक पानी पीना सेहत के लिए है हानिकारक?

पानी पीना शरीर के लिए बेहद ज़रूरी है। ज़ाहिर तौर पर अगर हमें जीवित रहना है तो यह आवश्यक पदार्थ है। लेकिन कुछ लोग ज़रूरत से अधिक पानी का सेवन करने लगते हैं ताकि उनकी किडनी स्वस्थ रहे, चेहरे में चमक बनी रहे इत्यादि। लेकिन यह उनका भ्रम है।

पानी पीने से शरीर को ये सभी फायदे मिलते हैं लेकिन अधिक जल का सेवन करना हमारे शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है । इसके दुष्परिणामों का कथन आयुर्वेद और विज्ञान दोनों में ही कहा गया है।

पानी पीना

आयुर्वेद के अनुसार इसके क्या नकारात्मक प्रभाव हैं:

  • ज़रूरत से अधिक पानी पीना “पित्त” और “कफ” की बीमारियों को बुलावा देता है।
  • हमारे शरीर की पाचन अग्नि को मंद कर देता है
  • अधिक पानी पीने से हमारी पाचन शक्ति बिगड़ सकती है। यानी हम जो भी कुछ खाएंगे वह नहीं पचेगा और पेट दर्द की समस्या उत्पन्न होती है।
  • कई लोग बेमतलब अपनी क्षमता से अधिक पानी पी तो लेते हैं लेकिन उनको यह बात पता नहीं होती कि “सादा पानी” को पचाने के लिए पाचन शक्ति का मजबूत होना ज़रूरी होता है। इस जल को पचने के लिए कम से कम दो से तीन घण्टे का समय लग जाता है।
  • इसका अधिक सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं। जैसे, सूखी खांसी, आलस, पेट में गैस बनना या फिर यदि किसी व्यक्ति को बुखार है और उसने अधिक जल का सेवन कर लिया हो तो उसके नाक से पानी आने की समस्या हो जाती है।

इस प्रकार की बीमारियों का ज़िक्र आयुर्वेद में किया गया है। लेकिन वर्तमान का दौर विज्ञान का हैं और आज के लोग बहुत कम आयुर्वेद पर विश्वास करते हैं मगर विज्ञान पर पूरा भरोसा करते हैं। आधुनिक विज्ञान में भी ज़रूरत से अधिक जल का सेवन करना शरीर के लिए हानिकारक बताया गया है।

“ऑस्ट्रेलिया” के “मोनाश यूनिवर्सिटी” में हुई इस पर रिसर्च के मुताबिक कई कथन कहे गए हैं जो कि इस प्रकार हैं:
  • यदि कोई व्यक्ति यह सोचकर अपनी क्षमता से अधिक जल का सेवन करता है कि यह उसके लिए लाभदायक होगा तो वह व्यक्ति पूर्ण रूप से गलत है। 
  • अधिक जल गृहण करने से चर्म रोग की समस्या भी पैदा हो सकती है।
  • हमारे शरीर में अनेक प्रकार के नमक पाए जाते हैं और उन्हीं में से एक “सोडियम” है। अधिक जल का सेवन करने से इसका बैलेंस बिगड़ जाता है जिससे “हाइपोनैट्रेमिया” बीमारी का जन्म होता है। यह तब होता है जब शरीर में नमक की मात्रा कम हो जाती है। इसका प्रभाव यह होता है कि शरीर में सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है। “एडिमा” का रोग भी हो सकता है। इसमें यदि कोई व्यक्ति उंगली से अपने शरीर में किसी भी जगह पर दबाएगा तो वहाँ गड्ढा हो जाता है इसी को एडिमा कहते हैं और सोडियम की कमी से होता है। लेकिन यदि वह व्यक्ति फिर भी इसे लेकर नहीं चेता और अपनी आदत में बदलाव नहीं किया तो यह एडिमा उसके दिमाग तक पहुँच जाएगा और हो सकता है कि वह व्यक्ति “कोमा” में जा सकता है। यहाँ तक कि उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इसके अधिकतर केस विदेशों में देखे भी जा चुके हैं। ऐसे में देखा जाए तो एक छोटी से गलती इंसान की मौत का कारण बन सकती है। 
  • इसके अलावा अधिक जल का सेवन करने से मांसपेशियों में ऐठन, बेचैनी इत्यादि होने लगती है।
  • व्यक्ति अगर अधिक पानी पीता है तो शरीर की खाली जगहों में यह भरने लगता है। जैसे सेल्स में इसकी वजह से सूजन होने की संभावना रहती है, फेफड़ों में और यदि वही पानी दिमाग तक चला गया तो मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
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Drinking-Water
किसी व्यक्ति को कितना पानी पीना चाहिए?

यह सभी बीमारियां विज्ञान के अनुसार हैं और अगर इन सभी से बचकर रहना है तो शरीर की ज़रूरत के अनुसार उतना ही पानी पिएं जितनी ज़रूरत हो। लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसी व्यक्ति को कितना पानी पीना चाहिए?

तो इसका जवाब है कि हर इंसान की अपनी अलग क्षमता होती है। जैसे कोई व्यक्ति अधिक भोजन करता है तो कोई कम। इसी तरह अपनी क्षमता के अनुसार ही जल का भी सेवन करना चाहिए।

यदि हमें लगे कि हमारी प्यास अब खत्म हो गई है तो उसके बाद पानी नहीं पीना चाहिए। कई लोग इस भ्रम में रहते हैं कि प्रतिदिन आठ गिलास पानी तो कम से कम पीना ही चाहिए। जिसकी वजह से अनजाने में वह अधिक जल का सेवन करना शुरू कर देते।

इसका परिणाम यही होता है कि आने वाले समय में उनको इसी तरह के रोगों से पीड़ित होना पड़ता है और वह इस बात से वाकिफ भी नहीं हो पाते कि इसका कारण अधिक जल का सेवन करना है। तो अगर आप भी ज़रूरत से अधिक पानी पी रहे हैं तो सचेत होने का वक्त आ गया है और उतना ही पानी पीजिये जितना शरीर को आवश्यकता हो।

-यशस्वी सिंह

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