हिंदी फिल्मों के गीतों का जिक्र होते ही बॉलीवुड की मशहूर जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी का नाम सहसा जहन में आ जाता है। बॉलीवुड की यह फेमस जोड़ी 24 अगस्त, 2000 को Kalyanji Virji Shah के निधन के साथ हमेशा के लिए अलग हो गई, लेकिन इस जोड़ी ने साथ में मिलकर बॉलीवुड गीतों को एक नया आयाम दिया और उसे ऊंचाइयों पर पहुंचाया। आज हम अपने पाठकों को कल्याणजी की 93वीं जयंती पर बता रहे हैं कल्याणजी से जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।
30 जून 1928 को गुजरात के कच्छ में जन्में Kalyanji Virji Shah का पूरा नाम कल्याणजी वीरजी शाह था। कल्याणजी के पिता का नाम वीरजी था। एक समय पर कल्याणजी का पूरा परिवार गुजरात से मुंबई आ गया और यहां कल्याणजी के पिता ने एक किराने की दुकान खोली । उनके दुकान से एक ग्राहक सामान तो लेता लेकिन पैसे नहीं चुका पा रहा था।
फिल्म नागिन में कल्याणजी ने दी थी अपनी पहली धुन
जब एक दिन Kalyanji Virji Shah के पिता ने उधारी चुकाने के लिए कहा तो उस शख्स ने उनके दोनों बेटों कल्याणजी और आनंदजी को संगीत सिखाने की जिम्मेदारी ली। इस तरह उधारी के पैसे को चुकाने के लिए Kalyanji Virji Shah को संगीत की शिक्षा मिली। इसके बाद दोनों की रुचि संगीत में बढ़ने लगी और उन्होंने तय किया कि वह संगीत की दुनिया में ही अपना भविष्य बनाएंगे।
कल्याणजी ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत क्लेवायलीन बजाकर किया था, यह वही वाद्ययंत्र है जिससे 1954 में आई फिल्म ‘नागिन‘ में फेमस ‘नागिन बीन‘ बजाया गया था। बाद में कल्याणजी ने अपने भाई आनंदजी के साथ मिलकर ‘Kalyanji Virji Shah and Party‘ नाम से एक आर्केस्ट्रा कंपनी बनाई थी जो देश के अलग -अलग हिस्सों में म्यूजिक शो परफॉर्म करती थी। धीरे- धीरे कल्याणजी -आनंदजी ने अपने म्यूजिक से हर किसी का ध्यान आकर्षित करने लगे।
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हर कोई अब म्यूजिक पसंद कर रहा था और उनके साथ काम करना चाहता था। विदेशों से भी कल्याणजी-आनंदजी को परफॉर्म करने के ऑफर मिलने लगे । साल 1958 में Kalyanji Virji Shah ने अपनी पहली फिल्म ‘सम्राट चन्द्रगुप्त‘ में म्यूजिक दिया जिसे काफी सराहा गया। उस फिल्म का गीत ‘चाहे पास हो‘ लोगों की जुबान पर चढ़ गया।
Kalyanji Virji Shah को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के नेशनल अवार्ड के साथ मिले और कई सारे अवार्ड
इसके बाद कल्याण आनंदजी ने 1960 में आई फिल्म छलिया, 1965 में आई फिल्म हिमालय की गोद में, 1970 में आई फिल्म पूरब और पश्चिम आदि कई फिल्मों में संगीत दिए और देखते -देखते संगीत की दुनिया का एक बड़ा और मशहूर नाम बन गए। उन्होंने बॉलीवुड संगीत को नया आयाम दिया और बुलंदियों का आसमान बख्शा।
साल 1968 मे प्रदर्शित फिल्म ..सरस्वती चंद्र के लिये कल्याणजी.. आनंद जी को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का नेशनल अवार्ड के साथ..साथ फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया। इसके अलावा वर्ष 1974 मे प्रदर्शित कोरा कागज के लिये भी कल्याणजी..आनंद जी को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। कल्याणजी-आनंदजी ने एक साथ मिलकर लगभग 250 फिल्मों में संगीत दिया है, जिनमें से 17 गोल्डन जुबली और 39 सिल्वर जुबली फिल्में थी।
Kalyanji Virji Shah अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन संगीत जगत में दिए गए उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा। कल्याणजी संगीत जगत का वह स्वर्णिम अध्याय हैं, जिन्हे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। संगीत की दुनिया में कल्याणजी का नाम सदैव आदर व सम्मान के साथ लिया जायेगा।