35.1 C
New Delhi
May 19, 2024
मनोरंजन

रजनीकांत को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार: कुछ यूं हुई थी फिल्मी सफर की शुरुआत

नई दिल्ली: साल 2019 का दादा साहेब पुरस्कार दक्षिण भारत के जिस सुपरस्टार रजनीकांत देने की घोषणा हुई है, उनका फिल्मी सफर बड़ा रोचक है। चलिए जानते हैं कि रजनीकांत का फिल्मों से नाता कैसे जुड़ा और कैसे वे दक्षिण भारत में थलइवा के रूप में लोगों के दिलों में बस गए — 

सुपरस्टार रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को बंगलुरू में हुआ। उनके प्रति लोगों की दीवानगी इस हद तक है कि तमिलनाडु में लोग उन्हें ‘भगवान’ मानते हैं। रजनीकांत की फिल्में सुबह साढ़े तीन बजे तक रिलीज हो जाती हैं। कुली से सुपरस्टार बनने वाले रजनीकांत कभी यहां तक नहीं पहुंच पाते, अगर उनके दोस्त राज बहादुर ने उनके अभिनेता बनने के सपने को जिंदा न रखा होता। अपने पिता रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी राव गायकवाड़ (रजनीकांत) सबसे छोटे हैं। जब वे पांच साल के थे, तभी उनकी मां जीजाबाई का निधन हो गया था।

घर के हालात खराब हो रहे थे, जिसकी वजह से Rajnikanth को कुली तक का काम करना पड़ा। जब वे बड़े हुए तो मुंबई की बस में कंडक्टर की नौकरी करने लगे। रजनीकांत अभिनेता बनना चाहते थे। उनके इस सपने को दोस्त राज बहादुर ने जिंदा रखा और उन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के लिए कहा। Rajnikanth आगे बढ़ते गए और फिर फिल्मों में काम करने लगे।

सुपरस्टार रजनीकांत

अपूर्वा रागनगाल फिल्म से की शुरुआत

Rajnikanth ने अपने करियर की शुरुआत साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से की थी। इस फिल्म में उनके अलावा कमल हासन और श्रीविद्या जैसे बड़े स्टार्स ने भी काम किया था। रजनीकांत ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में निगेटिव भूमिका निभाई। पहली बार रजनीकांत ने फिल्म ‘भुवन ओरु केल्विकुरी’ में हीरो की भूमिका निभाई थी। उनकी फिल्म ‘बिल्ला’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और इसी ने रजनीकांत को लोगों की नजरों में ला दिया। साल 1983 में उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा। उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘अंधा कानून’ थी। रजनीकांत ने इसके बाद सिर्फ तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं। कुछ साल पहले उनकी फिल्म रोबोट ने भी देश विदेश में खूब तारीफ बटोरी। आज वे दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े स्टार कहे जाते हैं।

राजनीति से किया किनारा

रजनीकांत ने साल 2018 में राजनीति में आने का मन बनाया था। साल 2021 में होने वाले तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में उनकी भागीदारी अहम मानी जाने लगी थी। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की भी घोषणा की, लेकिन फिर स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से किनारा कर लिया।

देविका रानी को मिला था पहला दादा साहेब पुरस्कार

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार साल 1969 में भारतीय सिनेमा के पितामह दादासाहेब फाल्के की जन्मशती वर्ष के अवसर पर शुरू हुआ था। दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता को 10 लाख रुपये, स्वर्ण कमल तथा एक शॉल दिया जाता है। यह पुरस्कार सबसे पहले देविका रानी को दिया गया था। अब तक 50 फिल्मी हस्तियों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। इनमें आशा भोंसले, शशि कपूर, लता मंगेशकर, यश चोपड़ा, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: होली स्पेशल गीत: मशहूर है आज भी होली के ये बॉलीवुड गीत

Related posts

8 जनवरी से शुरू कोलकाता फिल्म फेस्टिवल, 131 फिल्में होंगी प्रदर्शित

Buland Dustak

आखिर कौन हैं ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’? जिनका किरदार निभाकर आलिया हो रही ट्रेंड

Buland Dustak

फिल्म सिटी को यूपी में मिली मंजूरी, मथुरा से वेब सीरीज की शूटिंग शुरु

Buland Dustak

दिल को छू लेने वाला है सुशांत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ का ट्रेलर

Buland Dustak

16 साल की टिकटॉक स्टार सिया कक्कड़ के सुसाइड पर जय भानुशाली ने कही ये बात

Buland Dustak

नए पोस्टर के साथ ‘चेहरे’ के ट्रेलर का ऐलान, अब इस दिन को होगी रिलीज

Buland Dustak