भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के करीब सवा लाख कर्मचारी गुरुवार को एक दिन की हड़ताल पर रहे। दरअसल एलआईसी कर्मचारी आईपीओ लाने और प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ बैंक कर्मचारियों के बाद एक दिन की हड़ताल पर रहने का का आह्वान किया था।
इस बार के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाने का ऐलान किया था। जानकारों का कहना है कि सरकार की योजना एलआईसी की दस फीसदी हिस्सेदारी बेचने की है। नेटवर्थ रिसर्च के मुताबिक फिलहाल एलआईसी की मौजूदा वैल्यू करीब 12 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में अगर विनिवेश के जरिये इसके दस फीसदी हिस्से को बेचा जाता है तो सरकार को करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे।
सरकार के इन प्रस्तावों का बैंक कर्मचारी यूनियन्स और इंश्योरेंस इम्पलाइज एसोसिएशन की ओर से पुरजोर विरोध किया जा रहा है। इसी सप्ताह 15 और 16 मार्च को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल की थी। कर्मचारी यूनियन्स ने सरकार से अपने विनिवेश और निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की थी।
हड़ताल के दिन ही सरकार ने राज्यसभा में पेश किया बीमा संशोधन विधेयक
उधर, एलआई के कर्मचारियों के हड़ताल के दिन ही सरकार ने राज्यसभा में बीमा संशोधन विधेयक पेश कर दिया। इस विधेयक में इंश्योरेंस कंपनियों में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी से बढाकर 74 फीसदी करने का प्रावधान है। हालांकि, राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक पर नए सिरे से समीक्षा करने की मांग करते हुए कहा कि इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एक ओर इंश्योरेंस कंपनियों में विदेश निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का फैसला किया है, जिसके लिए राज्यसभा में विधेयक लाया गया है। एलआईसी का आईपीओ लाने का फैसला भी केंद्र सरकार ने पहले ही ले लिया है। एलआईसी के कर्मचारियों ने इसी के विरोध में एक दिन की हड़ताल का अह्वान किया था।
ऑल इंडिया इंश्योरेंस इम्प्लाइज एसोसिएशन ने कहा कि हम एलआईसी का आईपीओ लाने और एफडीआई की सीमा 74 फीसदी करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हैं। दरअसल एलआईसी एसोशिएसन का कहना है कि एलआईसी भारत के लोगों का विश्वास है, जबकि सरकार के इन फैसलों से लोगों एलआाईसी पर भरोसा और विश्वास कम होगा।
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