नई दिल्ली: भारत सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर ट्रेड मार्जिन को 70 फीसदी तक सीमित करने का आदेश जारी किया है। ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) 2013 के पैरा 19 के प्रावधानों के तहत नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी रोकने और इसे तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर आम लोगों को उपलब्ध कराने के लिए ये आदेश जारी किया है।
इसके साथ ही एनपीपीए ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के कारोबारियों को नए ट्रेड मार्जिन की सीमा के हिसाब से अगले 7 जून तक संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के बारे में भी पूरी जानकारी उपलब्ध कराने निर्देश दिया है, ताकि देश में Oxygen Concentrator के कारोबार में हो रही मनमानी पर रोक लगाई जा सके। सरकार के इस कदम से उन मरीजों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें ऑक्सीजन की कमी हो जाने की स्थिति में Oxygen Concentrator का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए 198 फीसदी तक वसूली जा रही थी ट्रेड मार्जिन
उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर में ऑक्सीजन की कमी मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए परेशानी की एक बड़ी वजह बन गई थी। कोरोना पीड़ित मरीजों के तीमारदार ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तक के लिए लोग काफी परेशान होते रहे। इस दौरान ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी होने की भी कई खबरें आईं। इसके अलावा ओपन मार्केट में भी Oxygen Concentrator के लिए डिस्ट्रीब्यूटर स्तर पर 198 फीसदी तक ट्रेड मार्जिन वसूलने की सरकार को शिकायत मिली।
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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए कारोबारियों द्वारा मनमाने अंदाज में ट्रेड मार्जिन की वसूली करने के कारण जरूरतमंदों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए भारी-भरकम राशि अदा करनी पड़ी। वहीं लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए कारोबारियों ने जमकर मुनाफा कमाया। जानकारों के मुताबिक इसी वजह से नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने ड्रग प्राइसेज कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) 2013 के पैरा 19 के प्रावधानों के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कीमत पर डिस्ट्रीब्यूटर स्तर पर ही ट्रेड मार्जिन फिक्स कर दिया है, ताकि इसके कारोबारियों को भी नुकसान न हो और जरूरतमंदों को सही कीमत पर Oxygen Concentrator उपलब्ध हो सके।
नॉन शेड्यूल दवा की श्रेणी में आता है Oxygen Concentrator
इस संबंध में नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का निर्माण करने या उनका आयात करने वाले कारोबारियों से 7 जून तक ट्रेड मार्जिन के नए आदेश के हिसाब से संशोधित एमआरपी (अधिकतम विक्रय मूल्य) के बारे में जानकारी मांगी है। 7 जून तक ये जानकारी मिल जाने के बाद एनपीपीए अगले एक सप्ताह के अंदर संशोधित एमआरपी को पब्लिक डोमेन में डाल देगा, ताकि इससे अधिक कीमत पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की बिक्री करके कोई भी कारोबारी गलत तरीके से मुनाफा अर्जित ना कर सके। बताया जा रहा है कि संशोधित एमआरपी जारी हो जाने के बाद इसका उल्लंघन करने वाले कारोबारियों के खिलाफ ड्रग प्राइसिंग कंट्रोल ऑर्डर 2013 के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कोरोना संक्रमण के इस दौर में केंद्र सरकार पूरे देश भर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की उपलब्धता सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है, ताकि जरूरतमंद मरीजों को तत्काल राहत मिल सके। Oxygen Concentrator नॉन शेड्यूल दवा की श्रेणी में आता है। मौजूदा समय में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के नियमों के तहत इसके कारोबार को रेगुलेट किया जाता है। इसके कीमत पर नियंत्रण करने के लिए ड्रग प्राइसिंग कंट्रोल ऑर्डर 2013 के प्रावधानों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि इसकी कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके।
इसके पहले फरवरी 2019 में एमपीपीए ने कैंसर की दवा पर भी डीपीसीओ 2013 के पैरा 19 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ट्रेड मार्जिन को फिक्स कर दिया था, ताकि कैंसर के मरीजों को राहत मिल सके। फरवरी 2019 के बाद पहली बार एनपीपीए ने डिस्ट्रीब्यूटर स्तर पर ट्रेड मार्जिन को फिक्स किया है।