भारत और चीन के बीच पिछले साल “गलवान घाटी” में हुई झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच की गहमागहमी अभी तक थमी नहीं है और यही वजह है कि आए दिन दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले यह खबर आई थी कि चीन ने सिक्किम बार्डर के पास कुछ सैनिकों की टुकड़ी भेजी है लेकिन भारत की तरफ से अभी तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया था।
मगर अब हिंदुस्तान भी इसे लेकर सजग हो चुका है और यही वजह है कि करीब 50 हज़ार सेना के जवान जो कि पाकिस्तान के “लाइन ऑफ कंट्रोल” पर तैनात थे उन्हें अब “लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल” पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं, जो कि चीन के साथ है। अब तक इतिहास में पहली बार भारत ने ऐतिहासिक कड़ा कदम चीन के प्रति उठाया है। यह सभी सैनिक उत्तराखण्ड, अरुणांचल प्रदेश और लद्दाख के बार्डर में भेज दिये गए हैं।
2 लाख से अधिक भारतीय सैनिक हैं बॉर्डर पर तैनात
वहीं दूसरी ओर चीन ने पहले ही अपनी सेना तैयार कर रखी है जिसमें 2 लाख से अधिक सैनिक भारत से सटे बार्डर पर तैनात हैं और भारत ने भी कड़ा रुख अपना कर अपने सैनिकों की संख्या भी 2 लाख से अधिक कर दी है। ऐसे में अगर युद्ध हुआ तो मुकाबला बराबरी का होगा। सवाल यह है कि आखिर युद्ध तो शुरू हुआ भी नहीं है तो दोनों देश अपनी सेना को बार्डर पर क्यों तैनात कर रहे है? तो इसका जवाब है कि चीन कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता क्योंकि आने वाले समय में हो सकता है कि चीन ताइवान पर कब्ज़ा करने के लिए हमला करे।
यह बात खुद ताइवान ने कबूल की है कि चीन उसके ऊपर बहुत जल्द हमला कर सकता है। ऐसे में चीन के अधिकतर सैनिक ताइवान से जंग लड़ रहे होंगे और इधर कहीं भारत उसके ऊपर हमला ना कर दे, इस वजह से चीन ये सब तैयारियाँ ज़ोरों से कर रहा है। इसके अलावा भारत से सटी है तिब्बत बार्डर जिसे “रूफ ऑफ दी वर्ल्ड” कहते हैं। इसका क्षेत्र काफी उठा हुआ रहता है, साथ ही ऑक्सीजन की कमी भी महसूस होती है। अब भारत के सैनिक अधिकतर समतल जगह से आते हैं जैसे कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब इत्यादि।
फौज को तिब्बती बॉर्डर की ऊंचाइयों पर युद्ध करने की ट्रेनिंग दे रहा चीन
अगर उनको ऊँचाई में युद्ध करने का अभ्यास नहीं होगा तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसी लिए अधिकतर भारतीय सैनिक तिब्बती बार्डर पर तैनात किए जा रहे हैं और साथ में इन्हें ट्रेनिंग भी दी जा रही है, ताकि चीन कुछ चालबाज़ी दिखाता है तो उसको करारा जवाब भी दिया जा सके। यही हाल चीन का भी है क्योंकि उसके सैनिक भी अधिकतर समतल जगह से ताल्लुकात रखते हैं। ऐसे में वह भी अपनी फौज को तिब्बती बार्डर में भेजकर ऊँचाई में युद्ध करने की ट्रेनिंग दे रहा है।
बड़ा प्रश्न यह है कि क्या भारत और चीन के बीच युद्ध होने के आसर बढ़ गए हैं? जिस प्रकार से दोनों देशों के बीच की गर्माहट बढ़ रही है उसे देख कर यही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में अगर नोकझोंक या छुट-पुट लड़ाई हो जाए तो उसमें कोई नई बात नहीं होगी। इसके पीछे की वजह यह है कि चीन ने भारत के बार्डर पर “S 400” को सक्रिय कर दिया है जो कि भारत के लिए चिंता का विषय है।
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बड़ी बात यह है कि अपने देश में भी रूस से “S-400” 2021 दिसम्बर के महीने में आ जाएगा। उसे सीखने में करीब 4-5 महीना लग सकते हैं। अगर युद्ध 2022 में होता है तो दोनों देश के पास “S-400” रहेगा लेकिन अगर उससे पहले होता है तो भारत के लिए थोड़ी परेशानी पैदा हो सकती है।
भारत चीन के इस युद्ध से किसे फायदा और किसे नुकसान?
इसके अलावा चीन अपनी तरफ बम निरोधक बंकर, फाइटर जेट को सुरक्षित रखने की व्यवस्था, टैंक, रॉकेट इत्यादि जैसी तैयारियां तिब्बत के बार्डर पर कर रहा है। ऐसे में हिंदुस्तान को भी जल्द से जल्द बार्डर पर हथियारों की व्यवस्था करनी होगी। बड़ा सवाल यह भी है कि क्या बातचीत से हल निकल सकता है? फिलहाल तो अब तक जितनी भी बातचीत दोनों देशों के बीच हुई है वह निरर्थक ही साबित हुई है।
अब तक कई बार भारत चीन से गुज़ारिश कर चुका है कि अपने सैनिकों को भारत के बार्डर से हटा कर इस मुद्दे को खत्म करें, पर चालबाज़ चीन है कि अपने सैनिकों को दिखावे के लिए पीछे करके फिर से उन्हें बार्डर पर तैनात कर देता है। इन्हीं सब गतिविधियों को देखते हुए ही भारत ने इस पर यह ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस युद्ध से किसे फायदा और किसे नुकसान?
युद्ध हमेशा विनाश का कारण होता है। ऐसे में दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं। इसके अलावा अन्य शक्तिशाली सैन्य साधन भी मौजूद हैं। आज का हिंदुस्तान 1962 वाला नहीं रहा जो चीन से हार जाए और यह बात शी ज़िंपनिंग भी अच्छे तरीके से जानते हैं। इसी लिए इन्होंने अभी तक भारत पर हमला करने की हिमाक़त नहीं की। उम्मीद यही है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच कड़वाहट थोड़ी कम होने की उम्मीद है।