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कैसे ‘क्रोध’ सेहत को प्रभावित करता है?

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं सकारात्मक और नकारात्मक। वैसे ही इंसानों में भी सकारात्मक और नकारात्मक विचार आते हैं जो कि स्वाभाविक है। जब सकारात्मक विचार आते हैं तो व्यक्ति प्रसन्न होता है और जब नकारात्मक विचार आते हैं तो व्यक्ति दुःखी और क्रोधित होता है। हर व्यक्ति को गुस्सा आता है जो कि आम बात है लेकिन कई बार अधिक क्रोध की वजह से ऐसी चीज़े कर बैठता है जिसकी वजह से उसे ज़िन्दगी भर अपने किए पर पछतावा होता रहता है।

क्रोध

कई बार व्यक्ति क्रोध करके अपने कार्य को कराने का प्रयास करते हैं। इससे उनको तो यह ज्ञात ही नहीं होता परन्तु उनके आस-पास के लोगों में उनकी छवि बेहद ही खराब बनती है। क्या कोरोना वायरस के आने के बाद से लोगों को गुस्सा और आने लगा है? तो इसका जवाब यह है “हाँ”। अगर आप आंकड़ों पर गौर करेंगे तो इस बीच “घरेलू हिंसा” में बढ़ोतरी हुई है। जब से कोरोना वायरस आया है तो लोगों को लॉकडाउन की वजह से घर में रहना पड़ रहा है और लोगों में इतना तनाव आ चुका है कि वह छोटी-छोटी बातों में गुस्सा करने लगे हैं और जब क्रोध आता है तो व्यक्ति का “ब्लड प्रेशर” भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से उसके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।

छोटी छोटी चीजों में ढूंढे खुशियां, खामियों को करें नज़र अंदाज़

ऐसी स्थिति में लोगों को लॉकडाउन को सकारात्मक नज़रिये से देखना चाहिए जैसे कि वह अपने परिवार के इतने समय एक साथ रह रहे हैं। परिवार को इतना समय दे पा रहे हैं। वहीं छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें नज़र अंदाज़ करना चाहिए। लॉकडाउन में आपको ऐसी चीजें सीखनी चाहिये जिसमें व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को और बेहतर बना सके। यह सब चीज़ें करने से तनाव में कमी आएगी और क्रोध भी कम आएगा। सवाल ये भी बनता है कि आखिर हमें क्रोध आता ही क्यों है?

तो इसका जवाब है क्रोध आना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन हद से अधिक क्रोध करना, बेहद ही दुष्परिणाम लाता है। यदि कोई व्यक्ति अगर छोटी बात पर डाँट- फंटकार लगा देता है तो सामने वाला व्यक्ति चाहे तो बिना जवाब दिये या फिर ज़रा सी मुस्कुराहट के साथ वहाँ से चला जाए तो सारा मामला वहीं समाप्त हो सकता है। लेकिन ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है और व्यक्ति का पारा इतना चढ़ जाता है कि मात्र छोटी सी बात पर नौबत हाथापाई पर आ जाती है जो कि उचित नहीं है।

हद से ज्यादा गुस्सा होता है काफी नुकसानदायक

उदाहरण के तौर में अगर किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति की गाड़ी हल्की सी टक्कर मार दी उसके बाद उस व्यक्ति ने माफी भी मांग ली लेकिन सामने वाला व्यक्ति इन सबको नज़र अंदाज़ करके सीधा हाथापाई पर ही उतारू हो जाता है। आज के समय में इंसानो में धैर्य की कमी बहुत ही अधिक है जिसकी वजह से जब वह अपना धैर्य खो देते है तो उनका गुस्सा आपे से बाहर हो जाता है। तो जब भी ऐसी कोई घटना घटित हो तो सबसे पहले अपने क्रोध को काबू करना चाहिए वरना इसका नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।

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अब प्रश्न ये भी उठता है कि आखिर हम अपने गुस्से पर काबू कैसे कर सकते हैं? इसको उदाहरण के तौर में समझते हैं जैसे कि जब भी कोई व्यक्ति को अपमानित किया गया हो या बहस करते समय गलत तंज कसा गया हो तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को उन सारी बातो को लगातार सोचने के बजाए उसी वक्त उसी जगह पर छोड़ कर चले आना चाहिए। क्योंकि अगर आप उसी बात को लगातार सोचते रहेंगे तो यह आपको विचलित करता रहेगा और आपके अंदर उस व्यक्ति के प्रति क्रोध बढ़ता जाएगा और अगर उस व्यक्ति को जवाब ही देना है तो उसके बोले गए शब्दों को सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल कर अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करके उस व्यक्ति को जवाब देना चाहिए।

क्या क्रोध करने से मुसीबतों का निवारण हो सकता है?

इसके अलावा अपने दिमाग को तरोताज़ा रखने के लिए “मेडिटेशन” करना चाहिए। अगर जिस व्यक्ति को अधिक क्रोध आता है और वह मेडिटेशन करना शुरू कर दे तो वह अपने गुस्से पर आराम से काबू पा सकता है। एक तरह से अधिक क्रोध का इलाज मेडिटेशन ही है। प्रतिदिन मेडिटेशन करने से व्यक्ति का दिमाग बेहद ही स्वस्थ रहता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उतपन्न होती है और नकारात्मक ऊर्जा का खात्मा होता है।

इसके अलावा अधिक मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। यह व्यक्ति की सेहत को तो बिगाड़ता ही है उसके अलावा क्रोध को भी बढ़ाता है। अधिक गुस्सा उन्हीं व्यक्तियों को आता है जिनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होती है। ऐसे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आपको अपना व्यक्तित्व को उभारना होगा जैसे कि अपना ज्ञान बढ़ाना होगा, अपनी सोच सही रखनी होगी और अपने आप को व्यवहार कुशल बनाना होगा। इन सब का पालन अपने जीवन में करने से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है।

इतिहास गवाह है कि जिस व्यक्ति को गुस्सा कम आया है उसने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है चाहे वह पूर्व भारतीय कप्तान “कैप्टन कूल” महेंद्र सिंह धोनी हों या फिर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति “जेफ बेजास” हों इन सभी ने अपने गुस्से पर काबू पाया है और तभी ये आज इतने सफल हैं। तो चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत क्यों ना आ जाए व्यक्ति को क्रोध में ना आकर बल्कि अपने चेहरे में एक मुस्कुराहट रख कर उस मुसीबत का हल ढूंढना चाहिए क्योंकि मुश्किलें हमेशा अपने साथ उसका हल ज़रूर लाती हैं।

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