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June 25, 2025
देश

ओलम्पिक में भी चीन का बहिष्कार, भारत ने भी चीनी प्रायोजक को हटाया

कोरोना वायरस की वजह से आज पूरी दुनिया सहम सी गई है। इंसानों की मौत का आलम यह है कि आज दफनाने के लिए कब्र और जलाने के लिए लकड़ियां तक खत्म हो गईं हैं। इस भयावह स्थिति के पीछे सारे देशों की आशंका सिर्फ चीन पर ही है। अधिकतर देशों का ये मानना भी है कि यह वायरस चीन की वुहान लैब से निकला है। ऐसे में किसी भी देश के संबन्ध चीन के साथ कैसे अच्छे हो सकते हैं। यही वजह है कि भारत ने भी कई चीनी एप को पिछले साल भारत में प्रतिबन्ध लगा दिया था।

चीन का बहिष्कार

इसके अलावा IPL में भी चीनी मोबाइल कम्पनी विवो की स्पॉन्सरशिप को हटा दिया था। भारत के द्वारा ये कड़े कदम उठाए जाने के बाद चीन को भी आर्थिक नुकसान सहन करना पड़ रहा है। इसी बीच जापान में होने वाले टोक्यो ओलम्पिक 2020 में भी भारत ने चीनी प्रायोजक “ली निंग” को हटा दिया है। भारतीय ओलम्पिक संघ के अनुसार यह बताया गया कि इस बार भारतीय टीम बिना किसी ब्रांड के ओलम्पिक में शिरकत करेगी।

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हालांकि चीनी कम्पनी के अलावा अगर जल्द से जल्द कोई ब्रांड मिल जाता है तब फिर भारतीय टीम ब्रांड के साथ से ही यहां से टोक्यो के लिए प्रस्थान करेगी। बात करें ली निंग की तो यह 2016 रियो ओलम्पिक और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारतीय टीम का प्रायोजक बना था। इसके अलावा भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु के प्रायोजक भी ली निंग कम्पनी ही है। लेकिन चीन के साथ भारत के रिश्ते फिलहाल तो बदहाल हैं इस वजह से इस बार इस ब्रांड कम्पनी को हटाना पड़ा है।

चीनी कम्पनी का प्रायोजक होना भारत की लिए है फायदेमंद

बड़ी बात यह है कि इस साल भारत का ली निंग से करीब पांच करोड़ का करार हुआ था। अब सवाल यह है कि आखिर भारत जब भी किसी प्रायोजक को हटाता है तो वह हमेशा चीन ही क्यों होता? तो इसका जवाब यह है कि चाहे वह खेल सामग्री का उत्पादन हो या फिर खेल उपकरण हों, भारत कहीं ना कहीं चीन के ऊपर आश्रित है। हम जो भी खेल के उपकरण मंगाते हैं वो पचास प्रतिशत चीन से ही आता है।

Boycott Chinese sponsorship

वहीं दूसरी ओर चीनी कम्पनी भारत में अधिकतर प्रायोजक बनती हैं क्योंकि भारत में जनसँख्या अधिक होने की वजह से उनके ब्रांड की बिक्री में तेज़ी से बढ़ोतरी होती है और इसके लिए भारत को भी भारी-भरकम रकम भी दी जाती है। ऐसे में अगर चीनी कम्पनी और भारत एक साथ काम ना करें तो इसका फायदा और नुकसान दोनों को ही उठाना पड़ता है। अभी के लिए सिर्फ भारत ने ही चीनी कम्पनी का बहिष्कार किया है। अब अन्य देश क्या करते हैं यह देखने योग्य होगा।

इन सबके बीच 2022 में चीन के बीजिंग में शीतकालीन ओलम्पिक होना है और जिस हिसाब से अभी परिस्थिति है उसे देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि क्या भारत उसमें शिरकत करेगा भी कि नहीं? साथ ही अमेरिकी हाउस ऑफ रेप्रेसेंटेटिव की स्पीकर नैन्सी पेट्रीसिया के द्वारा बीजिंग ओलम्पिक 2022 को बहिष्कार करने को कहा था। अब सवाल यही है कि क्या अन्य देश भी बीजिंग ओलम्पिक 2022 का बहिष्कार करेंगे या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा ।

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