19.1 C
New Delhi
November 21, 2024
विदेश

KP Sharma Oli देंगे इस्तीफा या अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे

काठमांडु, 24 फरवरी

नेपाल की सर्वोच्च अदालत ने नेपाल की प्रतिनिधि सभा यानी नेपाल की संसद को भंग किये जाने के फैसले को पलट दिया है। अदालत ने सरकार को 13 दिनों के भीतर सदन की बैठक बुलाने का निर्देश दिया है।

नेपाल के प्रधानमंत्री KP Sharma Oli ने पिछले साल 20 दिसंबर को संसद भंग करने की सिफारिश की थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया। संसद भंग किये जाने के इसी फैसले को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं पर नेपाल की सर्वोच्च अदालत ने एतिहासिक फैसला दिया है। सवाल यही है कि प्रधानमंत्री ओली अब क्या करेंगे?

सत्ताधारी पार्टी के भीतर भारी अंतर्विरोध के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में संसद भंग किये जाने की सिफारिश की थी। 20 दिसंबर को संसद भंग किये जाने के बाद इस साल 30 अप्रैल और 10 मई को नये चुनावों की तारीख भी घोषित कर दी गयी थी।

फैसले पर सवाल

नेपाल की संसद भंग किये जाने के फैसले पर काफी सवाल उठे थे। इस फैसले के खिलाफ नेपाल की तमाम विपक्षी पार्टियां लगातार विरोध दर्ज कराती रही। नेपाल के संविधान में संसद भंग किये जाने को लेकर स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं है। विरोधी दलों के साथ-साथ संविधान विशेषज्ञों की राय थी कि प्रधानमंत्री के पास संसद भंग करने का अधिकार नहीं है। इसी तर्क के आधार पर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर नेपाली संसद के निचले सदन को बहाल करने की मांग की गयी थी।

KP Sharma Oli
केपी शर्मा ओली

अब ओली क्या करेंगे

नेपाल की सर्वोच्च अदालत का ताजा फैसला प्रधानमंत्री KP Sharma Oli के लिए झटके की तरह है। इसके बाद ओली के सामने विकल्प बहुत कम रह गए हैं। उनके सामने बहुमत साबित करने की चुनौती है। बहुमत उनके साथ नहीं दिख रहा है, ऐसे में उन्हें इस्तीफा देना होगा। सबकी नज़र इसी बात पर टिकी हैं कि ओली आखिरकार ख़ुद कुर्सी छोड़ते हैं या अविश्वास प्रस्ताव का सामना करते हैं?

नेपाली कांग्रेस का किरदार

ओली बनाम प्रचंड की तरह सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो खेमों में बंट गयी है। पार्टी के सांसदों की निष्ठा भी बंटी हुई है। मौजूदा स्थिति में ओली के लिए बहुमत साबित कर पाना निःसंदेह बहुत मुश्किल है। ऐसे में नेपाली कांग्रेस का किरदार काफी अहम हो गया है। क्या ओली सत्ता बचाने के लिए नेपाली कांग्रेस की मदद लेंगे?

लेकिन इसमें पेंच यह है कि संसद भंग करने के फैसले का नेपाली कांग्रेस ने भी विरोध किया था और न्यायालय के ताजा फैसले का नेपाली कांग्रेस ने भी स्वागत किया है। दूसरे, नेपाली कांग्रेस को साथ लेने का विकल्प पुष्प कमल दहल प्रचंड खेमे के साथ भी है।

ओली-प्रचंड के बीच गहरी खाई

KP Sharma Oli की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (सीपीएन)- नेपाल युनाइटेड मार्क्सवादी लेनिनवादी (यूएमएल) और पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने नवंबर 2017 का आम चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। फरवरी 2018 में केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने और सत्ता में आने के कुछेक माह बाद इन तमाम पार्टियों का आपस में विलय हुआ जो बाद में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में सामने आयी।

हालांकि इस विलय के समय अहम समझौता भी हुआ था जिसमें ढाई साल ओली के प्रधानमंत्री बनने और ढाई साल प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने की बात थी। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की होड़ में दोनों दलों से ज्यादा दोनों नेताओं के बीच यह एकता कायम नहीं रह पायी।

दोनों के बीच दूरियां बढ़ीं। यह दूरी तब और ज्यादा हो गयी जब शर्तों के मुताबिक ढाई साल बाद KP Sharma Oli कुर्सी छोड़ने के लिए राजी नहीं हुए। इसके बाद से कई ऐसे मौके आए जब दोनों के रिश्तों की खाई और भी चौड़ी होती गयी। यहां तक की प्रचंड गुट ने ओली को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से निकालने की भी घोषणा कर दी।

यह भी पढ़ें- अमेरिकी नागरिकता पाने की राह हुई आसान, बाइडन प्रशासन ने ट्रंप की नीति को पलटा

Related posts

SpaceX Launch: पहली बार 4 नागरिकों को लेकर अंतरिक्ष रवाना हुआ

Buland Dustak

चीन में बाढ़ कहर, कमजोर तूफान को बना दिया ‘आसमानी आफत’

Buland Dustak

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट: खुशहाल देशों की लिस्ट में फिनलैंड शीर्ष पर, भारत 139वें नंबर पर

Buland Dustak

मुंबई आतंकी हमले में हाफिज सईद को नए मामले में 15 साल की कैद

Buland Dustak

अमेरिका में राहत पैकेज की उम्मीद का असर, कच्चे तेल की कीमत में दिखी तेजी

Buland Dustak

हैती में इमरजेंसी घोषित, राष्ट्रपति की हत्या में शामिल चार संदिग्ध ढेर

Buland Dustak