-यहां बने संग्रहालय में मौजूद हैं राष्ट्रपिता की 150 दुर्लभ तस्वीरें -1929 में जून माह के दूसरे पखवाड़े में यहां रुके थे गांधी
कौसानी (बागेश्वर): उत्तराखंड के बागेश्वर जिले का एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत कस्बा है कौसानी। एक दौर में यहां की खूबसूरती पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मोहित हो गए थे। उन्होंने इसे भारत के स्विटजरलैंड की संज्ञा दी थी और यहीं पर बना है अनासक्ति आश्रम। प्राकृतिक सौंदर्य और रमणीक स्थान पर बना यह आश्रम बापू के जिला भ्रमण के दौरान प्रवास स्थली बना। आज यह आश्रम उनकी कई यादों को तस्वीरों में समेटे हुए है। यहां के संग्रहालय में उनके जीवनकाल के 150 श्वेत श्याम छायाचित्र मौजूद हैं। जो यहां आने वालों को उनके जीवन को जानने, समझने और महसूस करने का मौका देते हैं।
1929 में भारत भ्रमण के बाद थकान मिटाने के लिए महात्मा गांधी जून माह के दूसरे पखवाड़े में दो दिन के प्रवास के दौरान कौसानी पहुंचे। यहां की मनमोहक वादियां और हिमालय की पर्वत-श्रृंखलाओं के दर्शन कर वह मोहित हो गए। उस समय वह यहां पूरे 14 दिन तक रुके। इस दौरान उन्होंने गीता पर आधारित योग अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘‘अनासक्ति योग’’ की प्रस्तावना लिखी थी। जब गांधी जी यहां आए थे तब इस स्थान पर किसी अंग्रेज के चाय रखने का स्टोर बना था। उसे बाद में जिला पंचायत का डाक बंगला बना दिया गया।
1963 में जब सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने इस स्थान को महात्मा गांधी की यादों को तरोताजा रखने के लिए गांधी स्मारक निधि को सौंप दिया। उन्होंने इसे आश्रम का रूप दिया और इसका नामकरण गांधी की पुस्तक अनासक्ति योग के आधार पर अनासक्ति आश्रम रखा। वर्तमान में आश्रम सैलानियों, शोधकर्ताओं, दार्शनिकों, आध्यात्मिक सहित स्थानीय लोगों के लिए बापू के जीवन वृत्त को जानने का सबसे अहम केंद्र है।
कौसानी के अनासक्ति आश्रम में दक्षिण अफ्रीका में चला अहिंसात्मक सत्याग्रह आंदोलन के तस्वीरें शामिल हैं
कौसानी के अनासक्ति आश्रम में बापू के जीवनकाल से जुड़े 150 दुर्लभ श्वेत-श्याम छायाचित्र मौजूद हैं। इनमें 1887 से 1891 के दौरान इंग्लैंड में बैरिस्टर की पढ़ाई के दौरान से लेकर उनकी अस्थियों के विसर्जन तक की यादें जुड़ी हैं। यहां रखी प्रमुख तस्वीरों में 1906 में दक्षिण अफ्रीका में चला अहिंसात्मक सत्याग्रह आंदोलन, 12 मार्च से छह अप्रैल 1930 तक चली डांडी यात्रा और नमक कानून तोड़ने, 1931 के गोलमेज सम्मेलन में भागीदारी, 1939 में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते हुए हैं।
इसके अलावा आगा खां महल में गांधी, शांतिनिकेतन में रविंद्र नाथ टैगोर के साथ, रामगढ़ में कांग्रेस अधिवेशन, जलियांवाला बाग, लंदन में मित्रों के साथ नौआखली यात्रा, राउंड टेबल कांफ्रेंस, बिरला हाउस की प्रार्थना सभा, बिहार में दंगों के बाद का दौर, आनंद भवन, एशियन रिलेशंस कांफ्रेंस में भाषण सहित लार्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी के साथ खींची गई दुर्लभ तस्वीरें भी यहां मौजूद हैं।
अनासक्ति आश्रम में स्थित तस्वीरों में राष्ट्रपिता के बाल्यकाल से लेकर अंतिम यात्रा तक के दर्शन होते हैं लेकिन इस कलेक्शन को खास बनाती है बा और बापू की तस्वीर। संग्रहालय में प्रवेश करते ही बांयी दीवार पर टंगी महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की दुर्लभ तस्वीर है। जो यहां आने वालों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है। अनासक्ति आश्रम की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले गांधी स्मारक निधि के कार्यकारिणी सदस्य कृष्णा सिंह बिष्ट बताते हैं कि कौसानी को गांधी ग्राम घोषित हुआ था। उस समय गांधी स्मारक निधि ने संग्रहालय में उनके जीवन से जुड़ी 201 तस्वीरों का उपलब्ध कराया। वर्तमान में 150 फोटो ही रह गई हैं। इन्हें संग्रहालय की दीवारों पर आगंतुकों के दर्शनार्थ सहेजकर रखा गया है।
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