कहना गलत नहीं होगा कि ‘डिजिटल दुनिया ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करती है जहाँ कुछ भी गोपनीय या रहस्य नहीं रह जाता।’ जिस से साइबर क्राइम ने जन्म लिया है | वर्तमान समय को देखते हुए हम कह सकते हैं कि यह कथन बिल्कुल सही है। हम जानते है कि , मनुष्यता के इतिहास के साथ ही अपराध भी जुड़े रहे हैं। जिस समाज में हम रह रहे है, उसमें अपराध भी निरंतर रूप से बने रहे है। समय और परिस्थितियों के अनुसार अपराधों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है।
वर्तमान समय में क्राइम के एक और नए रूप साइबर क्राइम ने जन्म लिया है। विश्व के लगभग सभी देश इस पर लगाम लगाने की कोशिश में लगे हुए है जिसके चलते साइबर अपराध से निपटने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। जैसे- जैसे प्रौद्योगिकी का विकास हुआ उसी के साथ कंप्यूटर से संबंधित अपराधों का भी जन्म हुआ है, इसे ही साइबर क्राइम के रूप में जाना जाता है। आज इन अपराधों में वृद्धि होना ही वैश्विक चिंता का विषय बन गया है और एक नई चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है।
साइबर क्राइम में अवैध आपराधिक गतिविधि शामिल
इसमें अपराध करने वाला अपराधी शारीरिक रूप से उपस्थित न हो कर गुमनाम रूप से और पीड़ित से दूर रहकर क्राइम करता है। व्यक्ति शारीरिक तरीके की तुलना में भावनात्मक रूप से बहुत बुरे तरीके से नुकसान पहुंचाता है। इन अपराधों में आतंकवाद , वायरस अटैक, इलेक्ट्रॉनिक क्रूरता, साइबर-स्पेस में अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री का प्रसार, इलेक्ट्रॉनिक मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी, संचार सेवाओं की चोरी, और जबरन वसूली जैसी अवैध कंप्यूटर से संबंधित गतिविधियां शामिल है। टेली-संचार का अवैध अवरोधन और टेली-मार्केटिंग धोखाधड़ी भी इसमें शामिल है।
‘साइबर क्राइम’ जो शब्द है उसे संसद द्वारा किसी भी क़ानून या अधिनियम में कहीं भी परिभाषित नहीं गया है। इसमें अवैध आपराधिक गतिविधि शामिल होती है जिसमें कंप्यूटर का इस्तेमाल क्राइम करने के रूप में किया जाता है। कंप्यूटर की गोपनीयता, कॉपीराइट संबंधी क्राइम, सामग्री संबंधी क्राइम, अखंडता और उपलब्धता संबंधित क्राइम, कंप्यूटर डेटा या सिस्टम सभी इसमे शामिल है।
साइबर अपराधों के प्रकार
1. एक लक्ष्य के रूप में कंप्यूटर यानी अन्य कंप्यूटरों पर आक्रमण करने के लिये एक कंप्यूटर का उपयोग जैसे कि वायरस आक्रमण, हैकिंग, डीओएस आक्रमण आदि इसमें शामिल होता है। 2. एक शस्त्र के रूप में कंप्यूटर यानी क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन,साइबर आतंकवाद , अश्लीलता का प्रसार आदि इसमें शामिल है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े
राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़े बताते हैं कि साल 2020 में भारत मे 50,035 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए। साल 2020 में इन मामलों में 11.8% की बढ़त हुई। साइबर अपराध की कुल दर 2020 में प्रति 100,000 लोगों पर 3.3 से बढ़कर 3.7 हो गई।
अधिकांश वृद्धि बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, असम और तेलंगाना जैसे राज्यों में देखने को मिली जबकि 20 प्रमुख शहरों के मामलों में केवल 0.8% की वृद्धि देखने को मिली। वर्तमान समय में साइबर क्राइम को तेजी से बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में देखा जा है। अपराधी ऐसा मानते है कि साइबर अपराध करना आसान है। इसलिए यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। जरूरत है तो उचित कानून बनाने की और बुनियादी ढांचे की।
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ताकि इसको नियंत्रित किया जा सके और बेहतर ‘साइबर सुरक्षा’ मिल सके। एनसीआरबी के आंकड़ो के अनुसार बच्चों के खिलाफ 2019 में साइबर अपराध के 164 मामले सामने आए थे, जबकि बच्चों के खिलाफ 2018 में साइबर अपराध के 117 मामले सामने आए थे। वही 2017 में उनके खिलाफ 79 मामले सामने आए थे।
‘बुली बाई’ के जरिये महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम
1 जनवरी को मुंबई पुलिस ने GitHub पर होस्ट किए गए एक ऐप “बुली बाई” के डेवलपर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसने लगभग 100 मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें उनकी अनुमति के बिना हासिल कर इस एप के अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए नकली-नीलामी करने में इस्तेमाल किया गया। ऐसी घटना पहली बार नही हुई है, इससे पहले भी साइबर जगत में महिलाओं के खिलाफ इस तरह के कई अपराध किए गए हैं। इसके पहले मई 2021 में भी ‘लिबरल डोगे’ नाम के एक YouTube अकाउंट के जरिए भारत और पाकिस्तान की मुस्लिम महिलाओं की 87,000 दर्शकों के लिए नकली नीलामी की गई थी।
भारत में ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ लाया गया जो कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए पारित किया गया। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धाराएँ 43, 43ए, 66, 66बी, 66सी, 66डी, 66ई, 66एफ, 67, 67ए, 67बी, 70, 72, 72ए और 74 हैकिंग और साइबर अपराधों से संबंधित हैं। भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013’ जारी की। जिसके तहत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद तथा दंड अथवा जु़र्माने का भी प्रावधान है।
सोनाली
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