जब भी भारत के सबसे अमीर तथा दानी व्यक्तियों का नाम आता है तो उसमें “रतन टाटा” का नाम ज़रूर शामिल रहता है। ऐसा कोई सेक्टर नहीं जहाँ टाटा ग्रुप का नाम ना हो। टाटा नमक, टाटा मोटर, टाटा टी तथा सौ से अधिक इंडस्ट्री इनकी पूरी दुनिया में मौजूद है और अगर वह चाहें तो पूरी दुनिया या भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बन सकते हैं।
मगर कारोबार से आया हुआ 66% धन जमशेद जी टाटा द्वारा स्थापित “टाटा ट्रस्ट” में दिया जाता है ताकि समाज सेवा कर लोगों का उद्धार हो सके। बात करें रतन टाटा के जीवन के बारे में तो इनका जन्म 28 दिसम्बर 1937 गुजरात के सूरत में होता है। इनके पिता जी नवल टाटा तथा माता जी सोनू टाटा थीं।
मगर 10 साल के बाद दोनों में तलाक हो जाता है और रतन टाटा को उनकी दादी जी नवजबाई टाटा ने उनको पाल-पोस कर बड़ा किया। वहीं जमशेद जी टाटा ने 1868 में टाटा ग्रुप की स्थापना की थी। इसके बाद 1938 में टाटा ग्रुप के चौथे चेयरमैन जमशेद जी टाटा के चचेरे भाई जेआरडी टाटा को बनाया गया और रतन टाटा को अपने पिता से भी अधिक लगाव इन्हीं से था।
इनकी स्कूली पढ़ाई मुंबई से हुई और कॉलेज की पढ़ाई अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से हुई जहाँ से इन्होंने 1962 में “आर्किटेक्चर इंजीनियरिंग” की डिग्री हासिल की और तुरन्त ही इनकी नौकरी IBM कम्पनी में लग गई। वहाँ कुछ दिन काम करने के बाद वह वापस 1962 में भारत आ गए और अपने कारोबार पर ध्यान देने लगे।
कैसे हुई TCS की शुरुआत?
भारत 1970 में तेज़ी से बदल रहा था और इलेक्ट्रानिक क्षेत्र में काफी बदलाव देखने को मिल रहे थे। यह बात रतन टाटा को ज्ञात थी कि आने वाला समय इलेक्ट्रानिक का है। इसके बाद नेल्को जो कि एक समय बहुत बड़ी कम्पनी हुआ करती थी उस वक्त मार्केट में उसका मात्र 2% शेयर मार्केट में मौजूद था और वह घाटे में चल रही थी।
इसे देखते हुए रतन टाटा ने इस कम्पनी के अधिकार को सँभाल लिया और इस पर 10 साल काम किया। जिसका नतीजा यह रहा कि कम्पनी को घाटे से मुनाफे की तरफ लेने जाने में इनका बड़ा हाथ था और यहीं से टीसीएस की नींव रख दी गई थी।
रतन टाटा कब बने टाटा ग्रुप के चेयरमैन?
जेआरडी टाटा यह तो साफ जान गए थे कि अगर टाटा ग्रुप की कमान रतन के हाथों में जाए तो इस कम्पनी को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
जेआरडी टाटा की उम्र 87 साल हो गई थी और उन्होंने 1991 में रतन टाटा को टाटा कम्पनी का पाँचवा चेयरमैन नियुक्त कर दिया। इसके बाद इस कम्पनी को आगे ले जाने का कार्य रतन टाटा ने बखूबी निभाया और जो भी सेक्टर कमज़ोर था उसे मजबूत बना दिया।
जब रतन टाटा ने अपमान का जवाब अपनी सफलता से दिया
रतन टाटा ने अब टाटा मोटर्स की शुरुआत कर दी थी। उसी में से एक कार थी जिसका नाम इंडिका है। वर्तमान में यह सड़कों में खूब दौड़ रही है परन्तु शुरुआत में यह बढ़िया कार्य नहीं कर पा रही थी जिसकी वजह से रतन टाटा अमेरिका गए फोर्ड कम्पनी के हेड बिल फोर्ड से इस विषय पर बातचीत करने के लिए। टाटा ने बिल फोर्ड को यह प्रस्ताव दिया कि वह टाटा मोटर्स को खरीद लें।
इस पर फोर्ड ने उनकी बेईज्जती करते हुए कहा कि हम तुम्हारी कम्पनी को खरीद कर तुम्हारे ऊपर एहसान कर रहे हैं। इतना सुनते ही टाटा मीटिंग छोड़ कर वापस आ गए और उन्होंने प्रण लिया कि वह कभी भी अपने कोई भी कम्पनी को नहीं बेचेंगे।
इसके 8 सालों बाद फोर्ड कम्पनी को भारी नुकसान हुआ और वह दिवालिया होने के कगार पर खड़ी थी तब रतन टाटा ने उनकी जैगुआर तथा रेंज रोवर गाड़ी खरीदी और उस वक्त बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि आप हमारी कारों को खरीद कर हमारे ऊपर एहसान कर रहे हैं और इस तरीके से रतन टाटा ने सफल होकर अपने अपमान का करारा जवाब दिया। यह वाक्या आज भी लोगों के अंदर कुछ कर गुज़रने का जुनून बढ़ाता है।
रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की?
इसका जवाब खुद रतन टाटा ने ही दिया है और कहा है कि वह चार बार शादी के नज़दीक आ गए थे पर किसी से भी हो नहीं पाई। उन्हीं में से एक इनकी प्रेमिका जो अमेरिका में रहती थीं वह भारत आने वाली थीं शादी के लिए मगर उसी वक्त “इंडो-चीन“ युद्ध आरंभ हो जाता है और वह आने में असमर्थ हो जाती हैं जिसकी वजह से इन्होंने उसके बाद से कभी शादी नहीं की।
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वर्तमान में कौन है चेयरमैन?
2012 में रतन टाटा ने अपने चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। उम्मीद की जा रही थी कि परिवार के सदस्यों में से किसी को चेयरमैन बनाया जाएगा। मगर टाटा की विचारधारा सबसे परे है और उनका यह मानना है कि जो काबिल होगा वही इस कम्पनी को आगे ले जाने के लायक होगा।
2012 में सायरस मिस्त्री को कम्पनी का चेयरमैन नियुक्त किया गया मगर उनकी गलत रणनीति की वजह से टाटा ग्रुप को भारी नुकसान होने लगा जिसके चलते उन्हें बर्खास्त कर 2017 में “नटराजन चंद्रसेकरन” को चेयरमैन बनाया गया और वह अब तक बने हुए हैं।
टाटा ग्रुप की उपलब्धियां:
वर्तमान में 100 से अधिक कम्पनियां टाटा ग्रुप के अंतर्गत चल रही हैं। 1998 में टाटा इंडिका कार, वर्ष 2000 में टाटा टी, 2003 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस यानी टीसीएस। बहुत कम लोगों को यह ज्ञात है कि ताज होटल भी टाटा ग्रुप का ही है। इसके अलावा पुरस्कारों पर नज़र डालें तो वर्ष 2000 में पद्म भूषण तथा 2008 में पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था।
बड़ी बात यह है कि रतन टाटा अपनी कम्पनी के कर्मचारियों के लिए अनेक सुविधाएं देते हैं। अभी हाल ही में कोरोना वायरस के चलते जब देश में लॉकडाउन लगा था और कम्पनी में कुछ कार्य नहीं हो रहा था। इसके बावजूद टाटा ग्रुप ने अपने कर्मचारियों को प्रतिमाह उनको वेतन देती रही।
टाटा का मानना है कि अगर कर्मचारी खुश हैं तब कम्पनी को आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता। तो कुल मिलाकर जो देश के लिए रतन टाटा ने किया है और जो कर रहे हैं वह काबिलेतारीफ है। उम्मीद यही है कि आने वाले समय में इनको “भारत रत्न” से ज़रूर नवाज़ा जाएगा।