11.1 C
New Delhi
January 29, 2025
उत्तर प्रदेश

‘Dragon Fruit’ की खेती कर सुलतानपुर के किसान ने पेश की मिशाल

- 'Dragon Fruit' की खेती में एक बार निवेश करें, पायें 25 वर्षो तक लाभ

सुल्तानपुर : पारम्परिक खेती से हटकर Dragon Fruit की खेती करके गया प्रसाद ने एक मिशाल पेश की है। अब लोग इनके पास खेती का गुर सीखने आते हैं। उनकी मानें तो पारम्परिक खेती की तुलना में नए तरीके से खेती करके कई गुना अधिक लाभ कमाया जा सकता है। 

ऐसे ही जिले के कोथरा खुर्द निवासी किसान गया प्रसाद उर्फ मुरारी सिंह ने अपनी खेती में कुछ अलग करके दिखा दिया, प्रसाद सिंह ने ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में बातचीत की।

Dragon Fruit

एक बार निवेश करें, पायें 25 वर्षो तक लाभ

उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से दक्षिणी अमेरिका, थाइलैंड, वियतनाम, ईजरायल और श्रीलंका में लोकप्रिय फल ‘ड्रैगन फ्रूट’ है। इस फसल में सिर्फ एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक इससे आमदनी हो सकती है। श्री सिंह ने बताया कि गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। सुबह नाश्ते में इसका उपयोग करने से भरपूर एनर्जी मिलती है। ड्रैगन फ्रूट नाम से यह फल बाजार में करीब 200-300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। 

उन्होंने बताया कि अभी सौ पिलर पर Dragon Fruit की खेती का प्रयोग के तौर पर कर रहा हूँ। आगे अभी पांच सौ पिलर पर खेती करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए पांच लाइन में 20-20 खम्भे खड़े करके उनमें चार-चार पौधे रोपे गए हैं। प्रति पौधा करीब पचास रुपये का मिलता है। एक पौधे से करीब पचीस साल तक फल प्राप्त किया जा सकता है।

औसतन एक एकड़ में किसान इसके पांच सौ खंभों में दो हजार पौधे तैयार कर सकते हैं। जिनसे करीब प्रतिवर्ष सात-आठ लाख रुपये की आमदनी हो सकती है। बताया कि कलकत्ता से मंगवाए गए इन पौधों में काफी उम्दा किस्म के फल तैयार हो रहे हैं। अभी तक इस तरह के फल सिर्फ सूबे की राजधानी या फिर देश के बड़े महानगरों में ही उपलब्ध हैं।

अपनी जड़े मिट्टी में खोज लेती हैं

श्री सिंह ने बताया कि इनके फूल साल में 3 से 6 बार आते हैं। कैक्टस पौधों की तरह ड्रैगन फ्रूट के सटम भी अगर टूटकर जमीन पर गिरते हैं तो वह अपनी जड़े मिट्टी में खोज लेती हैं और स्वतंत्र पौधे के रूप में खुद को विकसित करती हैं। 

ज्यादा ठंड में पौधे जीवित नहीं रह पाते

बताया कि Dragon Fruit सामान्यत: 40 डिग्री तामपान में अनुकूल रूप से बढ़ती है, बहुत ज्यादा ठंड में यह पौधे जीवित नहीं रह पाते। ड्रैगन फ्रूट के बारे में एक दिलचस्प पहलू यह है कि कुछ देशों में इसे जंगल की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह बहुत तेजी से फैलती है और अन्य पौधों को बाधित करती है। ड्रैगन फ्रूट कि जो टेक्सचर होती है वह कीवी फल से मिलती-जुलती है क्योंकि इसके भी बीज काले और क्रंची होते हैं।

Also Read: नींबू का सेवन कितना लाभकारी है, क्या है इसके नुकसान?

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी 

बताया कि इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसका फल कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, कोशिकाओं और ह्रदय की सुरक्षा के साथ फाइबर से भरपूर होता है। इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक है। 

बहु उपयोगी ड्रैगन-फ्रूट

श्री सिंह ने बताया कि जूस को कलर करने में और उसके फ्लेवर को उत्कृष्ट बनाने में काम आता है। शराब उद्योग में भी इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है इन्हीं कारणों से इनके फूलों को खाने में और चाय में डुबोकर पीने में काम आता है। ड्रैगन-फ्रूट के लाल और बैंगनी रंग इसमें बीटनीन पिगमेंट से आता है। महानगरों में ड्रैगन फ्रूट की मांग दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। 

फायदे का सौदा Dragon Fruit

किसान चाहें तो ड्रैगन-फ्रूट की खेती कर व्यापक पैमाने पर मुनाफा कमा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में अधिक से अधिक किसान अपने-अपने खेतों में ड्रैगन फ्रूट की खेती से अच्छा लाभ कमा सकते हैं। 

मुख्यमंत्री ने की ड्रैगन खेती की सराहना 

श्री सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें भी ड्रैगन फूट भेंट किया। बड़े ही उत्साह से उन्होंने इसके बारे में पूरी जानकारी ली और उत्साह वर्धन भी किया। 

Related posts

Hydroponic Farming: बिना मिट्टी की खेती बदलेगी बुंदेलखंड की तस्वीर

Buland Dustak

विश्व के कल्याण हेतु भारत का हिन्दू राष्ट्र होना एक अपरिहार्य आवश्यकता

Buland Dustak

केंद्रीय विद्यालय बीएचयू में ‘जीत की ज़िद’ विराट रंगोली बनी आकर्षण का केन्द्र

Buland Dustak

इंटरैक्टिव अवेयरनेस सेशन सक्षम प्रोजेक्ट में लड़कियों ने सीखे आत्मरक्षा के गुण

Buland Dustak

उप्र में मिशन शक्ति अभियान से जागरूक हुईं महिलाएं, हक की आवाज हुई बुलंद

Buland Dustak

उत्तर प्रदेश में 23 जिलों के 1243 गांव बाढ़ से ज्यादा प्रभावित

Buland Dustak