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November 21, 2024
विदेश

चीन में बाढ़ कहर, कमजोर तूफान को बना दिया ‘आसमानी आफत’

चीन में बाढ़ कहर: कहते हैं इंसान द्वारा किए गए गलत कार्यों का फल उसको इसी जन्म में भुगतना पड़ता है और यह कथन चीन के राष्ट्रपति “शी जिम्पिंग” के ऊपर लागू होते हुए दिखाई दे रहा है।

यह तो सभी देश जानते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस चीन में जन्मा है और उसको एक “जैविक हथियार” के रूप में इस्तेमाल करके चीन अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बनाने में जुटा था। लेकिन कुदरत ने इन सभी कार्यों के लिए चीन में ऐसी जानलेवा बारिश की है जिससे हर जगह त्राहिमाम-त्राहिमाम ही मचा हुआ है।

पिछले एक हज़ार सालों में बारिश का रिकार्ड यहाँ टूटा है और लोग अपने आशियाने को छोड़ टेंट तथा राहत शिविरों में अपना गुज़ारा कर रहे हैं। जहाँ नज़र जाती है सिर्फ पानी के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।

चीन में बाढ़

जानते हैं इस मूसलाधार बारिश से चीन में क्या नुकसान हुआ है?

इतनी भयानक बारिश चीन में हुई है जिसकी कल्पना राष्ट्रपति शी जिम्पिंग ने भी नहीं की होगी। हालात देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि चीन के अधिकतर शहर जलमग्न ही हैं। चीनी न्यूज एजेंसी “Xinhua” के द्वारा यह बताया गया है कि अधिकतर शहरों में गले तक पानी भर गया है।

अभी तक 12 लाख लोग इस बाढ़ की चपेट में आ गए हैं जिनमें से मात्र डेढ़ लाख लोगों को बाहर निकाला जा सका है। यहाँ तक कि “शाओलिन टेम्पल” जिसमें बौद्ध धर्म के साधु आते हैं वह भी डूब गया है। चीन में सबसे अधिक पीड़ा “हेनान प्रांत” को झेलनी पड़ रही है।

औसतन “वार्षिक वर्षा” की बात करें तो 100mm से 200mm तक होती है। लेकिन यहाँ शनिवार से मंगलवार तक लगातार  617mm बारिश हुई है जो कि औसत से कहीं अधिक है।

साथ ही अनुमान यह भी है कि आने वाले दो से तीन दिनों में और भयानक बारिश देखने को मिलेगी। बड़ी बात यह है अधिकतर “डैम” भर चुके हैं जिसकी वजह से अगर यहाँ से पानी छोड़ा गया तो और परेशानी बढ़ सकती है।

स्कूल, कालेज और अधिकतर अस्पताल बन्द किए जा रहे हैं क्योंकि यहाँ बिजली को काट दिया गया है। इस कोरोना वायरस की महामारी के बीच शहर के सबसे बड़े अस्पताल जिसमें सात हज़ार बेड हैं, वहां पर बिजली ना होने की वजह से मरीजों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

अचानक हुई इतनी भारी बारिश की मुख्य वजह क्या है?

चीन में बाढ़ अक्सर ही आती है लेकिन इतनी भयानक बाढ़ 1000 साल बाद ही आई है। इस बार “टाइफून इंफा” आने की वजह से परिस्थिति और बिगड़ गई। जब भी टाइफून इंफा आता है तो अपने साथ हवा मे नमी लाता है और यह चीन के झेंगझोऊ शहर में आकर इतनी तबाही मचाई जिसकी वजह आज यह भयावह स्थिति पैदा हुई है। झेंगझोऊ शहर “येलो नदी” के पास बसा हुआ है।

ऐसे में मूसलाधार बारिश का पानी ऊपर से इस नदी का पानी जब एक साथ हो गए तो इसने बाढ़ का रूप लेकर पूरे शहर में खलबली मचा दी। साथ ही बड़ी समस्या यह भी है कि अब डैम में भी पानी भरने लगा है इस वजह से अगर यहाँ से पानी छोड़ा गया तब और विकट स्थिति हो जाएगी।

ऐसी भयानक स्थिति उत्पन्न क्यों हुई?

जैसा की चीन अपने देश में लगातार विकास कर रहा है। जंगलों को काट कर बड़ी-बड़ी इमारतें बना रहा है। अब यदि जंगल होते और तब बारिश होती, तो सारा पानी धरती में जाता।

लेकिन उनको काट कर वहाँ सड़क तथा इमारतों का निर्माण कर दिया गया है जिसकी वजह से पानी सड़कों पर है और यही हाल भारत के मुंबई शहर में भी देखने को मिल रहा है।

चीन में बाढ़
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आखिर क्यों मौसम में अजीबोगरीब बदलाव देखने को मिल रहे हैं?

जहाँ एक तरफ चीन पूरा जलमग्न है तो दूसरी ओर “कनाडा” में भयानक गर्मी पड़ रही है जिसकी वजह से यहाँ का तापमान 50 डिग्री पार कर गया है। इसके अलावा “जेकोबाबाद” में 52 डिग्री तापमान पार कर चुका है।

बात करें चीन की तो यहाँ ऐसा इस लिए हो रहा है क्योंकि पहली वजह “शहरीकरण” की है और दूसरी यहाँ “ग्रीन हाउस गैस” सबसे अधिक मात्रा में निकलती है और यही मौसम बदलने की मुख्य वजह है।

इन सबके बीच शी जिम्पिंग ने राहत-बचाव के लिए NDRF को तैनात कर दिया है। तो कुल मिलाकर इन सबका निष्कर्ष यही निकला है कि जो भी देश चाहे वह विकसित हो या प्रगतिशील यदि वे प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं तो उसका खामियाज़ा भुगतना ही पड़ता है।

ऐसा नहीं है कि भारत में बाढ़ नहीं आती लेकिन जब प्रकृति की चलती है तो चीन जैसे देश भी उसके सामने बेबस नज़र आते हैं। यही वजह है कहीं भीषण गर्मी के हालात हैं तो कहीं बाढ़ की स्थिति है।

इसी लिए अगर आने वाले समय में इन सभी आपदाओं से बचकर रहना है तो पेड़ों को लगा कर पर्यावरण को दोबारा से जीवित करना होगा अन्यथा ऐसी आपदाओं को झेलने के लिए दुनिया को हमेशा चैतन्य रहना होगा।

-यशस्वी सिंह

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