कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता ज़रूर है और इसका प्रमाण अमेरिका-मैक्सिको युद्ध है। एक समय था कि मैक्सिको कभी अमेरिका पर कब्जा किया था और एक आज का समय है जब अमेरिका ने मैक्सिको की ज़मीन पर कब्ज़ा किया है और किया रहेगा। आज की तुलना में पहले के समय में मैक्सिको बड़ा ही बेहतरीन देश माना जाता है। इस देश की खूबसूरती उसके यहाँ का धार्मिक स्थल है जो कि किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है।
मैक्सिको अमेरिका के साथ अपना बार्डर साझा करता है, जितनी अमेरिका के पास जगह थी उतनी ही मैक्सिको के पास भी थी। पहले मैक्सिको काफी बड़े देशों में शुमार हुआ करता था जिसकी सेना समृद्ध थी, पैसों से परिपूर्ण हुआ करता था ये देश। लेकिन उसके बाद यहाँ पर काफी देशों ने हमले किये जिसके चलते अर्थव्यवस्था चरमरा गई और हमें आज एक छोटा मैक्सिको दिखाई देता है। जब अमेरिका ब्रिटिश से आज़ाद हुआ उसके बाद से उसने अपने देश में विकास, सेना को दुश्मनों पर प्रहार करने के लिए उच्च स्तरीय उपकरण करना शुरू किया और अमेरिका ने अपने आप को इतना तेज़ी से आगे बढ़ाया जिसका नतीजा यह रहा कि वह अब अन्य देशों पर भी कब्ज़ा जमाने लगा जिनमें से मैक्सिको का नाम सबसे पहले शुमार है।
मैक्सिको और टेक्सास के बीच हुए युद्ध को “टेक्सास क्रांति” नाम दिया गया
बात करें मैक्सिको की तो उस पर स्पेन ने कब्ज़ा कर लिया था। अब मैक्सिको ने अपने आप को स्पेन से आज़ाद करने के लिए काफी सालों तक युद्ध किया और अंततः 1821 में मैक्सिको स्पेन से आज़ाद हुआ। अब जैसे अमेरिका ने आज़ाद होने के बाद अपने आप को समृद्ध बनाया वैसे ही उम्मीद थी मैक्सिको भी करेगा पर ऐसा हो ना सका क्योंकि मैक्सिको में देश के अंदर का माहौल सही नहीं था। जैसे यहाँ का ही हिस्सा टेक्सास था लेकिन मैक्सिको और टेक्सास में आपस में ही युद्ध हो गया। मैक्सिको को लगा था कि उसकी सेना इतनी काबिल तो है कि टेक्सास को हरा सके। लेकिन टेक्सास ने मैक्सिको को ही हरा दिया और अपना एक अलग देश बन गया।
इसी के साथ इन दोनो के बीच हुए युद्ध को “टेक्सास क्रांति” नाम दिया गया। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर टेक्सास और मैक्सिको के बीच युद्ध हुआ ही क्यों? दरअसल मैक्सिको की सरकार टेक्सास पर भरपूर टैक्स लगा रही थी। यहाँ के लोग अगर अपने हक के लिए आवाज़ उठाते तो उन्हें दबा दिया जाता था। इसके अलावा पानी तब सर के ऊपर चला गया जब मैक्सिको ने टेक्सास के लोगों को मारना शुरू किया और यहीं से शुरू हुई “टेक्सास क्रांति“। 1835-36 तक यह क्रांति चली और जीत टेक्सास की हुई।
मतलब 1821 में मैक्सिको आज़ाद हुआ और मात्र 15 सालों के भीतर ही फिर से युद्ध, इन्हीं सब परिस्तिथियों की वजह से ही मैक्सिको को अपनी सेना, अपने देश को सँभालने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाया। हालांकि जब टेक्सास ने कहा कि हम तो अब अलग देश हो चुके हैं तो मैक्सिको ने यह मानने से इंकार कर दिया और हारने के बावजूद उसपर अपनी हुकूमत करने का प्रयास करता रहा।
अमेरिका ने मैक्सिको पर एकतरफा जीत हासिल की
दूसरी ओर अमेरिका लगातार अपने देश से सटी आस-पास की ज़मीनो पर कब्ज़ा किये जा रहा था और देखते ही देखते वह अब मैक्सिको की तरफ बढ़ रहा था क्योंकि उसे भनक लग गई थी कि वहाँ आपस में ही लड़ाई चल रही है जिसका फायदा अमेरिका को मिल सकता है। अब अमेरिका ने सबसे पहले टेक्सास पर अपना हक जमाया लेकिन मैक्सिको ने इसका विरोध किया। बहरहाल, इसके बाद America ने मैक्सिको के सामने यह प्रस्ताव रखा कि हम तुम्हें 25 मिलियन डॉलर देते हैं उसके बदले टेक्सास के पास का पूरा बार्डर जिसका नाम है “रियो ग्रांदे” यह हमें दे दो।
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अब मैक्सिको के सामने दुविधा आ गई कि युद्ध करें या पैसे लेकर मामला खत्म करें। काफी चर्चा हुई उसके बाद यह जानते हुए भी कि अगर युद्ध हुआ तो हार मैक्सिको की ही होनी है उसके बावजूद उसने अमेरिका से कहा कि हमसे युद्ध करो और अगर जीते तो टेक्सास तुम्हारा। इसके बाद तो यह युद्ध मैक्सिको के इतिहास में अब तक का सबसे खराब युद्ध हुआ। 25 अप्रैल 1846 में यह युद्ध शुरू हुआ और 2 साल तक चला। इस दौरान में अमेरिका ने टेक्सास पर कब्ज़ा किया।
युद्ध के बाद टेक्सास में मिला था सोने का भंडार
इसके अलावा मैक्सिको के बड़े-बड़े शहर जैसे कि कैलिफोर्निया, न्यू मैक्सिको इत्यादि जैसे शहरों पर भी कब्ज़ा कर लिया। देखते ही देखते मैक्सिको ने अमेरिका के सामने 2 फरवरी 1848 को अपनी पराजय स्वीकार की और एकतरफा जीत हुई। हज़ारों की तादाद में जवान भी मारे गये और आर्थिक नुकसान भी खूब हुआ। इसके बाद मैक्सिको और अमेरिका के बीच “ग्वाडालूप हिडाल्गो” की संधि हुई। इस सन्धि में दोनो के बीच युद्ध विराम लगा और America ने मैक्सिको को 15 मिलियन डॉलर की दिये ताकि दोनों के संबन्ध अब और ना बिगड़ सकें।
इस युद्ध के बाद मैक्सिको को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा तो वहीं अमेरिका को भी खरी-खोटी सुननी पड़ी। क्योंकि मैक्सिको के पास अच्छे हथियार नहीं थे, ज्यादा प्रशिक्षित सैनिक नहीं थे। ऐसे में निहत्थे मैक्सिको पर हमला करना ठीक नहीं था। कुछ सालों बाद टेक्सास में जिसे अमेरिका ने जीता था वहाँ पर “सोने का भंडार” मिला और इसी के बाद से जो अमेरिका का विस्तार हुआ वह आज के समय में देखा जा सकता है तो वहीं मैक्सिको में इस ख़बर ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया। अब वर्तमान समय में जब भी किसी युद्ध की एकतरफा हार का ज़िक्र होता है तो सबसे पहले मैक्सिको का ही नाम आता है।
-यशस्वी सिंह