30.9 C
New Delhi
June 26, 2025
विचार

गुरु पूर्णिमा 2021: गुरु के बिना ज्ञान सम्भव नहीं, कैसा हो गुरु

गुरु की महिमा अपरम्पार है। गुरु के बिना किसी क्षेत्र में ज्ञान सम्भव नहीं है। चाहे वह लौकिक जगत की बात हो या फिर पार लौकिक जगत की। गुरु जीवन को रोशनी से भर देता है। गुरु रूखे सूखे मरुस्थल रुपी जीवन को बगिया बना देता है। यह विचार ओशो रजनीश के शिष्य स्वामी आनन्द पुनीत ने गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर व्यक्त किये।

गुरु पूर्णिमा

स्वमी जी ने कहा कि गुरु शब्द का अर्थ होता है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये। जो चेतना के बंद सभी द्वार खोल दे।जिसके स्पर्श मात्र से जीवन महक उठे। ऐसे ही सद गुरुओं में ओशो रजनीश का नाम भी आता है। ओशो रजनीश ने अपने शिष्यों को जीवन जीने की कला सिखाई है। उन्होंने अपने सन्यासियों को राग, विराग से अलग हट कर बीत राग में जीने की कला सिखाई है। उन्होंने कहा कि ओशो ने भगवान शिव ने जो आनन्द भैरव तंत्र में ध्यान की 112 विधियां बताई हैं, उन पर अपने शिष्यों को प्रयोग कराकर गहन ध्यान में डुबकी लगाना बताया है।

जीवन मे सबसे पहले गुरु माता पिता होते हैं

इसके बाद शिक्षा अध्यन कराने वाला शिक्षक होता है। फिर जीवन जीने की कला सिखाने वाला सद गुरु होता है। महाकवि तुलसी दास ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा है, बिनगुरु भव निधि तरई न कोई, जिमि बिरंचि शंकर किमि होई।

उन्होंने जीवन मे गुरु की अनिवार्यता को बताते हुये कहा कि राम लखन से को बड़ा उन हूं ने गुरु कीन्ह, तीन लोक के जे धनी सोऊ गुरु आधीन। स्वामी जी कहा कि भगवान राम को खुद गुरु के अधीन रहना पड़ा। गुरु के पैरों के नाखून में वह शक्ति होती है। जिसका सुमरन करने मात्र से दिव्य दृष्टि हो जाती है। गुरु की महिमा को बताने के लिये हर साल आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।

Also Read: मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज की बच्चों के प्रति जागृत संवेदना

स्वामी आनन्द पुनीत ने कहा कि गुरु पूर्णिमा आषाढ़ी को ही क्यों मनाई जाती है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य छिपा हुआ है। गुरु के वचन शिष्य पर अषाढ़ के मेघ की तरह बरस कर उसके अंदर छिपे काले बादल छांट देता है। अंधेरी को चांदनी में बदल देता है। आषाढ़ी को आसमान में छाई काली घटाओं को देख साधक सहज ही गहन ध्यान में प्रवेश कर जाता है। यह दिन अपने-अपने गुरु को याद करने का दिन है। गुरु पूजा का दिन है। भगवान राम के सम्बंध में तुलसी दास ने कहा है, प्रात: काल उठि के रघुनाथा। मात-पिता गुरु नामहि माथा। कबीर ने भी गुरु को भगवान से ऊपर बताया है। दादू,फरीद, मीरा, शिवरी, सहजो ने भी गुरु को सर्वोपरि बताया है।

Related posts

भारत, ईदी अमीन और अफगानिस्तान संकट

Buland Dustak

नीति व नेतृत्व पर विश्वास की उत्तर प्रदेश सरकार

Buland Dustak

विश्व साइकिल दिवस: कोलकाता में साइकिल चलाकर दिया जागरूकता का संदेश

Buland Dustak

मां दुर्गा नवरात्रि : शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते

Buland Dustak

जब मैक्सिको को अमेरिका से नसीब हुई इतिहास की सबसे शर्मनाक हार

Buland Dustak

दीपावली में स्नेह के बिना संभव नहीं है प्रकाश की कल्पना, जलाएं दीए

Buland Dustak