जहाँ एक तरफ भारत में जनसंख्या को काबू में करने के लिए कानून लाने की तैयारी करी जा रही है। तो दूसरी ओर दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क का कहना है लोगों को इस वक्त अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए।
यह सुनकर बड़ा ही अजीब लग रहा हो क्योंकि बात करें भारत की तो यहाँ अधिक जनसंख्या ही एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है जिस पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा कदम उठाए जाने वाले हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर एलन मस्क ने ऐसा कहा क्यों?
हिंदुस्तान के लिहाज से देखा जाए तो वर्तमान समय में अगर जनसंख्या कम होती है तो अच्छी बात है। लेकिन आने वाले समय के लिए यह मुसीबत का कारण बन सकती है।
एलन मस्क के अनुसार जनसंख्या में थोड़ी-बहुत गिरावट हो तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा मगर जिस हिसाब से अभी की स्थिति है उसे देख कर यही प्रतीत होता है कि आने वाले समय में पूरी दुनिया में भयंकर जनसंख्या में गिरावट दर्ज होगी जिसका नकारात्मक प्रभाव दुनिया की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा।
इसमें जो भी प्राइवेट कम्पनियां होगीं उनका बाज़ार में बने रहना मुश्किल हो जाएगा और देखते ही देखते वह खत्म भी हो सकती हैं। इसकी वजह यह है साल 2100 तक युवा वर्ग के लोग बहुत कम रहेंगे और बुजर्गों की संख्या अधिक रहेगी।
क्योंकि जिस हिसाब से स्वास्थ्य के क्षेत्र में तरक्की हो रही है उसकी वजह से कोई भी इंसान लगभग 75 से 85 साल की उम्र तक आराम से जी सकता है। इसी लिए आने वाले 70 से 80 सालों में अधिकतर जनसंख्या बुजर्गों से भरी होगी जिसके चलते देशों का विकास रुक सकता है और जो लोगों का मंगल ग्रह पर रहने का सपना है वह सपना बनकर ही रह जाएगा।
जैसा कि एलन मस्क काफी समय से इंसानों के जीवन को मंगल ग्रह पर लाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं। ऐसे में अगर धरती में ही जनसंख्या नहीं होगी तो मंगल ग्रह पर जनसंख्या कैसे बढ़ेगी।
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प्रश्न यह है कि दुनिया का आने वाला भविष्य कैसा होगा?
अगर वर्तमान समय की बात करें तो पूरी दुनिया में जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन जिस हिसाब से लोगों में “फैमली प्लानिंग” बदल रही है और शहरीकरण तेज़ी से हो रहा है उसे देख कर यही लग रहा है कि जो हाल यूरोप के देशों का हुआ है वह हमें “एशिया” तथा “अफ्रीका” में भी देखने को मिले।
“दा लांसेट” ने इसके ऊपर रिसर्च की और उसके अनुसार दुनिया में 2050 से जनसंख्या में गिरावट होना शुरू हो जाएगी और जब तक साल 2100 आएगा तब तक पूरी दुनिया की जनसंख्या 8.8 बिलियन तक पहुंच जाएगी। भारत की बात करें तो 2040 से 2050 के मध्य जनसंख्या में भारी गिरावट होगी।
लेकिन बाद में फिर से जनसंख्या में तेज़ी से उछाल आएगा और यह 160 से 170 करोड़ तक पहुंच सकती है। मगर 2100 तक आते-आते यहाँ की आबादी 100 करोड़ तक रहेगी, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं चीन की आबादी वर्तमान में 141 करोड़ है और वर्ष 2100 तक वह गिर कर 79 करोड़ तक जा सकती है।
जनसंख्या गिरने से कैसे प्रभावित होगी दुनिया की आर्थिक स्थिति?
भविष्य में जो लोग अधिक अमीर है उनको इसका कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ेगा और वह आराम से पांच-छः बच्चे कर सकते हैं। लेकिन मध्यवर्गी तथा गरीब वर्ग के लोगों पर इसका अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा।
वजह यह है कि रहने तथा खाने के लिए ही इतना मुश्किल हो जाएगा कि लोग अपने आप ही एक से अधिक बच्चे करने से बचेंगे। इस पर 2019 में “जे•एम• कीन्स” ने कहा था कि जब जनसंख्या में तेज़ी से गिरावट होगी तब दुनिया की अर्थव्यवस्था काफी लंबे समय तक बिगड़ी रहेगी जिसको दोबारा पटरी पर लाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी।
इसका दूसरा प्रभाव यह पड़ेगा कि “गरिएट्रिक पीस थ्योरी“ के अनुसार जब आने वाले 70-80 सालों में अधिकतर लोग बुजुर्ग रहेंगे तो जिन देशों के बीच के हालात अभी के लिए बिगड़े हैं वह बेहतर हो जाएंगे।
कोई देश आपस में नही लड़ेंगे क्योंकि युवा वर्ग कम होंगे और जो होंगे वह अपने काम में व्यस्त होंगे। ऐसे में पूरी दुनिया में शांति का वर्चस्व कायम होगा। लेकिन यह मात्र एक थ्योरी है इसे सच मान लेना यह सोचना गलत हो सकता है।
कौन से देश हैं जो इस संकट के घेरे में हैं?
जैसे कि “जापान” या कई अन्य यूरोपियाई देश इन पर यह संकट के बादल छाए हैं। वजह यह है कि यहां वर्तमान में ही जनसंख्या काफी कम है और अगर इनके द्वारा इसे बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया तो मामला और बिगड़ सकता है।
बात करें अपने देश की तो दुनिया में सबसे अधिक युवाओं वाला देश एक मात्र हिंदुस्तान ही है। लेकिन आने वाले 70-80 सालों में यही वर्ग बुजुर्ग वर्ग में तब्दील हो जाएगा और यहाँ बुज़ुर्गों की संख्या अधिक रहेगी लेकिन तब भी युवा वर्ग भी अच्छी-खासी संख्या में मौजूद रह सकते हैं।
बहरहाल, देखना यही होगा कि एलन मस्क की कही गई बातों का असर दुनिया के देशों पर क्या प्रभाव डालता है यह आने वाले समय में बहुत जल्द पता चल जाएगा।
-यशस्वी सिंह