गांधीनगर/अहमदाबाद: गुजरात के सरकारी स्कूलों के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस योजना (School of Excellence) शुरू की है।
इस योजना के तहत एक निजी संस्थान या व्यक्ति सरकारी स्कूलों के मेधावी छात्रों को उनके करियर बनाने में मदद करने के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं मुफ्त प्रदान करेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत राज्य सरकार हर साल एक लाख छात्रों को तैयार करेगी।
दरअसल, राज्य के जवाहर नवोदय विद्यालय, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कार्यरत हैं। इन स्कूलों में दाखिले के लिए हर साल बड़ी संख्या में छात्र आवेदन करते हैं।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर विकसित की गई है School of Excellence पॉलिसी
इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर विश्वस्तरीय रेसिडेंशियल School of Excellence पॉलिसी विकसित की है। इस नीति के तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।
इन आवासीय विद्यालय में सर्वोत्तम शिक्षण विधियां, उच्च शिक्षण सामग्री और निजी विद्यालयों में उपलब्ध वैकल्पिक शैक्षिक माध्यम उपलब्ध कराया जाएगा। यह स्कूल प्रतिभाशाली छात्रों को ढूंढेंगे और उन्हें जेईई, एनईईटी के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए कोचिंग सुविधाएं प्रदान करेंगे।
इसके लिए सरकार ने निजी व्यक्तियों, संगठनों, कॉर्पोरेट के सामाजिक जिम्मेदारी के तहत विकल्पों के साथ-साथ भागीदारों को ऐसे स्कूल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है।
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School of Excellence की नीति के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के सर्वाधिक प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को ढूंढकर उन्हें अगले स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नि:शुल्क देना आवश्यक है। परियोजना की कुल लागत 600 करोड़ रुपये आंकी गई है।
स्कूलों के छात्रों को कैरियर के लिए सही दिशा में निर्देशित किया जाएगा
परियोजना भागीदारों के चयन की जांच कुशल और अनुभवी व्यक्तियों की समिति करेगी। समिति चयनित आवेदकों के अनुमोदन के लिए प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सचिव से बनी गवर्निंग काउंसिल को सिफारिश करेगी।
परियोजना में पूरा निवेश भागीदार करेगा और भागीदारों को आवर्ती व्यय के लिए शिक्षा विभाग द्वारा प्रति छात्र प्रति वर्ष अधिक राशि दी जाएगी। पार्टनर को जमीन और सभी शिक्षा सुविधाओं में निवेश करना होगा। आवासीय विद्यालयों के परिसर में न्यूनतम दो हजार और अधिकतम 10 हजार छात्रों की क्षमता होगी।
भविष्य में ऐसे परिसरों को शैक्षिक क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है। इन स्कूलों में शैक्षणिक के साथ-साथ गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों को अनुबंध के आधार पर परियोजना भागीदार द्वारा भर्ती करना होगा।
ऐसे स्कूल में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक की ही नियुक्ति करनी होगी। इस परियोजना के लिए संपूर्ण शिक्षा-गुजरात स्कूल शिक्षा परिषद कार्यान्वयन निकाय होगी। गवर्निंग काउंसिल में उच्च शिक्षा अधिकारियों के अलावा शिक्षाविद भी होंगे। इन स्कूलों का माध्यम गुजराती के साथ-साथ अंग्रेजी भी होगा। इन स्कूलों के छात्रों को संभावित कैरियर के लिए सही दिशा में निर्देशित किया जाएगा जैसा कि आदेश में कहा गया है।