-दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यस्था में भारत की इकोनॉमी सबसे खराब
नई दिल्ली: कोविड-19 की महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था सबसे खराब दौर से गुजर रही है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली (अप्रैल-जून) तिमाही के जारी जीडीपी आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी -23.9 फीसदी तक गिरने की खबर आने के बाद पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी के 10.9 फीसदी तक गिरने की आशंका जताई गई थी। रेटिंग्स एजेंसियां अर्थव्यवस्था की बदहाली के बारे में बता रहे हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय मु्द्राकोष (आईएमएफ) ने भी गुरुवार को कहा कि भारतीय अर्थवस्था सबसे खराब दौर से गुजर रही है।
आईएमएफ की अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था जी-20 देशों में सबसे बुरी हालत में रह सकती है। उन्होंने कहा है कि दूसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर ऐतिहासिक कमजोरी देख सकती है। गीता गोपीनाथ ने इस बारे में एक ट्वीट कर कहा है कि ‘चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी जी-20 देशों की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का असर देखा जा रहा है।
भारत की जीडीपी का 25.6 फीसदी तक निगेटिव रहने की आशंका
गीता गोपीनाथन ने कहा कि जी-20 देशों की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ निगेटिव जोन में बनी रह सकती है। इस समूह में भारत की जीडीपी का 25.6 फीसदी तक निगेटिव रहने की आशंका है। अर्थशास्त्री गीता ने लिखा कि ये आंकड़े तिमाही दर तिमाही आधार के हैं, इनकी तुलना किसी साल से नहीं की जानी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि साल 2020 की तीसरी तिमाही में जी-20 देशों की जीडीपी में सुधार आने की उम्मीद है। वहीं, इस साल की पहली तिमाही में कमजोर रहने के बाद चीन की जीडीपी दूसरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने कहा था कि जी-20 देशों की अर्थव्यवस्था में 2020 की पहली छमाही में बड़ी गिरावट आ सकती है। मूडीज ने कहा कि जीडीपी में कमजोरी का ये अनुमान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जी-20 दुनिया की सबसे बड़ी विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। भारत भी इस समूह का सदस्य है। ज्ञात हो कि दुनिया की दो-तिहाई से अधिक आबादी जी-20 अर्थव्यवस्था में रहती है।
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