- बांगलादेश बना भारतीय रुई का सबसे बड़ा निर्यातक
चंडीगढ़: देश में चालू सीजन के दौरान 2.11 करोड़ गांठ कपास आमद पहुंचने की सूचना है। कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सी.सी.आई) के उच्च अधिकारियों के अनुसार कपास की कीमत 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ी है। इससे सीसीआई अधिकतर मंडियों से ‘आऊट’ हो गई है, क्योंकि कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम पर बिकने लगी है।
सीसीआई के सीएमडी प्रदीप कुमार अग्रवाल के अनुसार चालू सीजन में 15 जनवरी तक 84,78,343 लाख गांठ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ली गई है और 5-10 लाख गांठ और खरीदी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कपास के सर्वोत्तम ग्रेड के लिए एमएसपी 5,825 रुपये प्रति क्विंटल है।
सीसीआई चालू कपास सीज़न साल 2020-21 ने मूलरूप से सीजन की शुरुआत में 100-125 लाख गांठ की खरीद का अनुमान लगाया था। पिछले साल 1.05 करोड़ गांठ खरीदी थी।
कोरोना महामारी के बाद मांग धीरे-धीरे हो रही थी सामान्य
अग्रवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद मांग धीरे-धीरे वापस सामान्य हो रही थी। कीमतों में बदलाव हो रहा था। कपड़ा मिलों में क्षमता उपयोग भी कोविड से पहले की तरह ही आ रहा है। अग्रवाल ने बताया कि इस बीच बांग्लादेश अब तक देश में निर्यात होने वाले लगभग 14 लाख गांठों के साथ सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। हालांकि दोनों सरकारों के बीच समझौता होना बाकी है लेकिन देश में अब तक लगभग 20 लाख गांठें निर्यात की जा चुकी हैं।
सीसीआई ने निर्यात के लिए एक दैनिक निविदा मंगाई है और चीन और वियतनाम से अच्छी प्रतिक्रिया की उम्मीद है। अग्रवाल ने कहा कि चीन 25-30 लाख गांठ आयात कर सकता है और बांग्लादेश को भारत से 30-35 लाख गांठ आयात करने की उम्मीद है। वियतनाम में लगभग 4-5 लाख गांठ के आयात की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार इस साल 60-65 लाख गांठ कपास निर्यात होने की संभावना है जबकि कुल आयात 15 लाख गांठ होने के कयास लगाए जा रहे हैं। बाजार जानकारों की मानें तो सी.सी.आई. का इस साल व्हाइट गोल्ड 1.25 करोड़ गांठ एम.एस.पी.पर खरीदने का लक्ष्य अधूरा रह सकता हैं क्योंकि हाजिर रूई बाजार की मांग और यार्न की लोकल और विदेशी डिमांड को देखते हुए ऐसा लगता हैं कि अब मंडियों में कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक बिकती रहेगी।
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