जयपुर: वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कार्मिकों को मरुस्थलीय क्षेत्रों की वानिकी, वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ इससे संबंधित ज्ञानवर्धन और प्रशिक्षण देने के लिए ताल छापर में वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट एंड डेजर्ट इको-सिस्टम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से न केवल कार्मिकों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिल सकेगी बल्कि इससे वन्यजीव और वनों के संरक्षण- संवर्धन में भी सहायता मिलेगी।
यह बात वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई ने शुक्रवार को चूरू जिले के ताल छापर अभयारण्य में ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2021-22 के बजट घोषणा की अनुपालना में ताल छापर में वाइल्ड लाइफ मैंनेज़मेंट एंड डेजर्ट इको-सिस्टम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शुरू किया गया है।
इसकी शुरुआत से स्टाफ को काले हिरण सहित अन्य वन्यजीव के संरक्षण और संवर्धन की ट्रेनिंग दी जा सकेगी। साथ ही ग्रास लैंड, डेजर्ट इको-सिस्टम और उसके आसपास के क्षेत्रों के संबंध में भी स्टडी और ट्रेनिंग हो सकेगी। भविष्य में यहां लाइब्रेरी शुरू करने का जिक्र करते हुए विश्नोई ने कहा कि यहां आने वाले पर्यटकों के साथ इन विषयों में रुचि रखने वाले और रिसर्चर भी अपना ज्ञानवर्धन कर सकेंगे।
तालछापर अपने काले हिरणों के लिए विश्वविख्यात है
बिश्नोई ने कहा कि तालछापर अपने काले हिरणों के लिए विश्वविख्यात है। यह प्रकृति की ही देन है कि रेतीले धोरों में वन्यजीवों की बहुतायत है। यह राजस्थान का चौथा ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है, जिसमें वन विभाग के स्टाफ की कैपेसिटी बिल्डिंग और ज्ञानवर्धन के लिए विभिन्न ट्रेनिंग करवाई जाएंगी।
वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने कहा कि पूरे विश्व में काले हिरणों के संरक्षण के लिए ताल छापर की प्रसिद्धि है। ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के शुरू होने से यह मुहिम और आगे बढ़ेगी, जिससे वन्यजीव का संरक्षण और संवर्धन समुचित तरीके से हो सकेगा।
वन-बल प्रमुख डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने कहा कि इस केंद्र का विकास सभी की साधना, बुद्धिमत्ता और सहयोग से होना चाहिए। उन्होंने राजस्थान में वन्यजीवों की बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए कहा कि इस क्रम को बनाए रखने की आवश्यकता है। वन और वन्य जीवों की सभी समस्याओं का समुचित समाधान भी आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने वन्यजीवों की प्रजातियों के संरक्षण को आवश्यक बताते हुए कहा कि यह न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है बल्कि पूरी मानव जाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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आवास प्रबंधन और वन्य जीवों का बचाव पुनर्वास
राजस्थान फॉरेस्ट्री एंड वाइल्ड लाइफ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर शैलजा देवल ने बताया कि दोपहर बाद “आवास प्रबंधन और वन्य जीवों का बचाव पुनर्वास : ताल छापर से सीखें” विषय पर आयोजित वर्कशॉप तीन सत्रों में हुई। इस दौरान वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर श्रीराम एमवी ने ताल छापर अभयारण्य की बायो डायवर्सिटी के बारे में जानकारी दी जबकि डीसीएफ सूरत सिंह पूनिया ने आवास प्रबंधन और वन्य जीवों का बचाव पुनर्वास पर संबोधन दिया।
इससे पूर्व, अतिथियों ने सुबह ताल छापर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में फील्ड विजिट की। अतिथियों द्वारा पौधरोपण के बाद मंत्री सुखराम बिश्नोई ने बटन दबाकर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम में रतनगढ़ विधायक रतन महर्षि, सीएफ मनफूल सिंह, जय प्रकाश सिंह, डीसीएफ हनुमानगढ़ करण सिंह, डीसीएफ झुंझुनू राजेंद्र कुमार हुड्डा, डीसीएफ चूरु सविता दहिया, डीसीएफ सीकर और एफटीआई जयपुर के डीसीएफ जिग्नेश शर्मा आदि मौजूद रहे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशासन) एसके दुबे, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुनीशकुमार गर्ग सहित अन्य अधिकारी भी कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े रहे।