योगेश कुमार गोयल: महिलाओं के 53 किलोग्राम भार वर्ग में टोक्यो ओलम्पिक का पहले ही टिकट हासिल कर चुकी भारत की 26 वर्षीया स्टार पहलवान विनेश फोगाट खेल प्रेमियों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए एकबार फिर दुनिया की नंबर एक महिला पहलवान बन गई हैं। यह रैंकिंग हासिल कर उन्होंने ओलम्पिक में भारत के पदक जीतने की संभावनाएं मजबूत कर दी हैं।
एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता तथा विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता रह चुकी विनेश फोगाट टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र भारतीय महिला पहलवान हैं। विनेश ने 7 मार्च को माटियो पैलिकोन रैंकिंग कुश्ती सिरीज में लगातार दूसरे सप्ताह स्वर्ण पदक जीतते हुए अपने भार वर्ग में एकबार फिर नंबर वन रैंकिंग हासिल की है। उससे एक सप्ताह पहले ही उन्होंने कीव में भी स्वर्ण पदक जीता था।
कोरोना महामारी के बुरे दौर से गुजरने के बाद विनेश नवम्बर 2020 से यूरोप में ट्रेनिंग कर रही थी और महामारी व लॉकडाउन के कारण खेल से दूर रहने के बाद वह करीब एक साल बाद रिंग में उतरी थी। 2020 में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर ‘खेल रत्न’ अवॉर्ड मिलने से महज एक दिन पहले वह कोरोना संक्रमित पाई गई थी लेकिन अपने बुलंद हौसलों के चलते उन्होंने न केवल कोरोना को हराया बल्कि अपने भार वर्ग में फिर से दुनिया की शीर्ष महिला पहलवान बन गई हैं। विनेश फोगाट ने प्रतियोगिता में विश्व की नंबर तीन पहलवान के रूप में प्रवेश किया था और 14 अंक हासिल कर वह फिर से नंबर एक बनी। उन्होंने टूर्नामेंट में एक भी अंक नहीं गंवाया और तीन में से अपने दो मुकाबलों में प्रतिद्वंद्वी को चित्त किया।
टोक्यो ओलम्पिक में किया अपना टिकट पक्का
महिला कुश्ती में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित विनेश ने 18वें एशियाई खेलों की कुश्ती प्रतियोगिता के 50 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया था और वह लगातार दो एशियाई खेलों में पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान भी बनी थी। भिवानी (हरियाणा) की यह पहलवान राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के अलावा विश्व चैम्पियनशिप में भी पदक जीत चुकी है।
18 सितम्बर 2019 को विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर विनेश फोगाट टोक्यो ओलम्पिक के लिए अपना टिकट पक्का करने में सफल हुई थी। उन्होंने 53 किलोग्राम भार वर्ग में विश्व चैम्पियनशिप के रेपचेज कांस्य पदक मुकाबले में दो बार की विश्व कांस्य पदक विजेता मिस्र की मारिया प्रेवोलार्की को 4-1 से हराकर कांस्य पदक जीता था। हालांकि उससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीन दर्जन से ज्यादा पदक जीते थे लेकिन किसी भी विश्व चैम्पियनशिप में वह उनका पहला पदक था।
2016 के रियो ओलम्पिक के दौरान चोटिल हो जाने के बाद विनेश फोगाट ने वर्ष 2018 में रेसलिंग में शानदार वापसी करते हुए दो बड़े मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का बहुत मान-सम्मान बढ़ाया था और तब से वह महिला रेसलिंग में लगातार स्वर्णिम इतिहास रच रही हैं। विनेश ने पहली बार वर्ष 2013 की एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था और 51 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। 2018 में पैर दर्द की समस्या के बावजूद एशियाई खेलों में 50 किलो फ्रीस्टाइल कुश्ती वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने स्वर्णिम इतिहास रचा था और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान भी बनी थी।
2014 के ग्लासगो में स्वर्ण जीत पूरी दुनिया में लहराया परचम
अगस्त 2018 में एशियाई खेलों के फाइनल मुकाबले के दिन विनेश फोगाट पैर में दर्द की समस्या से जूझ रही थी, फिर भी उन्होंने जापान की इरी युकी को 6-2 से मात देते हुए गोल्ड पर कब्जा किया था और एशियाई खेलों में लगातार दो बार पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनी थी। 2014 के एशियाई खेलों में विनेश ने कांस्य पदक जीता था।
एशियाई खेलों के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण जीतने वाली विनेश पहली भारतीय पहलवान हैं। वह 2014 और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण तथा 2017 व 2018 की एशियन चैम्पियनशिप में रजत जीत चुकी है। 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल में स्वर्ण जीतकर विनेश फोगाट ने पूरी दुनिया को अपनी काबिलियत का परिचय दिया था। अगस्त 2016 में रियो ओलम्पिक के दौरान भी उनसे देश को काफी उम्मीदें थी किन्तु स्पर्धा के दौरान गंभीर चोट लगने के कारण वह ओलम्पिक से बाहर हो गई थी और उनके भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया था।
चोटिल होने के कारण वह एक साल से भी ज्यादा समय तक अखाड़े से दूर रही लेकिन अखाड़े से लंबी अवधि की दूरी के बाद जब उन्होंने मैदान में वापसी की तो एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर ही दम लिया। 2018 के एशियाई खेलों में विनेश फोगाट के लिए सबसे सुखद अहसास यही रहा कि चीन की जिस पहलवान सुन यानान की वजह से उन्हें ओलम्पिक में चोट लगी थी, उसी पहलवान को शुरुआती मुकाबले में ही 8-2 से धूल चटाकर विनेश ने शानदार जीत हासिल की और फाइनल मुकाबले में जापान की युकी इरी को 6-2 से मात देकर गोल्ड अपने नाम कर रेसलिंग में भारत की सनसनी गर्ल बन गई।
गीता और बबीता को देखकर मिली प्रेरणा
25 अगस्त 1994 को हरियाणा के चरखीदादरी जिले के बलाली गांव में जन्मी विनेश फोगाट ने 10 वर्ष की अल्पायु में ही अपने पिता राजपाल को खो दिया था, जिनकी एक जमीन विवाद में हत्या कर दी गई थी। पिता के देहांत के बाद उनका परिवार बहुत सीमित संसाधनों में जीवन-यापन करने को मजबूर था। उस दौरान वरिष्ठ ओलम्पिक कोच अपने ताऊ महावीर फोगाट की बेटियों गीता और बबीता को देखकर विनेश को भी अखाड़े में जोर आजमाइश की प्रेरणा मिली। उनके ताऊ महावीर फोगाट ने ही उन्हें भी पहलवानी के गुर सिखाए।
बहरहाल, विनेश पिछले काफी समय से कहती रही हैं कि उनका अगला लक्ष्य ओलम्पिक में पदक जीतना है और अब दुनिया की शीर्ष महिला पहलवान बनने के बाद ओलम्पिक में भी उनसे उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि विनेश ने जिस प्रकार हालिया मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीते हैं, ओलम्पिक में भी उनका वैसा ही बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिलेगा और वह भारत को ओलम्पिक विजेता बनाने में सफल होंगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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