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April 17, 2024
देश

एशिया की पहली महिला Locomotive Driver हैं मुमताज एम. काजी

- विरोधों के चलते आसान नहीं था मुकाम तक पहुंचना, करनी पड़ी काफी जद्दोजहद 
- रेलवे अधिकारी पिता कराना चाहते थे मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी में कोर्स

नई दिल्ली: भारत की पहली महिला ट्रेन Locomotive Driver ​मुमताज एम. काजी का नाम लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। लगभग 27 साल से मुमताज देश के सबसे व्यस्त रूट पर ट्रेन दौड़ा रही हैं। वह मुंबई सेंट्रल रेलवे पर करीब 700 पुरुष मोटरमैन के बीच अकेली मोटरवुमेन है। मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली मुमताज के लिए यह सब इतना आसान नहीं था। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। आज ​मुमताज एम. काजी भारत की ही नहीं, बल्कि एशिया की पहली महिला ट्रेन इंजन चालक ( Locomotive Driver) हैं​।

Locomotive Driver

…जब पिता ने किया विरोध

मुमताज एम. काजी का जन्म और पालन-पोषण व्यावसायिक राजधानी मुंबई के एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में हुआ। उन्होंने 1989 में सांताक्रूज के सेठ आनंदीलाल रोडर हाई स्कूल से स्नातक किया। मुमताज के पिता अल्लारखू इस्माइल काथावाला ​रेलवे में वरिष्ठ अधिकारी थे। मुमताज ने स्नातक करने के बाद अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए पूर्णकालिक ट्रेन चालक के रूप में अपना करियर बनाने का फैसला लिया।

उनके पिता का कहना था कि आजतक ये नौकरी केवल पुरुष ही करते आ रहे हैं, ऐसे में मुमताज का इस क्षेत्र में जाना सही नहीं होगा। पिता ने मुमताज को मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी में कोर्स पूरा करने की सलाह दी लेकिन मुमताज अपनी जिद पर अड़ी रही। पिता के जमकर विरोध करने पर कुछ पारिवारिक मित्रों और रेल अधिकारियों ने मुमताज के सपनों को आगे बढ़ने का हौसला दिया। आखिरकार अपनी बेटी की जिद के आगे उन्हें हार माननी पड़ी।​​

Mumtaz M Kazi Locomotive Driver

पहली बार 20 वर्ष की ​उम्र में ट्रेन चलाई, बनी थी Locomotive Driver

आखिरकार मुमताज एम. काजी ने स्नातक होने के बाद वर्ष 1989 में इंजन ड्राइवर के पद के लिए आवेदन किया। वह लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों में ही अव्वल आईं। रेलवे में नौकरी के दौरान 1995 में मुमताज का चयन पहली महिला डीजल इंजन ड्राइवर के रूप में किया गया, जिसके बाद उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। 

मुमताज ​ने 1991 में ​20 वर्ष की ​उम्र में पहली बार ट्रेन चलाई थी​​ और 1995 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा उन्हें पहली एशियाई महिला Locomotive Driver के रूप में मान्यता मिली। अब ​वह 45 साल की हो गई हैं लेकिन अपना काम पूरे दिल से करती हैं​​।​​​ वह भारत के पहले और सबसे भीड़भाड़ वाले रेलवे मार्ग छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस-ठाणे खंड पर उपनगरीय लोकल ट्रेनों का संचालन करती हैं।​​​

Mumtaz M Kazi Awards

मुमताज को मिला ​’​नारी शक्ति पुरस्कार​’​

​मुमताज एम. काजी भारत की ही नहीं, बल्कि एशिया की पहली महिला ट्रेन इंजन चालक हैं​।​ उन्हें 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने महिला दिवस पर मुमताज को ​’​नारी शक्ति पुरस्कार​’​ से सम्मानित किया। यह पुरस्कार भारत में महिलाओं की उपलब्धियों को मान्यता देते हुए प्रतिवर्ष दिया जाता है। इस ​पुरस्कार के रूप में एक लाख रुप​ये की राशि और एक सर्टिफिकेट दिया जाता है​​​​​।​​

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मुमताज की एक और खासियत यह है कि वह पहली ऐसी Locomotive Driver हैं, जो डीजल और इलेक्ट्रिक दोनों तरह के इंजन चलाना जानती हैं। हालांकि वह पिछले कई साल से इलेक्ट्रिक मोटरवुमेन के तौर पर काम कर रही हैं।उन्हें भारतीय रेलवे से 2015 में रेलवे महाप्रबंधक पुरस्कार भी मिला।

Mumtaz M Kazi on train

दो भाइयों को इंजीनियर बनाकर विदेश भेजा

मुमताज के पति मकसूद काजी विद्युत इंजीनियर हैं और इनके दो बच्चे भी हैं। बेटे का नाम तोसीफ और बेटी का फतीन है। मुमताज नौकरी के साथ-साथ अपने परिवार का बखूबी ख्याल रखती हैं। वह तड़के उठने के बाद अपने घर के काम-काज निपटाने और खाना तैयार करने के बाद ही सुबह 6 बजे अपने घर से ड्यूटी के लिए निकल जाती हैं।

नौकरी करने के साथ-साथ मुमताज न केवल अपनी ससुराल का ख्याल रखती हैं बल्कि अपने पिता के घर का भी पूरा ध्यान रखती हैं। मुमताज की वजह से ही उनके दोनों भाइयों ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अब​ वे दोनों विदेश में नौकरी कर रहे हैं।

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