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April 16, 2024
देश

वायुसेना को रूस से मिलेंगी 70 हजार AK-103 Assault Rifles

- भारत ने रूस के साथ किया 300 करोड़ रुपये के आपातकालीन सौदे पर करार
- आतंकी हमलों से निपटने में वायुसेना की क्षमता और मजबूत करेंगी रूसी राइफल्स
- असॉल्ट राइफल्स सबसे पहले संवेदनशील एयर बेसों पर तैनात सैनिकों को दी जाएगी

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने जम्मू-कश्मीर और श्रीनगर जैसे संवेदनशील एयर बेसों पर तैनात सैनिकों के लिए रूस से 70 हजार AK-103 Assault Rifles खरीदने का लगभग 300 करोड़ रुपये में सौदा किया है।

पिछले सप्ताह रूस के साथ हुए इस खास समझौते के तहत वायुसेना को अगले कुछ महीनों में यह रायफल्स मिलने की उम्मीद है। ये राइफलें देशभर में एयरबेस पर तैनात गरुड़ कमांडोज को भी दी जाएंगी। संवेदनशील हवाई अड्डों पर आतंकी हमलों से निपटने के मामले में ये राइफल वायुसेना की क्षमता को और मजबूती प्रदान करेंगी।

AK-103 Assault Rifles

पठानकोट एयरबेस पर 2016 में हुए हमले के बाद से भारतीय वायुसेना के लिए उन्नत हथियारों की जरूरत महसूस की जा रही है। भारतीय सेना की वर्दी पहने छह बंदूकधारी उच्च सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए पठानकोट वायु सेना केंद्र की सीमा में घुस गये थे लेकिन उन्हें गरुड़ कमांडो बल के जवानों ने वायुसेना के लड़ाकू विमानों से 700 मीटर दूर रोक लिया था।

वायुसेना अब अपनी तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ अपने सैनिकों की व्यक्तिगत युद्ध क्षमताओं पर भी बहुत जोर दे रही है। पठानकोट हमले के बाद शुरू हुई खरीद प्रक्रिया अब आपातकालीन प्रावधानों के तहत पूरी हुई है। वायुसेना ने पिछले सप्ताह रूस से 70 हजार AK-103 Assault Rifles खरीदने के लिए लगभग 300 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

यह नई रूसी असॉल्ट राइफल्स वायु सेना के पास 20 साल से मौजूद इंसास राइफलों का स्थान लेंगी। इनका निर्माण भारत में ही आयुध कारखाना बोर्ड ने किया था। वैसे तो भारतीय वायु सेना को 1.5 लाख से अधिक नई असॉल्ट राइफलों की आवश्यकता है। इस खास समझौते के तहत वायुसेना को अगले कुछ महीनों में नई AK-103 Assault Rifles मिलने की उम्मीद है जिससे आतंकी हमलों से निपटने की क्षमता और मजबूत होगी।

हवाईअड्डों के सैनिकों को सबसे पहले हथियार मुहैया कराए जाएंगे

जम्मू-कश्मीर, श्रीनगर के साथ साथ संवेदनशील हवाईअड्डों के आसपास के इलाकों में सैनिकों को सबसे पहले हथियार मुहैया कराए जाएंगे। बाकी जगहों पर अमेठी के आयुध कारखाने में रूसी तकनीक की मदद से एके-203 राइफल का निर्माण शुरू होने के बाद आवश्यकता को पूरा किया जाएगा।

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पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर चीन से गतिरोध के बाद भारत ने बुनियादी हथियार प्रणालियों के आधुनिकीकरण की गति तेज कर दी है। AK-103 Assault Rifles पहले से ही भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो इस्तेमाल कर रहे हैं। इन कमांडो को कश्मीर घाटी की वुलर झील में तैनात किया जाता है। फिलहाल सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों की आपातकालीन खरीद के तहत युद्ध की तैयारियों के लिए हथियार खरीदने की आजादी दी है।

इसके साथ अपनी जरूरत के हिसाब से हथियार चुनने की भी अनुमति दी गई है, जिनकी आपूर्ति एक साल के भीतर हो सके। एके-103 का मैकेनिज्म एके-47 राइफल की तरह ही है लेकिन नई राइफल एके-47 की तुलना में ज्यादा सटीक मार करेगी। नई असॉल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। ये राइफलें देशभर में एयरबेस पर तैनात को गरुड़ कमांडोज को भी दी जाएंगी।

…तो इसलिए करनी पड़ी रूस से सीधे खरीददारी

दरअसल भारत ने 2019 में रूस के साथ उत्तर प्रदेश में ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड के कोरबा प्लांट में 7.5 लाख AK-203 Assault Rifles बनाने का करार किया था, लेकिन प्लांट में अब तक काम शुरू नहीं हो पाया। यही वजह है कि भारत को 70 हजार राइफल सीधे रूस से खरीदने का फैसला लेना पड़ा है।

इससे पहले लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन से चल रहे विवाद के दौरान भारत ने अमेरिका से भी 1.44 लाख एसआईजी सॉर राइफल इमरजेंसी प्रक्योरमेंट के तहत सीधे खरीदी थीं। हालांकि यह राइफल भारतीय सेना के लिए खरीदी गई थी जिनका इस्तेमाल भारतीय सेना ने शुरू कर दिया है। एलओसी और एलएसी मोर्चों पर तैनात भारतीय सैनिक इन राइफल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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